- मानकों में फेल होने के बाद भी हैंडओवर कर लिए गए 20 केंद्र

- 8 सर्वाधिक जर्जर केंद्र पंचायती राज विभाग से बनाने का अनुरोध

BAREILLY:

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण ऐसा किया गया कि वह दो साल में ही ढहने लगे हैं। किसी की दीवार धंस रही है तो किसी का छज्जा गिर रहा है। यह कागजी दावा नहीं बल्कि तकनीकी निगरानी समिति की रिपोर्ट में मामले का खुलासा हुआ है। जिसके बाद आंगनबाड़ी केंद्रों को हैंडओवर किए जाने से इनकार किया है। बता दें कि जिले में बढ़ते जा रहे कुपोषण के दायरे को कम करने के लिए जिले के कई ब्लॉकों में नए आंगनबाड़ी केंद्र बनाए गए हैं। पर अब इन पर घटिया निर्माण का खुलासा हुआ है।

घटिया निर्माण सामग्री यूज

वर्ष 2013-14 में 20 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराने के लिए 90 लाख रुपए जिला कार्यक्रम विभाग को मिले। इनके निर्माण का जिम्मा पैक्सफेड और सीएनडीएस संस्था को दिया गया। दो वर्ष के बाद जब निर्माण कार्य पूरा हुआ और हैंडओवर की बारी आई तो डीएम की निगरानी में तकनीकी जांच समिति बनाई गई। जिसमें गुणवत्ता की पोल खुल गई। 20 केंद्रों में से किसी के छज्जे गिर रहे हैं तो किसी की दीवार। फर्श भी धंस गया है। अब विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा है कि बगैर गुणवत्ता परखे आखिर कैसे निर्माणदायी संस्थाओं को पूरा भुगतान कर दिया गया। सूत्र कमीशनखोरी का जिक्र कर रहे हैं।

बचाव को यह निकाला रास्ता

नियम है कि जिस संस्था ने निर्माण किया है उसमें कमियां निकलने पर उसकी भरपाई उन्हीं के जरिए ही होती है, लेकिन अब विभाग के अधिकारी कार्यदायी संस्थाओं के बचाव के लिए इन आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए पंचायती राज विभाग को लिखा है। अधिकारियों का तर्क है कि संस्थाओं से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने निर्माण में नहीं बल्कि आसपास पानी के जमावड़े से सीलन होने पर भवन का डैमेज होना बताया है।

यह हैं खराब बने केंद्र

सर्वाधिक खराब स्थिति बहेड़ी के सिसई, रुड़ली, इटौवाधुरा, तुरसमपुर बिहारीपुर, सियाठेर, क्यारा के चंद्रपुर जोगियान, आलमपुर जाफराबाद के गांव चिरंजीवाल किशन, क्योना शादीपुर में बनाए गए केंद्रों का है।

एक नजर में।

- वर्ष 2009 में 28 केंद्र बनाने की मांग

- वर्ष 2010 में केंद्र बनाने का बना प्रस्ताव

- वर्ष 2014 में 90 लाख का बजट मंजूर

- वर्ष 2016 में केंद्र बने, हैंडओवर शुरू

- 20 आंगनबाड़ी केंद्र हैंडओवर हो चुके

- वर्ष 2017 में जांच समिति ने लगाई आपत्ति

- 8 केंद्र हैं बेहद जर्जर, मरम्मत की मांग

हैंडओवर करते समय इंजीनियर्स की टीम ने जांच की तो गुणवत्ता सही नहीं मिली। अब इनकी मरम्मत के लिए पंचायती राज विभाग को पत्र लिखा है।

बुद्धि मिश्रा, डीपीओ