>RANCHI: वह घर की फूल थी। सभी फैमिली मेंबर्स की चहेती थी। लेकिन, ऐसा कदम उठा लेगी, किसी ने सोचा तक नहीं था। आखिर उसके साथ ऐसा क्या हुआ, जिसने उसे अपनी जिंदगी ही खत्म करने के लिए मजबूर कर दिया। यह सवाल हर उस व्यक्ति के जेहन में उठ रहा है, जो आकृति को जानता-पहचानता था। मंगलवार को उसका फिजिक्स का एग्जाम था। उसके पास से टीचर ने एक चिट पकड़ा था। इसके बाद टीचर ने न सिर्फ उसके पेपर को कैंसिल कर दिया, बल्कि उसके करियर पर बदनुमा दाग भी लगा दिया। आकृति ने सुसाइड नोट में इन सभी बातों का जिक्र किया है। अब सवाल उठता है कि एक छोटी-सी भूल पर आकृति को यह कदम उठाना कितना उचित लगा।

क्या था सुसाइड नोट में

मैं अपने आपको प्रूव नहीं कर पाई। गलती पे गलती करती गई। नहीं पता, क्क्वीं क्लास में मुझे क्या हो गया था। न चाहकर भी गलती करती गई। अपने आप को सही रास्ते पर लाने का बहुत कोशिश की। मेरी वजह से आप लोग का भी बहुत टाइम, पैसा और इनर्जी का लॉस हुआ। आई एम सॉरी। माफ कर देना मुझे।

शोक में स्कूल बंद, एग्जाम कैंसिल

आकृति सिंह के सुसाइड करने के दूसरे दिन केरलि स्कूल प्रबंधन ने एक दिन स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया। बुधवार को केरलि स्कूल में शोकसभा का आयोजन किया गया और स्कूल के मुख्य द्वार पर बंद का नोटिस लगा दिया गया।

यह था मामला

केरलि स्कूल में क्क्वीं की छात्रा थी आकृति। फाइनल एग्जाम चल रहा था। मंगलवार को भी एग्जाम लिखने स्कूल गई थी, लेकिन उसकी तैयारी पूरी नहीं थी। इसलिए वह चुटका निकाल कर चोरी कर रह रही थी। इसी क्रम में टीचर ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया। उसे एग्जाम हॉल से बाहर तो किया ही साथ ही साथ उसका पेपर भी कैंसिल कर दिया। आकृति के परिजनों ने आरोप लगाया है कि टीचर ने उसे डांटने के बजाय उसके पेपर को ही कैंसिल कर दिया। इससे आकृति सदमे में आ गई और घर आकर फांसी लगा ली।

क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक

मनोविज्ञान की स्टूडेंट मनोरमा का कहना है कि चूंकि आकृति में अपराध बोध पनप रहा था। वह पहले से फ्रस्टेशन में थी क्योंकि उसे साइंस में नहीं, बल्कि कॉमर्स में रूचि थी। कॉमर्स उसे लेने नहीं दिया गया। वहीं, एग्जाम के वक्त उसके पास से चिट निकलने के कारण वह ग्लानि फील करने लगी। इसके बाद उसने खुदकुशी कर लेना ही बेहतर समझा।

कहीं आप अपने बच्चों को दबाव तो नहीं दे रहे

- बच्चे को पढ़ाई या अन्य किसी चीज के लिए प्रेशर नहीं डालें।

- उसे अपने अधिकार के प्रति सजग करें। उसकी पसंद नापसंद को समझें।

- मॉनिटरिंग करें। उसकी रूचि जानें और उसके समाधान के बारे में भी सोचें।

कौन है वो कंप्यूटर टीचर, जो करता था आकृति को टार्चर

आकृति सिंह की चचेरी बहन अनामिका सिंह ने बताया कि आकृति कहती थी कि उसके स्कूल में एक कंप्यूटर टीचर है, जो उसे टार्चर वगैरह करता है। इससे भी वह परेशान रहती थी। इसकी पुष्टि आकृति सिंह की स्कूल की सहेली ने भी की है।

प्रतिभावान थी आकृति सिंह

आकृति सिंह अपने स्कूल में प्रतिभावान स्टूडेंट थी। उसके घर में टंगे दर्जनों मेडल इसकी गवाही दे रहे हैं। उसने अपने टैलेंट की वजह से ही स्कूल में अपनी मुकाम बनाई थी, उसमें आगे बढ़ने की वो सारी काबिलियत थी, जो एक मेधावी छात्र में होती है।

स्कूल प्रबंधन ने बुलाया था आकृति के गार्जियन

आकृति सिंह के पास से पकड़ी गई चिट के आधार पर स्कूल प्रबंधन ने उसके माता-पिता को स्कूल बुलाया था। अभिभावक को स्कूल बुलाने पर आकृति सिंह से रहा नहीं गया। उसने गलती स्वीकार कर लीड। उसे अपनी बदनामी का भी सदमा लगा था।