कैसे चकनाचूर हुआ सपना
59 किलोग्राम में खेलने वाली अलका ने ओलंपिक में खेलने के लिए 63 किलोग्राम भार वर्ग में खेलना शुरू किया। वल्र्ड कुश्ती चैंपियनशिप सहित सभी ओलंपिक क्वालीफाई टूर्नामेंट में अलका को नहीं चुना गया। आखिरी क्वालीफाई टूर्नामेंट के लिए चयन में बेइमानी हुई और हाईकोर्ट के फरमान के बाद गीतिका को फिनलैंड भेजा गया। आखिरकार वो क्वालीफाई नहीं कर सकी और अलका की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई। अब 63 किलोग्राम भार वर्ग में कोई भी पहलवान लंदन ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व नहीं करेगा।
रोल मॉडल
अलका तोमर एक ऐसा नाम बना, जिसने गांव की लड़कियों के सपने संजोए। उन्हें गांव से बाहर की दुनिया जीने का हौसला दिया। वो अलका की चमक ही थी, जिसके पीछे आज पूरे वेस्ट यूपी में कुश्ती में लड़कियां अपना लोहा मनवा रही हैं।
कुश्ती ग्रांप्री होगा आखिरी टूर्नामेंट
भरे मन से अलका तोमर अब दिल्ली में होने वाली दोस्ताना कुश्ती ग्रांप्री टूर्नामेंट में भाग लेगी, जो अलका का आखिरी टूर्नामेंट होगा। 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर अलका का कद और बढ़ गया था। वहीं अलका वल्र्ड कुश्ती चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीतकर पहली महिला बनी, जिसने इस चैंपियनशिप में कोई मेडल जीता।
मैं लंदन ओलंपिक को लेकर काफी कांफीडेंट थी। मेरे सामने दुनिया का जो भी पहलवान आता मुझमें उसे चित करने का दम था। काश एक मौका मिलता और मेरा ओलंपिक खेलने का सपना पूरा होता। संघ की घटिया राजनीति ने मेरा करियर खत्म कर दिया। दिल्ली में होने वाले टूर्नामेंट में खेलने का मन नहीं है। अगर खेलूंगी तो ये आखिरी टूर्नामेंट होगा।
- अलका तोमर
अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी
मैंने अपनी पूरी कोशिश की, अलका के लिए आखिरी लड़ाई तक लड़ी, लेकिन नतीजा सिफर रहा। आज मेरी वर्षों की मेहनत शून्य हो गई। मैंने सब कुछ खो दिया।
- जबर सिंह सोम, अलका के कोच
अलका को मिले अवार्ड
अर्जुन अवार्ड 2008
लक्ष्मीबाई अवार्ड 2004
कांशीराम अवार्ड 2011
ACHIEVMENTS
- वल्र्ड कुश्ती चैंपियनशिप, चीन, 2006, ब्रांज मेडल
- एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप, एक सिल्वर मेडल, चार ब्रांज
- एशियन गेम्स, दोहा, एक ब्रांज मेडल
- कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप, चार गोल्ड, एक सिल्वर, एक ब्रांज
- कॉमनवेल्थ गेम्स, दिल्ली, एक गोल्ड मेडल
STORY BY NIKHIL SHARMA