इंदौर-पटना एक्सप्रेस:
इसके पहले भी हाल के वर्षों में कई बड़े रेल हादसे हो चुके हैं। जिससे अब रेल यात्री काफी सहमें हैं। उनके मन में अब रेलयात्रा सुरक्षित नहीं रह गई है। बीते साल नवंबर में कानपुर के पास पुखरायां में सुबह एक बड़ा ट्रेन हादसा हो गया था। इंदौर-पटना एक्सप्रेस (19321) के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस दर्दनाक हादसे में करीब अब तक 100 से अधिक यात्रियों की मौत हुई थी। इसके अलावा करीब 200 से अधिक यात्री घायल हुए।
दिल्ली फैजाबाद एक्सप्रेस:
वहीं इसी साल इसके पहले मई 2016 में ही दिल्ली से फैजाबाद के लिए रवाना हुई दिल्ली फैजाबाद एक्सप्रेस भी हादसे का शिकार हुई थी। उत्तर प्रदेश के हापुर जिले में गढ़मुक्तेश्वर और ब्रजघाट स्टेशन के बीच दिल्ली से फैजाबाद जा रही फैजाबाद एक्सप्रेस (14206) के करीब आठ डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में करीब 100 लोगों के घायल होने की खबर मिली थी।
ऐसी दुर्घटनाएं हो क्यों रही:
ऐसे में लगता है कि क्या रेलवे ने यह मान लिया है कि ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता? अगर नहीं, तो क्या वजह है कि अचानक ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ गई है? सवाल सिर्फ एक एक्सीडेंट का नहीं है, सवाल है कि ऐसी दुर्घटनाएं हो क्यों रही हैं? कभी सबसे योग्य विभागों में गिना जाने वाला रेलवे अचानक अयोग्य से क्यों लगने लगा? अब बहस इस पर नहीं होनी चाहिए कि दुर्घटना हुई कैसे? अब चर्चा इस पर होनी चाहिए कि आखिर रेल दुर्घटनाएं रुकेंगी कब और कैसे? हैरानी की बात है कि ट्विटर पर इतना एक्टिव यह डिपार्टमेंट अक्सर इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंटेनेंस के नाम पर धन की कमी का रोना रोता है।
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सबका सवाल होना चाहिए:
खैर वजह जो भी हो, लेकिन यह हक किसी को नहीं मिलना चाहिए कि वह सैकड़ों जानों को जोखिम में डाले। आखिर क्यों भारतीय रेल में सुधार की तमाम सिफारिशें लंबे समय से फाइलों में धूल फांक रही हैं और दूसरी तरफ रेल हादसे जारी हैं? इसका जवाब कौन देगा? केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय अतीत में होने वाले हादसों से कब सबक लेगा? हम अक्सर सवाल पूछ कर छोड़ देते हैं, लेकिन अब नहीं। अब हमें इन सवालों का जवाब भी चाहिए कि आखिर पूरे पैसे देकर रेल यात्रा करने वाले यात्रियों को पूरी सुरक्षा कब मिलेगी? यह सवाल सिर्फ हमारा नहीं, आपका भी होना चाहिए।
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