त्रिपुरा से हटा अफस्पा

मानिक सरकार ने बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद त्रिपुरा से अफस्पा अधिनियम को हटाने का फैसला कर लिया. त्रिपुरा में उग्रवाद के बढ़ने की वजह से यह अधिनियम 1997 में लागू किया गया था. सूबे के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा कि प्रदेश से अफस्पा हटाने का फैसला दिन में मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया है. माणिक सरकार प्रदेश के गृह मंत्री भी हैं.  उन्होंने कहा, 'हमने हर छह महीने में प्रदेश के अशांत इलाकों की स्थिति की समीक्षा की. हमने प्रदेश पुलिस और राज्य में तैनात अन्य सुरक्षा बलों से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया. उन्होंने सुझाव दिया कि अब यहां इस कानून की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उग्रवाद की समस्या पर पहले ही नियंत्रण पाया जा चुका है. इस संबंध में जल्द ही राजपत्र अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) जारी होगा.'

उग्रवाद कम होने पर लिया फैसला

मालूम हो, उग्रवाद की समस्या बढ़ने के कारण 16 फरवरी 1997 से प्रदेश में यह अधिनियम प्रभावी था. मुख्यमंत्री ने बताया, 'सूबे में अफस्पा लगाए जाते समय कुल 42 पुलिस थाने थे. उनमें से दो-तिहाई थान क्षेत्र इस अधिनियम के अंतर्गत आते थे. मौजूदा समय में सूबे में 74 थाने हैं. इनमें से 26 थाना क्षेत्र पूरी तरह से और चार थाना क्षेत्र आंशिक रूप से इस कानून के प्रभाव में थे.'

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