रोखुस मिश वो आखिरी व्यक्ति थे जो हिटलर की मौत से पहले बर्लिन में उनके बंकर में मौजूद लोगों में से अब तक ज़िंदा बचे थे.

वे बंकर में टेलिफ़ोन संचालक थे और युद्ध के दौरान ''बॉस'' या हिटलर के लिए उन्होंने जो काम किया था, उसे वे बहुत गर्व से याद करते थे.

एसोसिएटिड प्रैस समाचार एजेंसी के मुताबिक मिश ने कहा था कि हिटलर ''एक बेहद सामान्य व्यक्ति थे....वे कोई राक्षस या क्रूर व्यक्ति नहीं थे.''

पांच साल तक रोखुस मिश हिटलर के निजी समूह का हिस्सा थे. वे हिटलर के अंगरक्षक, कुरियर और टेलिफ़ोन ऑपरेटर थे.

एपी के मुताबिक अपने इंटरव्यू में मिश ने कहा था कि वे 60 लाख यहूदियों की हत्या के बारे में कुछ नहीं जानते थे और हिटलर ने उनकी मौजूदगी में कभी भी फ़ाइनल सोल्यूशन या अंतिम समाधान की बात नहीं की.

साल 2009 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में रोखुस मिश ने कहा था, "मुझे डाखाउ कैंप और यातना शिविरों के बारे में सामान्य तौर पर पता था. लेकिन वहां जो कुछ हुआ वो किस स्तर पर हो रहा था, इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता था. वो कभी हमारी बातचीत का हिस्सा नहीं था."

"हिटलर एक बेहद सामान्य व्यक्ति थे....वे कोई राक्षस या क्रूर व्यक्ति नहीं थे."

-रोखुस मिश, हिटलर के अंगरक्षक और टेलीफ़ोन ऑपरेटर

मिश ने आगे बताया था, "जर्मनों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों के लिए न्यूरेमबर्ग में मुकदमे हुए थे. लेकिन आपको याद रखना चाहिए कि कोई युद्ध ऐसा नहीं हुआ जिसमें अपराध न हुए हों और आगे भी ऐसा युद्ध कभी नहीं होगा."

कुरियर, अंगरक्षक, टेलीफ़ोन ऑपरेटर

रोखुस मिश का जन्म 1917 में मौजूदा पोलैंड के ऑल्ट शाल्कोविट्ज़ गांव में हुआ था. बहुत छोटी उम्र में ही वे यतीम हो गए थे और उनके दादा-दादी ने उनका पालन-पोषण किया.

उन्होंने बतौर पेंटर प्रशिक्षण लिया था और 20 साल की उम्र में वे एसएस सुरक्षाबल में शामिल हो गए.

साल 1939 में उनकी तैनाती पोलैंड में हुई और उसके बाद वे हिटलर के निजी समूह का हिस्सा बने. उनका पहला काम था वियना में हिटलर की बहन को एक ख़त पहुंचाना.

मिश ने बीबीसी को बताया था, "ठीक ठीक कहें तो फ्यूरर के समूह में हम सभी अंगरक्षक थे. जब हिटलर कहीं जाते थे, तब उनके साथ दूसरी गाड़ी में 4 से 6 अंगरक्षक रहते थे. लेकिन उनके अपार्टमेंट में हम दूसरे काम भी किया करते थे. हममें से दो लोग हमेशा बतौर टेलिफ़ोन ऑपरेटर काम करते थे. हिटलर जैसे बॉस हों तो हमेशा ही बहुत सारी फोन कॉल आती थीं."

अडोल्फ़ हिटलर के आखिरी अंगरक्षक की मौतमैंने देखा कि हिटलर का सिर मेज़ पर लुढ़का हुआ है. उनकी पत्नी ईवा ब्रॉन सोफ़े पर पड़ी थीं और उनका सिर हिटलर की तरफ़ था. उन्होंने सफ़ेद झालर वाली एक नीले रंग की पोशाक पहन रखी थी. मैं वो दृश्य कभी नहीं भूलूंगा."

-रोखुस मिश

साल 1945 में जब जर्मनी हार की कगार पर था तब हिटलर बर्लिन में अपने बंकर में चले गए और 30 अप्रैल को वहां जो कुछ हुआ, मिश उसके प्रत्यक्षदर्शी बने.

'कभी नहीं भूलूंगा'

मिश ने बताया था कि जब हिटलर ने आत्महत्या की उस वक्त वे टेलीफ़ोन पर थे इसलिए उन्होंने गोली की आवाज़ नहीं सुनी थी.

लेकिन बंकर में मौजूद बाकी लोगों ने गोली की आवाज़ सुनी और हिटलर के निजी सचिव ने सबसे शांत रहने को कहा और फिर उनके कमरे का दरवाज़ा खोलने का आदेश दिया.

मिश ने बताया, "मैंने देखा कि हिटलर का सिर मेज़ पर लुढ़का हुआ है. उनकी पत्नी ईवा ब्रॉन सोफ़े पर पड़ी थीं और उनका सिर हिटलर की तरफ़ था. उन्होंने सफ़ेद झालर वाली एक नीले रंग की पोशाक पहन रखी थी. मैं वो दृश्य कभी नहीं भूलूंगा."

2 मई 1945 को रोखुस मिश बंकर से भाग निकले और कुछ समय बाद उन्हें सोवियत सुरक्षाबलों ने पकड़ लिया. उन्होंने लगभग 9 साल एक सोवियत युद्ध बंदी शिविर में बिताए और 1953 में नए साल की पूर्व संध्या पर वे अपने परिवार के पास बर्लिन वापस लौटे.

साल 2009 में बीबीसी से बातचीत में मिश की बेटी ब्रिगिटा जेकब-एंगेल्केन ने कहा था कि उनकी नानी ने उन्हें बताया था कि उनकी मां यहूदी थीं. लेकिन ये बात रोखुस मिश ने कभी स्वीकार नहीं की.

मिश की यादें कई साल पहले 'द लास्ट विटनेस' के नाम से जर्मन भाषा में छपी थीं और वे एक बेस्टसेलर बनी.

कुछ आलोचकों का कहना था कि इसमें मिश ने हिटलर के निजी समूह में अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ा कर बयान किया था.

रोखुस मिश की वेबसाइट पर उनकी किताब की पहली लाइन लिखी है ''मेरा नाम रोखुस मिश है. मैं एक अदना सा व्यक्ति हूं लेकिन मैंने कई महत्वपूर्ण चीज़ों का अनुभव किया है.''

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