पश्चिम में खण्डपीठ को लेकर चल रहे आंदोलन पर अधिवक्ता चीफ जस्टिस से मिले

मुख्य न्यायाधीश ने दिलाया भरोसा, फुलकोर्ट के पूर्व के निर्णय पर फिलहाल है कायम

फुलकोर्ट के पूर्व में लिए गये निर्णय पर हम कायम हैं। पश्चिमी खण्डपीठ स्थापना के सम्बन्ध में अन्य कोई निर्णय नहीं लिया जायेगा। यह भरोसा चीफ जस्टिस डीबी भोसले ने बुधवार को हाई कोर्ट बार अध्यक्ष आईके चतुर्वेदी व महासचिव एसी तिवारी के नेतृत्व में मिलने पहुंचे कार्यकारिणी सदस्यों को दिया है। अधिवक्ता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में आंदोलन के चलते पहुंचे थे। संयुक्त सचिव प्रशासन प्रशान्त सिंह रिंकू के अनुसार चीफ जस्टिस ने भरोसा दिलाया है कि ऐसे किसी प्रस्ताव पर बार एसोसिएशन व न्यायमूर्तियों को विश्वास में लेकर ही निर्णय लिया जाएगा।

सात सदस्यों की टीम बनी

बार एसोसिएशन ने विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि चिकित्सा कल्याणकारी योजनाओं की नियमावली तैयार करने के लिए सात सदस्यीय टीम गठित की गयी है। सभी सदस्यों से सुझाव लेकर ड्राफ्ट समिति के अनुमोदन से कार्यकारिणी के समक्ष रखा जाएगा। 5 जनवरी से 17 फरवरी के बीच आये आवेदनों में 31 को चिकित्सीय सहायता दी गयी। 6 विधवाओं को पेंशन व पांच मृतक आश्रितों की सहायता की गयी है। शीघ्र ही भुगतान कर दिया जाएगा। दोनों कमेटियों की संस्तुति पर शेष आवेदनों को निर्णीत किया जाएगा। कार्यकारिणी मिटिंग में सुधीर दीक्षित, अफजल दुर्रानी, मुन्ना यादव, श्रीराम पांडेय, आनन्द मोहन पांडेय उपाध्यक्षगण, प्रशान्त सिंह, संजीव कुमार सिंह, अभिजीत कुमार पांडेय, धर्मराज पाल, हरीश प्रताप सिंह, अखिलेश कुमार द्विवेदी, प्रशान्त सिंह सोम, ओम आनन्द, हीरा लाल, अविनाश तिवारी आदि मौजूद थे।