नकाब से निकला शख्स चीन के मेगाब्रैंड अली बाबा के मालिक जैक मा हैं। हिंदी फिल्म 'दीवार' का डायलॉग थोड़ा एडिट कर दें तो आज चीन के पास दौलत, बैंक बैलेंस, प्रॉपर्टी, बिल्डिंग्स सब हैं और उसके पास मा भी है, जैक मा।

एशिया के सबसे अमीर आदमी!

साल 2017-18 में भारत का जितना रक्षा बजट है, इसमें क़रीब दो हज़ार करोड़ रुपये जोड़ दिए जाएं तो ये जैक मा की कुल संपत्ति है। क़रीब 40 बिलियन डॉलर यानी 2 लाख 61 हज़ार करोड़ रुपये। फ़ोर्ब्स अगस्त 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, जैक मा एशिया के सबसे अमीर कारोबारी हैं।

आज सफल जैक मा की ई-कॉमर्स कंपनी अली बाबा के दरवाजे भले ही हज़ारों, लाखों लोगों के लिए खुले हैं। लेकिन एक ऐसा भी वक्त था, जब जैक मा के लिए कई कंपनियों और यूनिवर्सिटी ने दरवाज़े बंद किए थे। तब मा ने हिम्मत की जैक लगाकर इन बंद दरवाज़ों को 'खुलजा सिम-सिम' कह खोला था।

अथाह दौलत बटोरने वाले चाइनीज 'अली बाबा' जैक मा की कहानी

 

जैक का बचपन

साल 1964 में चीनी प्रांत शिंजियांग के हंग्झो में मा यून का जन्म हुआ। जैक मा के माता पिता चीनी डांस फॉर्म पिंगटान परफ़ॉर्मर थे। ये एक तरह का क्लासिकल डांस फॉर्म है, जिसके ज़रिए कहानी सुनाई जाती है।

बचपन में जैक का मा यून नाम था। उनके नाम जैक पड़ने की कहानी भी दिलचस्प है।

दुबली पतली कद काठी के स्कूली दिनों में जैक पढ़ाई में बहुत ज़्यादा होशियार नहीं थे। न ही वो हठी मिजाज़ के थे। लेकिन जैक के भीतर इंग्लिश सीखने को लेकर ललक थी। इंग्लिश सीखने के लिए जैक ने चीन आने वाले पर्यटकों की मदद ली।

पर्यटकों को जैक चीन घुमाते और बदले में इन लोगों से कहते कि आप मुझे इंग्लिश सिखाइए। ऐसे ही एक टूरिस्ट ने हल्की उम्र के मा यून को जैक नाम दिया। जैक का सारा ज़ोर फ़र्राटेदार इंग्लिश सीखने पर था।

पर्यटकों को घुमक्कड़ी करवाने का जैक को फ़ायदा मिला। उन्होंने इंग्लिश में ही ग्रेजुएशन करने का फ़ैसला किया।

अथाह दौलत बटोरने वाले चाइनीज 'अली बाबा' जैक मा की कहानी

ट्रांसलेशन सेंटर से इंटरनेट का सफ़र

जैक की इंग्लिश इतनी बेहतर हुई कि उन्होंने ट्रांसलेशन सेंटर खोला। इस सेंटर में इंग्लिश से चीनी और चीनी से इंग्लिश भाषा में अनुवाद का काम किया जाता।

जैक ने अपनी अच्छी इंग्लिश के दम पर हंग्झो दियांझी यूनिवर्सिटी में इंग्लिश और इंटरनेशनल ट्रेड भी पढ़ाने लगे। लेकिन ये काम बस एक पड़ाव था, अली बाबा का बनना बाक़ी था।

1994-95 में जैक अमरीका गए। ये वो दौर था, जब चीन में इंटरनेट को बोलबाला नहीं हुआ था।

इंटरनेट से अपने पहले साबका के बारे में जैक ने बीबीसी रेडियो 4 को दिए एक इंटरव्यू में बताया है, ''मेरे दोस्त स्टुअर्ट ने मुझसे कहा कि ये इंटरनेट है, इससे तुम जो चाहो वो खोज सकते हो। मैंने इस पर हैरानी जताते हुए

इंटरनेट पर जो पहला शब्द टाइप किया वो बीयर था। जब बीयर सर्च किया तो मुझे अमरीकी, जर्मनी बीयर तो मिली लेकिन चीन से जुड़ा कोई रिजल्ट नहीं मिला। ये मेरे लिए ताज्जुब की बात थी।''

