-बनारस में तेजी से बढ़ रहे हैं साइबर क्राइम के मामले

-निजी जानकारी हासिल करके क्रिमिनल उड़ा दे रहे हैं लोगों के एकाउंट से रुपये

devendra.singh@inext.co.in VARANASI

Case-1

भेलूपुर के रहने वाले मनोहर पाण्डेय के मोबाइल पर मैसेज आया। इसे देखकर वो चौंक गए। उनके डेबिट कार्ड से 20 हजार रुपये की ऑनलाइन पर्चेजिंग हुई थी। जब तक वो कुछ करने की सोचते तब तक कई बार में लगभग डेढ़ लाख रुपये की खरीदारी का मैसेज आ गया। उन्होंने तत्काल बैंक के कस्टमर केयर से बात कर कार्ड को ब्लाक कराया। अगली सुबह जांच करने पर पता चला कि किसी ने उनके डेबिट कार्ड की डिटेल हासिल करके उन्हें चूना लगा दिया।

Case-2

लंका के पवन राय साइबर क्राइम के शिकार हुए। कुछ दिनों पहले अपने मां के इलाज के लिए बैंक एकाउंट में आठ लाख रुपये डाले थे। किसी ने उनके डेबिट कार्ड की डिटेल हासिल करके पांच लाख रुपये पार कर दिए। इसका पता उन्हें तब चला जब उन्होंने मोबाइल में मैसेज देखा। भागे-भागे बैंक पहुंचे लेकिन किसने उनके रुपये उड़ाये कुछ पता नहीं चला। कार्ड ब्लाक करके बाकी रुपये बचा पाए किसी तरह से।

ये दोनों केसेज यह बताने के लिए काफी हैं कि शहर के लोग तेजी से साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं। बेहद शातिर अनजाने चोर उनके बेहद सुरक्षित माने जाने वाले बैंक एकाउंट से रुपये उड़ा दे रहे हैं। इसका पता तब चल रहा है जब लोगों के रुपये पार हो जा रहे हैं। खासतौर पर त्योहार के वक्त जब लोग बहुत अधिक खरीदारी करते हैं तब ठगी के मामले बढ़ जाते हैं। इस क्राइम को रोकने का कोई इंतजाम किसी के पास नहीं है। साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए शहर में साइबर सेल है लेकिन वर्चुवल व‌र्ल्ड के अपराधियों को पकड़ने में नाकाम है। इसलिए जरूरी है कि अपनी सुरक्षा स्वयं करें। तो यह जानना जरूरी है कि साइबर क्राइम के जरिए कैसे आपके के रुपये चोरी हो रहे हैं उससे बचा कैसे जा सकता है।

हर रोज हो रहा लाखों पार

पूरे देश के साथ बनारस में भी प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल बढ़ा है। डेबिट क्रेडिट कार्ड की सुविधा को देखते हुए लोग रुपये का लेन-देन अब इसके जरिए ही अधिक कर रहे हैं। लेकिन बहुत से लोगों को इसे सुरिक्षत रखने का तरीका नहीं पता होता है। इसका फायदा साइबर की दुनिया में सक्रिय क्रिमिनल उठा रहे हैं। बनारस में लगभग हर रोज दो-चार साइबर क्राइम के मामले सामने आ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार क्रिमिनल डेली लगभग पांच से दस लाख रुपये पार कर दे रहे हैं। वह भी बिना सामने आए।

किसी काम का नहीं साइबर सेल

साइबर क्राइम को रोकने के लिए बनारस पुलिस ने एक साइबर सेल बनाया है। इसमें किसी भी तरह से साइबर क्राइम की शिकायत की जा सकती है। लेकिन इस सेल के बने पांच साल से अधिक हो गए लेकिन कितने केस सॉल्व हुए इसकी गिनती की जाए तो शायद दस का आंकड़ा भी पार नहीं होगा। साइबर सेल है कहां और इसमें शिकायत कैसे की जा सकती है शहर के अधिकांश लोगों को तो यह भी पता नहीं होगा।

ऐसे बनाते हैं शिकार

-साइबर क्रिमिनल फोन करके आपके एटीएम कार्ड को एक्सपायर या बताकर डिटेल हासिल करते हैं।

-एटीएम पिन बदलने की बात कहकर आपका पिन नम्बर ले लेते हैं।

-इनामों का लालच देकर पिन आदि के बारे में जानकारी लेते हैं।

-एटीएम से ट्रांजेक्शन के दौरान मदद के नाम पर पिन हासिल कर लेते हैं।

-एटीएम की क्लोनिंग करके सारी डिलेट पता कर लेते हैं।

-आपकी लापरवाही से लीक हुए एटीएम की डिटेल का लाभ उठाते हैं।

-एटीएम इस्तेमाल करने के दौरान कीपैड के ऊपर एक नकली कीपैड लगाकर या स्लॉट कार्ड की मैग्नेटिक स्ट्रिप रीड करने वाला स्किमर लगाकर भी कार्ड का पिन चुराया जा सकता है।

-अगर आप अपने एकाउंट की सारी डिटेल ऑनलाइन रखते हैं तो इसके लीक होने का खतरा रहता है

-ज्यादातर मामलों में साइबर क्रिमिनल आपके एकाउंट के जरिए ऑनलाइन पर्चेजिंग करते हैं।

-कुछ मामलों में रुपयों को आपके एकाउंट से दूसरे में ट्रांसफर कर लेते हैं।

-उनके हाथ लगने वाली रकम पांच-दस हजार से लेकर लाखों तक हो सकती है।

ऐसे करें बचाव

-आप अपनी जरूरत के अनुसार पैसा निकालने की अधिकतम सीमा भी तय कर सकते हैं।

-पूरी मशीन को चेक करें और अगर कार्ड रीडर का रंग मशीन के रंग से अलग है या वह ठीक तरह से नहीं लगा हुआ है तो उसे इस्तेमाल न करें

-एटीएम बूथ में अगर कोई मशीन अन्य मशीनों से अलग दिख रही है तो उससे पैसा न निकालें।

-मशीन के कीपैड चेक करें। अगर वह सामान्य से मोटा, अलग रंग का या टेढ़ा-मेढ़ा नजर आए तो कभी भी पिन नंबर नहीं डालें। ऐसा हो सकता है कि असली कीपैड के ऊपर एक नकली कीपैड लगाया गया हो।

-एटीएम बूथ में देख लें कि कहीं मशीन के ऊपर या कीपैड के पास कोई कैमरा तो नहीं लगा है।

-जब भी कोई व्यक्ति आपसे आपकी निजी वित्तीय जानकारी जानने की कोशिश करे तो आपको सजग हो जाना चाहिए।

-कोई भी बैंक, इंश्योरेंस कंपनी या अन्य वित्तीय संस्थाएं कभी भी फोन पर नहीं पूछतीं हैं।

-आजकल बैंक से ट्रांजेक्शन में स्मार्टफोन का काफी इस्तेमाल किया जाता है। ऐंटी-वायरस नहीं होने पर फिशिंग या हैकिंग का खतरा बढ़ जाता है

-अपने सारे पासव‌र्ड्स ईमेल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सेव न करें।

-सभी अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड न रखें।

-अनजाने ईमेल को कभी नहीं खोलें और खासकर इसके अटैचमेंट को तो भूलकर भी डाउनलोड न करें।