आगरा। प्री-मानसून दस्तक दे चुका है। संभवत: मंगलवार से मानसून अपनी रफ्तार पर रहेगा। मौसम विभाग का मानना है कि इस बार बारिश भी अधिक होगी। पिछले वर्ष की तुलना में डेढ़ गुना बारिश निश्चित तौर पर ताज सिटी के लिए बड़ी मुसीबत से कम नहीं होगी। वजह साफ है, शहर के प्रमुख नालों की अभी तक सफाई नहीं हुई है। नगर निगम बजट का रोना रो रहा है। जबकि पब्लिक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

नालों की नहीं होती है सफाई

पिछले साल हुए अभय की मौत का किस्सा तो आप सबको याद होगा। अगर याद नहींतो हम याद दिला देते है। 10 अगस्त को हुए हादसे में बाजार से लौट रहा अभय काजीपाड़ा के नाले में डूब गया था। उस हादसे ने निगम, प्रशासन, और सिटी के आला अधिकारियों की पोल खोलकर रख दी थी। उस हाथसे को एक साल बीतने वाला है लेकिन वहां हालात जस-के-तस है। नाला काजीपाड़ा पर नालों की सफाई नहीं हुई है। नालों के अंदर कूड़ा व सिल्ट बुरी तरह से भरी हुई है। कूड़े के चलते वहां पर पानी का निकास नहीं है। एक दो दिन में पानी बरसने वाला है। पानी के आते ही यहां के हालात बद् से बद्तर हो जाते हैं। नालों का ऊफान मानों लोगों की जिंदगी को रोक देता है। नालों में जमा कूड़ा व सिल्ट पानी को ब्लॉक कर देते हैं।

सीमेंट स्लेब उठ जाते हैं ऊपर

लोगों ने बताया कि प्रशासन ने यहां पर नालों के ऊपर स्लेब तो लगवा दिए, लेकिन जब पानी पूरी तरह से नालों से बाहर उफान मारने लगता है तो स्लेब तक बाहर निकल आते हैं। ऐसे में हादसों के चांस अधिक हो जाते हैं।

नरक है सदर भट्टी का नाला

सदर भट्टी नाला लोगों के लिए नरक बना हुआ है। मानसून आते ही लोग दहशत में आ जाते हैं। लोग मानसून से पूर्व ही अपनी दहलीज को अस्थाई दीवार से कवर कर लेते हैं। जिससे पानी घरों में न घुसे, लेकिन इसके बावजूद भी पानी घरों में पहुंच ही जाता है। बर्तनों से नाले का गंदा पानी निकालना पड़ता है।

पूरा एरिया हो जाता है जलमग्न

क्षेत्रिये लोग बताते है कि सदर भट्टी और काजीपाड़ा एरिया में हालत अभी भी पहले जैसे है। बारिश के मौसम यहा जीना मुश्किल हो जाता है। जलभराव का असर सीधे पब्लिक की लाइफ पर पड़ता है। लोगों को घरों में कैद होना पड़ता है। लोगों का इस एरिया में आना-जाना किसी मौत के मुंह को पार करने से कम नहीं होता।

हाल में हुई है ताजी घटना

क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि अभी हाल ही में एक बच्चा उसी स्थान पर गिर गया था, जहां अभय गिरा था। जैसे ही बालक गिरा वैसे ही लोगों ने दौड़ लगा दी। बच्चा नाले में गिरते ही गायब हो गया। लोगों ने आगे की तरफ दौड़ लगाई। कुछ दूरी पर जाकर क्षेत्र के कुछ बहादुर लड़कों ने किसी तरह जान पर खेलकर उसे बाहर निकाला।

पब्लिक भी नहीं कम जिम्मेदार

नालों में जमे मलबे में सबसे अधिक जूते की कतरन है। उसके नीचे सिल्ट है। नाला कई स्थानों पर ब्लॉक है। वहां पर कई मकानों में जूते का काम होता है। वहां से निकलने वाला कूड़ा नाले में ही पटक दिया जाता है, यह भी एक समस्या है। साथ ही लोगों ने बताया कि नाले के अंत में शिवाजी मार्केट के पास नाले के नीचे बीएसएनएल की लाइन पड़ी है। वहां पर लाईन को नुकसान पहुंचाए बिना काम होता है इससे काम पूरी तरह से नहीं हो पाता।