जैक की ये हैरानी आने वाले दिनों में बड़ा कमाल करने वाली थी।

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दोस्तों के रुपयों से शुरू की कंपनी

जैक ने साल 1996 में चाइना येलो पेजेस की शुरुआत की। इस दौर में चीन में लोगों के घर तक कम्प्यूटर नहीं पहुंचा था।

इसके सिर्फ तीन साल बाद 1999 में जैक मा ने अपने अपार्टमेंट में 17 दोस्तों के साथ मिलकर ई-कॉमर्स वेबसाइट 'अली बाबा' को शुरू किया।

कंपनी शुरू करने की रक़म 60 हजार डॉलर जैक ने दक्षिणी चीन में अपने 80 दोस्तों से जुटाई थी।

'अली बाबा' चीन और बाकी देशों के निर्यातकों को दुनियाभर की कंपनियों से जोड़ती है। अलीबाबा टाओबाओ डॉट कॉम भी चलाती है। ये चीन की सबसे बड़ी शॉपिंग वेबसाइट है। अली बाबा ने आने वाले सालों में अपनी पहुंच पेमेंट वेबसाइट तक भी बनाई है।

अपनी कंपनी का नाम जैक मा ने अली बाबा क्यों रखा? इसके पीछे भी एक दिलचस्प वाकया है।

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अली बाबा नाम रखने की वजह?

जैक मा सेनफ्रांसिस्को के एक कॉफी शॉप में बैठे हुए थे। तभी वहां एक वेटरेस आती है। जैक वेटरेस से सवाल पूछते हैं कि क्या तुम अलीबाबा को जानती हो?

जवाब में वेटरेस कहती है- खुल जा सिम सिम। ये सुनते ही जैक हां बोल देते हैं। जैक कॉफ़ी शॉप में हुए इस टेस्ट के बाद गली में जाकर 30 लोगों से पूछते हैं, ''क्या आप लोग अली बाबा को जानते हैं। जर्मनी, इंडिया, टोक्यो

और चीन... सभी लोग अली बाबा को जानते थे।

जैक मा को अपनी कंपनी का नाम मिल चुका था। कहानियों से निकलकर अली बाबा एक वेबसाइट कंपनी की शक्ल ले चुका था।

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अली बाबा से शादी करने का जुगाड़

जैक मा ने अली बाबा नाम के बारे में बताते हैं, ''अली बाबा चोर नहीं था। वो दयालु था और ये जानता था कि व्यापार कैसे किया जाए। अली बाबा ने ग्रामीण लोगों की भी मदद की।''

इसी तरह अली बाबा कंपनी भी सभी के लिए खुली हुई है। जहां दुनियाभर के लोग जाकर व्यापार कर सकते हैं।

जैक मा ने कहा, ''हमने अली मामा नाम से भी कंपनी रजिस्टर्ड की हुई है, अगर कोई हमसे शादी करना चाहे तो।'' अली बाबा और अली मामा के अलावा जैक मा अब कई मोर्चे पर डटे हुए हैं।

जैक ने जब ऑनलाइन पेमेंट साइट 'अली-पे' शुरू की, तब लोगों ने उनसे कहा कि तुम्हारा अब तक का सबसे बेवकूफ़ाना भरा काम है।

जैक मा का ऐसे लोगों को जवाब था- जब तक लोग इसे इस्तेमाल कर रहे हैं, मुझे इससे मतलब नहीं है कि ये बेवकूफ़ी भरा है या नहीं। आज 80 करोड़ लोग अली पे इस्तेमाल कर रहे हैं।

अथाह दौलत बटोरने वाले चाइनीज 'अली बाबा' जैक मा की कहानी

 

खाली कुंआरे, शॉपिंग में 'भिड़े'

जैसे वेलेंटाइंस डे प्रेमी जोड़ों के मिलन का दिन होता है। चीन में सिंग्लस डे तड़क-भड़क के साथ मनाया जाता है। तारीख 11 नवंबर। यानी डबल इलेवन। इसे एंटी-वेलेंटाइंस डे मान सकते हैं।

जैक मा ने इस तारीख को पैसा कमाने के लिए इस्तेमाल किया। जैसे भारत में त्योहारों पर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर सेल लगती है। ठीक उसी तरह जैक मा ने साल 2009 से 11 नवंबर को शॉपिंग डे का ट्रेंड शुरू किया।

