-पॉल्यूशन का पारा डबल करेंगे सेल हुए BS-थ्री व्हीकल्स, सिटी में पहले से ही ढाई सौ के पार है पॉल्यूशन का लेवल

-शहर में हर दिन बढ़ रहा है पॉल्यूशन का लेवल, सौ से कम होना चाहिए AQI लेवल

VARANASI

शहर में पर्यावरण बचाओ का डंका पीटने वाले बीएस-थ्री व्हीकल्स को खरीदने से लोग कोई गुरेज नहीं किए। उन्हें इस बात का इल्म भी नहीं था कि ये व्हीकल्स पॉल्यूशन का पारा डबल करेंगे। इसके बावजूद लोग ऐसे व्हीकल्स को खरीदने के लिए चिलचिलाती धूप में शोरूम्स के बाहर लाइन लगाए रहे। सांस का रोगी बनाने वाले पॉल्यूशन की चिंता किए बगैर लोग कम दाम में बिक रहे बाइक, कार खरीदने के लिए सोर्स-जैक भी लगाए।

जबकि दिनों दिन बढ़ते पॉल्यूशन को देखते हुए ही कोर्ट ने बीएस-थ्री व्हीकल्स को मार्केट में नहीं उतारने का ऑटोमोबाइल्स कंपनीज को ऑर्डर दिया है। आनन-फानन में कंपनियों ने व्हीकल्स के रेट कम करके ग्राहकों को प्रदूषण फैलाने का मौका दिया तो इसे हर किसी ने हाथों हाथ लिया। सिटी में पॉल्यूशन का लेवल 100 एक्यूआई होना चाहिए लेकिन सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर बनारस में एयर क्वालिटी इंडेक्स एक्यूआई 254 शो कर रहा है। यानि कि एक्यूवी लेवल पॉल्यूशन में जस्ट डबल चल रहा है। जो कहीं न कहीं आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकता है।

शहर में भी होना चाहिए पैमाना

नई दिल्ली, बंगलुरू, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में पर्यावरण प्रदूषित करने वालों का अलग-अलग डेटा निकाला जाता है। व्हीकल्स से कितना प्रदूषण बढ़ रहा है, फैक्ट्री से कितना पॉल्यूशन बढ़ रहा है आदि सबका परसेंट तय होता है। जैसे दिल्ली में 9 परसेंट पॉल्यूशन व्हीकल्स से बढ़ता है। तो ऐसे में बनारस में भी पॉल्यूशन का परसेंट निकाला जाना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपना दायरा बढ़ाने की जरूरत है।

क्या है BS?

-व्हीकल्स में फ्यूल से होने वाले पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए एक स्टैंडर्ड तय किया जाता है। इसे इमिशन नॉ‌र्म्स कहते हैं।

-जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी में बदलाव होता है और एक्सपेरीमेंट्स के जरिए पॉल्यूशन कम करने के तरीके तलाशे जाते हैं, उसी के साथ इमिशन नॉ‌र्म्स भी बदलते हैं।

- इन नॉ‌र्म्स के तहत व्हीकल्स तैयार करना हर कंपनी के लिए जरूरी होता है, ताकि इससे एयर पॉल्यूशन कम किया जा सके। नए स्टैंडर्ड के तहत फ्यूल भी बदला जाता है।

BS-ब् वाले फ्यूल से फायदा

- यह कार्बन मोनो ऑक्साइड को भ्भ् परसेंट कम कर देगा। इस गैस से सिरदर्द और उल्टी की शिकायत होती है

- फ्यूल जलने से निकलने वाले हाइड्रोकॉर्बन से सिर दर्द की शिकायत होती है। बीएस-ब् इसके असर को भ्0 परसेंट कम कर देगा

-पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। नया मानक इसका असर 80 परसेंट कम कर देगा

-नाइट्रोजन से खांसी आती है, आंकों में असर होता है। बीएस-ब् से यह असर ब्7 परसेंट तक कम हो जाएगा।

अच्छी बात है कि प्रदूषण पर कोर्ट का रवैया सख्त हुआ है। जीवन पर मुनाफा हावी नहीं होने दिया। दुख की बात यह है कि लोग प्रदूषण फैलाने वाले व्हीकल्स लेने के लिए बेताब दिखे। कम रेट में मिल रहे व्हीकल्स को खरीदने के लिए लाइन तक लगाए। मौजूदा समय में पॉल्यूशन अपने शहर का ख्भ्ब् एक्यूआई है।

एकता शेखर, मुख्य अभियानकर्ता

केयर फॉर एयर