क्या है GST
'गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स’ यानी 'जीएसटी’ एक नया टैक्स है जो एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स, सीएसटी वगैरह जैसे कई टैक्सों को रिप्लेस करेगा। यानि आम आदमी की नजरों से देखें, तो अभी जो 30 से 35 प्रतिशत तक टैक्स भरता है उसे करीब आधा यानी 17 से 18 प्रतिशत तक ही टैक्स देना पड़ेगा। हालांकि यह अलग-अलग सामान पर निर्भर करेगा।
GST में चार स्लैब :
जीएसटी की चार दरें 5%, 12%, 18% और 28% तय हुई हैं। हालांकि अभी तो यह टैक्स इतने ही रहेंगे, लेकिन जरूरत पर बढ़ाए इन्हें 40% तक बढाया भी जा सकता है। इस बात का जिक्र जीएसटी बिल में पहले ही कर दिया गया है।
किस पर कितना टैक्स:
- जीएसटी बिल में साफ है कि चावल और गेहूं जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कोई कर नहीं लागू होगा।
- वहीं मसालों, चाय और खाद्य तेल जैसे बड़े पैमाने पर खपत के सामान के लिए पर 5% की सबसे कम कर दर प्रस्तावित है।
- सबसे अधिक विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं को कवर करने में 12% और 18% की दो "मानक" में कर लागू होंगे।
- वहीं 28% का उच्चतम कर, लक्जरी कारों, पान मसाला, तम्बाकू और मंहगे पेय पदार्थों आदि पर लगाया जाएगा।
राज्यों को मुआवजा :
राज्यों के बीच होने वाले कारोबार में एक प्रतिशत अतिरिक्त कर भी नहीं लगेगा, इसके चलते अगर राज्यों को नुकसान होगा तो केंद्र सरकार 5 साल तक सौ प्रतिशत का मुआवजा देगी। इस बारे में सरकार और व्यवसाय जुड़े लोगों दोनों का ही मानना है कि पूरे देश में कारोबार करना आसान हो जायेगा, जिससे जीडीपी में भी कम से कम 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।
क्यों चाहिए जीएसटी :
जीएसटी की जरूरत इसलिए बताई जा रही है क्योंकि इसके लागू होने पर केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों की उलझन खत्म हो जायेगी। इसके चलते आम आदमी पर कई परतों में पड़ रहे एक्साइज, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, वैट, सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स और ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स जैसे कई करों का बोझ समाप्त हो जायेगा।
एक देश समान टैक्स :
इसके चलते पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से राज्यों के बीच कीमतों का अंतर भी घटेगा। सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम से कम 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
कौन चुकायेगा जीएसटी :
जीएसटी का भुगतान सभी निर्माताओं और विक्रेताओं को करना होगा। इसके अलावा टेलिकॉम प्रोवाइडर, कंसल्टेंडस और चार्टेड अकाउंटेंट जैसे तमाम सर्विस प्रोवाइडर्स भी GST कर दाता होंगे। आप कह सकते हैं कि GST का जन्म तमाम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष करों बोझ खत्म करने के लिए हुआ है।
जीएसटी में इतनी छूट:
वहीं सिर्फ पूर्वोत्तर राज्यों में, 10 लाख रुपये या उससे नीचे के वार्षिक कारोबार को जीएसटी से छूट दी जाएगी। जबकि वहीं पूरे देश में इसकी सीमा 20 लाख रुपये रखी गई है।
आपकी जेब असर यानि क्या होगा मंहगा :
आपको बता दें कि चाय-कॉफी, डिब्बाबंद खाने के समान के 12 फीसदी तक महंगे होने के आसार हैं क्योंकि इन प्रोडक्ट्स पहले ड्यूटी नहीं लगती थी पर अब ये टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। इसके साथ मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल भी महंगा होगा। सर्विसेस पर 15 प्रतिशत टैक्स लगता है जिसमें 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स, 0.5 फीसदी स्वच्छ भारत सेस और 0.5 प्रतिशत कृषि कल्याण सेस शामिल है जो जीएसटी के बाद बढ़कर 18 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा। GST आने के बाद MRP पर भी टैक्स लगने लगेगा। कीमती पत्थरों और जेवर का भी महंगा होना तय है क्योंकि पर लगने वाली ड्यूटी 3 प्रतिशत से बढ़ कर 17 प्रतिशत तक हो जाएगी। रेडिमेड गारमेंट भी महंगे होंगे क्योंकि 4 से 5 फीसद वैट GST के बाद बढ़ कर 12 प्रतिशत हो जाएगा।
ये फायदा क्योंकि ये चीजें होंगी सस्ती :
इस बिल के लागू होने के बाद लेनदेन पर से वैट और सर्विस टैक्स ख़त्म हो जाएगा, ऐसी स्थिति में घर खरीदना और रेस्टोरेंट में खाना सस्ता हो जायेगा। अब तक वैट हर राज्य के लिए अलग-अलग, बिल के 40 प्रतिशत हिस्से पर 6 और 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स पर लगता है जबकि जीएसटी में सिर्फ एक टैक्स लगेगा जो आपकी जेब के लिए फायदे का सौदा होगा। साथ ही आम आदमी के जरूरत की चीजें जैसे एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि ससते हो सकते हैं। इसकी वजह ये है कि अभी ऐसी चीजों पर फिलहाल 12.5 परसेंट एक्साइज और 14.5 परसेंट वैट लगता है, जबकि जीएसटी के बाद सिर्फ 18 फीसद टैक्स लगेगा। खरीदारी के अलावा माल की ढुलाई भी 20 प्रतिशत सस्ती होगी जिसका फायदा लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को मिलने की संभावना है।Business News inextlive from Business News Desk
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