ओपन काउंटर से हो रही टीबी की दवाओं की बिक्री पर शासन ने लगाई लगाम

हर माह देना होगा हिसाब, एमडीआर और ए1सडीआर के मरीजों की बढ़ती सं2या पर उठाया कदम

ALLAHABAD: एंटी टीबी दवाओं की अंधाधुंध बिक्री दवा विक्रेताओं के लिए घातक साबित हो सकती है। शासन ने इन दवाओं के ओपन काउंटर से बिना रिकॉर्ड बेचने पर रोक लगा दी है। ड्रग वि5ाग का कहना है कि इन दवाओं की बिक्री का हर महीने हिसाब देना होगा। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, प्रदेश में टीबी के प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों की बढ़ती सं2या को दे2ाते हुए यह निर्णय लिया गया है।

कोर्स पूरा नहीं करने पर मुश्किल

टीबी के मरीजों को डॉ1टरी सलाह पर पूरा कोर्स करना होता है। ऐसा करने से उनको जानलेवा रोग से निजात मिल जाती है। लेकिन, हाल ही में सरकार के एक सर्वे में सामने आया कि ओपन काउंटर से आसानी से एंटी टीबी ड्रग उपल4ध हो जाने से मरीज इसका सेवन कर रहे हैं और प्रॉपर कोर्स नहीं करने से उनमें एमडीआर और ए1सडीआर जैसे टीबी की 2ातरनाक स्टेज डेवलप हो जाती है। इसमें किसी तरह की दवा का असर शरीर पर नहीं होता और मरीज की जान पर बन आती है। ऐसे मरीजों की बढ़ती सं2या को लेकर शासन ने कठोर कदम उठाया है।

एंटी टीबी अ5िायान को लग रहा पलीता

शासन द्वारा एंटी टीबी अ5िायान जोर-शोर से चलाया जा रहा है लेकिन ओपन काउंटर से इन दवाओं की 2ाुलेआम बिक्री से इस अ5िायान को पलीता लग रहा है। ऐसे में अब फुटकर दवा विक्रेताओं को हर माह के अंत में इन दवाओं की बिक्री का पूरा रिकॉर्ड ड्रग वि5ाग को सौंपना होगा। ऐसा नहीं करने वालों के 2िालाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह देना होगा रिकॉर्ड

-दवाओं की 2ारीद-बिक्री

-उपल4ध स्टाक

-मरीजों का पर्चा

-दूसरे महत्वपूर्ण डॉ1यूमेंट्स

इन दवाओं का देना होगा हिसाब

शासन ने अपने आदेश में टीबी की कुल तेरह दवाओं को शामिल किया गया है, जिनका हिसाब हर माह देना होगा। इनमें एथियोनामाइड, इथंबुटाल हाइड्रो1लोराइड, साइ1लोसेरीन, सोडियम पैरा-एमिनोसेलिसिलेट, रिफा6िपसिन, थियासिटाजोन, लिवो3ला1सासिन, रिफाबुटिन, कैपरियोमाइसिन, 1लोफाजिमिन, मॉ1सी3ला1सासिन, पाइराजीनामाइड, और आइसोनियाजाइड शामिल हैं। अब शेड्यूल एच-1 दवाओं की श्रेणी में होंगी।

टीबी के मरीजों को पूरा कोर्स करना होता है। लेकिन वह फुटकर दुकानों से 2ारीदकर दवा 2ा लेते हैं। इससे उनके शरीर में रेजिस्टेंस डेवलप हो जाता है और वह टीबी की एमडीआर व ए1सडीआर श्रेणी में शामिल हो जाते हैं। इसलिए यह कदम उठाया गया है।

-केजी गुप्ता, असिस्टेंट कमिश्नर ड्रग

दवा व्यापारी इस नियम का विरोध करेंगे। बिना डॉ1टरी पर्चे के टीबी की दवाएं नहीं बेची जाती हैं। अधिकतर मरीज सरकारी हॉस्पिटल की दवाएं 2ाते हैं। हमलोग इस समस्या के जि6मेदार नहीं हैं। सरकार को नियम के बारे में फिर से सोचना चाहिए।

-परमजीत सिंह, महामंत्री, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन