पूरी तैयारी के साथ है भारत
इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को लेकर मेहनत करनी शुरु कर दी है। इसरो अध्यक्ष किरण कुमार ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का नाम 'गगन' रखा गया है। उन्होंने कहा कि गगन पेलोड के साथ जीसैट-15 सैटेलाइट 10 नवंबर को प्रक्षेपित की जाएगी। अभी दो 'गगन' प्रणालियां एक्टिव हैं और ये काम भी कर रही हैं। जबकि 4 नेविगेशन सैटेलाइट अंतरिक्ष में हैं और आंकड़े उपलब्ध करवा रहे हैं। फिलहाल अगला 'गगन' पेलोड जीसैट-15 के साथ ऊपर जाएगा। हमें उम्मीद है कि मार्च 2016 तक सभी सात IRNSS को कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा।

भारत के साथ अन्य देशों को फायदा
किरण कुमार ने कहा कि इसरो का उद्देश्य साफ है। वह सैटेलाइट से प्राप्त होने वाले सिगनल्स को सिर्फ भारत और आसपास के देशों को ही नहीं बल्िक पूरी दुनिया को उपलब्ध करवाएगा। वहीं स्पेस एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि इसको लेकर हमारा काम प्रगति पर है। इसके चलते हम आत्मनिर्भर बन सकेंगे। यही नहीं किरण कुमार ने देश को 'नेविगेशन सर्विस' उपलब्ध करवाने में इसरो की मदद करने के लिए एएआई और नागरिक उड्उयन विभाग के प्रयासों की भी सराहना की।

जीपीएस से होगा बेहतर

भारत की 'गगन' नेविगेशन सिस्टम' ग्लोबली इस्तेमाल होने वाली जीपीएस सिस्टम से बेहतर होगी। क्योंकि इससे स्थिति की विश्वसनीय और प्रामाणिक जानकारी मिलती है। किरण कुमार ने इसरो सैटेलाइट सेंटर में जीएनएसएस यूजर मीट में कहा कि 'गगन' युक्त सर्विसेज जीपीएस की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय होंगी। जीपीएस तो किसी भी समय बंद हो सकता है लेकिन गगन नेविगेशन सिस्टम में ऐसा कुछ नहीं है।

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