आगरा। दुनिया के अजूबे स्मारक ताजमहल को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है। फिलहाल लोअर कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया है लेकिन अधिवक्तागण इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।

जाना जाता था तेजोमहालय नाम से

इस मामले में पैरवी करने वाले सिविल कोर्ट आगरा के अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ के अनुसार प्राचीनकाल में यह तेजोमहालय के नाम से जाना जाता था। असल में यह अग्रेश्वर नाथ नागेश्वर महादेव मंदिर था। जिसका स्वरूप मुगलकाल में परिवर्तित कर दिया गया।

ओक की किताब का दिया हवाला

अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ का कहना है कि ताजमहल को लेकर बहुत सारे सबूत हैं। पीएन ओक की किताब में भी सबूत दिए गए हैं। हमने इन सबूतों का भी हवाला लिया है। अधिवक्ता कुलश्रेष्ठ का कहना है कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि ताजमहल नहीं बल्कि यह महादेव मंदिर है। जिसे बदलकर ताजमहल किया गया है।

ये हैं केस के पक्षकार

दुनिया के अजूबे स्मारक ताजमहल को लेकर न्यायालय से न्याय की गुहार लगाने वाले हरीशंकर जैन एवं अन्य पक्षकार हैं। मामला वादी हरीशंकर जैन एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के नाम से आगरा की सिविल कोर्ट में दायर किया गया था। जिसकी सुनवाई के बाद न्यायालय ने मामले को खारिज कर दिया।

मामला जाएगा हाईकोर्ट

लोअर कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ के अनुसार भले ही मामला खारिज कर दिया गया है लेकिन न्याय की लड़ाई जारी रहेगी। इस मामले में पक्षकार हाईकोर्ट में अपील की तैयारी में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि वादी हरीशंकर के साथ कई और लोग भी पक्षकार हैं जोकि ताजमहल को लेकर इस मामले को ऊपर की अदालत में ले जाकर न्याय की गुहार लगाएंगे।

हाई लेवल कमेटी करें जांच

बृज मंडल हैरिटेज कन्जरवेशन कमेटी के प्रेसीडेंट सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि ताजमहल की बनावट ही अपने आप में बड़ा सबूत है। इसका स्ट्रक्चर को देखने से भी काफी कुछ तस्वीर साफ हो जाती है। प्राचीन काल में इस शिवालय में श्रद्धालु परिक्रमा भी किया करते थे। इसीलिए इसका मूल ढांचा उसी हिसाब का बनाया गया था।

ये हैं ओक की किताब कुछ तथ्य

अपनी पुस्तक ताजमहल: सत्य कथा में, ओक ने यह दावा किया है, कि ताजमहल, मूलत: एक शिव मन्दिर या एक राजपूताना महल था, जिसे शाहजहाँ ने कब्ज़ा करके एक मकबरे में बदल दिया था।

ताजमहल के हिन्दू शिवमन्दिर होने के पक्ष में ओक के तर्क -:

पी एन ओक अपनी पुस्तक ताजमहल ए हिन्दू टेम्पल में सौ से भी अधिक कथित प्रमाण एवं तर्क देकर दावा करते हैं कि ताजमहल वास्तव में शिव मन्दिर था जिसका असली नाम तेजोमहालय हुआ करता था। ओक यह भी मानते हैं कि इस मन्दिर को जयपुर के राजा मानसिंह (प्रथम) ने बनवाया था जिसे तोड़ कर ताजमहल बनवाया गया। इस सम्बन्ध में ओक ने अपनी किताब में यह तथ्य भी प्रस्तुत किए हैं।

-किसी भी मुस्लिम इमारत के नाम के साथ कभी महल शब्द प्रयोग नहीं हुआ है।

-ताज और महल दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।

-संगमरमर की सीढि़याँ चढ़ने के पहले जूते उतारने की परम्परा चली आ रही है जैसी मन्दिरों में प्रवेश पर होती है जब कि सामान्यत: किसी मक़बरे में जाने के लिये जूता उतारना अनिवार्य नहीं होता।

-संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित हैं तथा उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिंदू मन्दिर परम्परा में 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।

-ताजमहल शिव मन्दिर को इंगित करने वाले शब्द तेजोमहालय शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मन्दिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे।

-ताज के दक्षिण में एक पुरानी पशुशाला है। वहाँ तेजोमहालय के पालतू गायों को बाँधा जाता था। मुस्लिम कब्र में गौशाला होना एक असंगत बात है।

-ताज के पश्चिमी छोर में लाल पत्थरों के अनेक उपभवन हैं जो कब्र की तामीर के सन्दर्भ में अनावश्यक हैं।

-संपूर्ण ताज परिसर में 400 से 500 कमरे तथा दीवारें हैं। कब्र जैसे स्थान में इतने सारे रिहाइशी कमरों का होना समझ से बाहर की बात है।