इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुन्देलखंड की बदहाली पर सरकार से पूछा सवाल
चीफ सेक्रेट्री से गांव स्तर पर गरीबों की कैंटीन पर मांगा हलफनामा
राज्य सरकार ने लखनऊ में पांच व दस रुपये में भरपेट भोजन के लिए कैंटीन खोल दी है। सांसद, विधायक, सचिवालय अधिकारियों को सस्ती दर पर कैंटीन सुविधा उपलब्ध है तो इसे भुखमरी झेल रहे बुंदेलखंड के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों को क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा सकता। इस सवाल के साथ
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सस्ते दर पर अनाज के बजाय कम दर पर पका भोजन उपलब्ध कराने की योजना लागू करने पर मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और कहा कि यह हलफनामा दाखिल नहीं होता तो वह 5 मार्च को वह खुद हाजिर हों।
जनहित याचिका पर सुनवाई
यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस हर्ष कुमार की खंडपीठ ने बुंदेलखंड उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि गरीबों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने में भारी सब्सिडी सरकार दे रही है। यदि सब्सिडी बंद कर इसी को पका हुआ भोजन ग्रामपंचायत स्तर पर फिर प्रत्येक गांव में उपलब्ध कराने की कोशिश करे ताकि बुंदेलखंड के गरीबों की भूख से मौत रुक जायेगी।
बहस में दिये गये तर्क
69 हजार वर्गमीटर है बुंदेलखंड एरिया की
40.5 मिलियन आबादी निवास करती है यहां
सात जिलों की 70 फीसदी आबादी 4500 गांवों में निवास करती है
सूखे से पीडि़त एरिया के विकास के लिए सरकारों ने भारी अनुदान दिया है
बालू, पत्थर, ग्रेनाइट से धनी क्षेत्र की जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है
खनन माफिया अधिकारियों की मिली भगत से भूगर्भ सम्पत्तियों का दोहन कर रहे हैं
चम्बल कुंवारी, पहुज, सिन्ध, बेतवा आदि नदियां होने के बाद भी पीने व सिंचाई के पानी का संकट है
आदमी ही नहीं, जानवरों का जीवन मुश्किल हो गया है
भोजन का लोगों को मूल अधिकार प्राप्त है। इसलिए लोगों को एक, दो व पांच रुपये में भोजन की व्यवस्था की जाय ताकि लोग भूख से न मरने पायें।
इलाहाबाद हाई कोर्ट