12 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी, शुआट्स में जुटे कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति

ALLAHABAD: कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार क्षेत्रों में संसाधन साझा करने के लिए अभिसरण निर्माण हेतु राज्यवार कृषि कैबिनेट के गठन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज गुरुवार को सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में हुआ। जिसमें देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिकगण, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों ने गहन मंथन किया। संगोष्ठी का प्रायोजन भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) के सहयोग से हुआ।

मुख्य अतिथि आईसीएआर के उपमहानिदेशक (शिक्षा) प्रो। एनएस राठौर ने कहा कि यह गर्व की बात है कि स्वतंत्रता के समय देश में अनाज उत्पादन 47 लाख टन से बढ़कर 272 मिलियन टन हो गया है। लेकिन अगर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है तो यह उत्पादन 325 मिलियन तक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि शिक्षा व शोध को बढ़ाने तथा दूसरी हरित क्रान्ति के लिए बुद्धि, धन और मानव शक्ति के अभिसरण को आवश्यक बताया। आईएयूएए अध्यक्ष एवं असम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ। केएम बजरबाहू ने भी अपनी बात रखी।

प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा बने कृषि

आईएयूए के कार्यकारी सचिव डॉ। आरपी सिंह ने सुझाव दिया कि कृषि को प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा बनना चाहिए। उन्होंने मंडी समिति के राजस्व का दो प्रतिशत कृषि विश्वविद्यालयों को दिये जाने की वकालत की। शुआट्स कुलपति प्रो। राजेन्द्र बी.लाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को तकनीकी के व्यवसायीकरण करने हेतु नीति बनाये जाने की आवश्यकता है ताकि विश्वविद्यालयों को अपने पेटेंट से फायदा हो सके। संगोष्ठी में प्रति कुलपति (शैक्षिक) प्रो। एकेए लॉरेंस, प्रति कुलपति (प्रशासन) प्रो। एसबी लाल, पश्चिम बंगाल के बिधान चन्द्र कृषि विवि के कुलपति डॉ। डीडी पात्रा आदि मौजूद रहे।