अफ़ग़ानिस्तान ने इस फ़ाइनल में मध्यांतर तक 1-0 की बढ़त बना ली थी. भारतीय टीम इस मैच में अपनी पूरी ताक़त के साथ मैदान में उतरी थी क्योंकि उसका हौसला बढ़ाने के लिए कप्तान सुनील क्षेत्री भी थे.

इससे पहले मालदीव के साथ खेले गए सेमीफ़ाइनल में वह नहीं खेल सके थे क्योंकि वह दो पीले कार्ड देख चुके थे.

अफ़ग़ानिस्तान की विश्व फ़ुटबाल रैंकिग 139वीं है जबकि भारत की फ़ीफ़ा रैंकिग 145वीं है.

इस फ़ाइनल मुक़ाबले में अफ़ग़ानिस्तान की रक्षा पंक्ति ने शानदार खेल दिखाया, दूसरी तरफ़ भारत के खिलाडियों ने गोल करने के अनेक सुनहरे अवसर गँवाए. यहां तक कि खेल के 60वें और 61वें मिनट में भारत ने दो मिनट में ही गोल करने के दो मौक़े खो दिए.

कमज़ोर खेल

सुनील क्षेत्री को पेनाल्टी एरिया में एक बेहतरीन पास मिला लेकिन उनकी कमज़ोर किक को अफ़ग़ानिस्तान के गोलकीपर ने आसानी से रोका जबकि इससे पहले किए गए हमले को भी गोलकीपर ने बख़ूबी बचाया.

आक्रामक पंक्ति के भारतीय खिलाड़ी लगातार आगे बढ़कर खेल रहे थे जिसका फ़ायदा उठाते हुए अफ़ग़ानिस्तान ने एक कांउटर अटैक किया और अगले ही मिनट यानी कि 62वें मिनट में संजर एम अहमदी की मदद से गोल दाग़ दिया और 2-0 की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली.

इसके साथ ही अफ़ग़ानिस्तान ने पिछले सैफ़ कप फ़ाइनल में भारत से मिली हार का बदला भी चुका दिया. उल्लेखनीय है कि भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को 4-0 से हराकर ख़िताब अपने नाम किया था. अफ़ग़ानिस्तान के लिए यह जीत बेहद महत्वपूर्ण रही क्योंकि उसने पहली बार चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है.

भारत का निराशाजनक प्रदर्शन

इस टूर्नामेंट में भारत का खेल किस क़दर निराशाजनक रहा इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 1-0 से जीत हासिल की लेकिन इस जीत में भारत के किसी खिलाड़ी का योगदान नहीं था.

दरअसल पाकिस्तानी खिलाड़ी ने ग़लती से अपनी ही टीम पर आत्मघाती गोल कर दिया था. इसके बाद भारत ने अपना अगला मैच बांग्लादेश से 1-1 से बराबरी पर समाप्त किया.

मेज़बान नेपाल ने इसके बाद भारत को 2-1 से मात दी. किसी तरह से भारत सैफ़ कप के सेमीफ़ाइनल में पहुंचा तो ज़रुर लेकिन मालदीव से वह बमुश्किल 1-0 से जीत हासिल कर सका.

इस टूर्नामेंट में अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव, भूटान और श्रीलंका समेत आठ देशों ने भाग लिया.

भारत का दबदबा इस टूर्नामेंट में अभी तक कितना रहा है, इसका सबूत इस बात से मिलता है कि भारत ने इसे सबसे ज़्यादा छह बार जीता है. भारत 1993, 1997, 1999, 2005, 2009 और 2011 में चैंपियन रहा है.

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