इस सेल में लोगों को छूट दी जाती है। लोग इस सेल का इंतज़ार करते हैं। हर साल कंपनी अपनी ही कमाई का रिकॉर्ड तोड़ती है।

एएफपी के मुताबिक, साल 2017 के सिंग्लस डे पर अली बाबा ने फिर रिकॉर्ड तोड़कर क़रीब 25 बिलियन डॉलर का व्यापार किया।

अथाह दौलत बटोरने वाले चाइनीज 'अली बाबा' जैक मा की कहानी

 

अली बाबा के ख़ज़ाने का राज

वेबसाइट ईबे कंपनियों की लिस्टिंग के लिए फीस चार्ज करता है। अली बाबा कोई फीस चार्ज नहीं करती है। जैक मा ने कमाई का आइडिया वेबसाइट पर मिलने वाले विज्ञापनों को बनाया।

अली बाबा ग्राहकों को कारोबारियों से जोड़ती है। इसके लिए थोड़ा सा कमीशन लिया जाता है। चूंकि ये पूरा सिस्टम ऑनलाइन है, इसलिए इस सिस्टम को काम करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत नहीं होती।

जैक मा की कोशिश दुनिया में अपनी कंपनी के पैर पसारने की है। आए दिन वो कंपनी का व्यापार बढ़ाने के लिए कई राष्ट्रप्रमुखों से मिलते रहे हैं।

इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी शामिल हैं।

 

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जैक की सफलता

जैक की शख़्सियत पर गौर करें तो उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जैक मा ज़्यादातर मौकों पर कोई प्रेजेंटेशन तैयार नहीं करते हैं, वो सीधा मंच पर जाने में यक़ीन रखते हैं।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जैक मा ने अपनी ज़िंदगी के कई राज खोले थे,

हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में 10 बार अप्लाई किया लेकिन हर बार रिजेक्ट हुआ।

जब केएफ़सी चीन आया, तब नौकरी के लिए 24 लोगों ने अप्लाई किया और 23 लोग चुन भी लिए गए। सिर्फ एक को नहीं चुना गया, वो एक मैं था।

हमारी कंपनी में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी हैं। कंपनी में 47 फ़ीसदी महिलाएं हैं। 21वीं सदी में अगर आपको जीत हासिल करनी है तो दूसरों को ताक़तवर बनाइए। मुझे लगता है कि महिलाएं ख़ुद से ज़्यादा दूसरों के बारे में सोचती हैं।

अथाह दौलत बटोरने वाले चाइनीज 'अली बाबा' जैक मा की कहानी

 

जैक के लिए बेस्ट बिज़नेस प्लान

जैक का बिज़नेस प्लान क्या है। इसे यूं समझिए कि वो कहते हैं कि बिज़नेस शुरू करने का सबसे अच्छा प्लान ये है कि कोई प्लान न हो। बैठकर सोचने के लिए वक्त नहीं है।

शायद यही वजह है कि जैक मा अपनी कंपनी के सालाना कार्यक्रम में सफेद बालों में कभी पॉप सिंगर के लिबास में नज़र आते हैं तो कभी पॉप स्टार के लुक में।

पढ़ाई के दिनों से जैक के साथ रही कैथी झांग उनकी पत्नी हैं। दो बच्चों और 'अली बाबा' के पापा जैक मा चीन, एशिया के बाद अब दुनिया में छाए हुए हैं। कयास तो ये भी लगाए जाते हैं कि वे राजनीति में भी आ सकते हैं।

 

मार्शल आर्ट के खिलाड़ी- जैक मा

जैक मा बिज़नेस के साथ-साथ मार्शल आर्ट भी सीख रहे हैं। वो कितना अच्छा सीख पाए हैं, इसकी एक झलक Gong Shou Dao शॉर्ट फिल्म में देखी जा सकती है।

जैक मा जल्द ही इस शॉर्ट फिल्म में नज़र आएंगे। इस फिल्म के ट्रेलर में रफ़्तार से आती बास्केट बॉल को रोकने से लेकर फ़ाइट सीन तक जैक मा विरोधियों को पटखनी देते नज़र आते हैं।

कुछ कुछ वैसी ही पटखनी जैसे उन्होंने विश्व बाज़ार में अपने विरोधियों को दी है।

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