प्रधानमंत्री से मिलेंगे एडवोकेट्स, बिल के विरोध में आज हड़ताल पर रहेंगे

वकीलों का आरोप, बिल पास हुआ तो बार एसोसिएशन का अस्तित्व हो जाएगा समाप्त

ALLAHABAD: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो अप्रैल को हाईकोर्ट इलाहाबाद के 150वें स्थापना दिवस समापन समारोह में शामिल होने इलाहाबाद आ रहे हैं। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अधिवक्ता न्यायमूर्ति बीएस चौहान द्वारा प्रस्तावित एडवोकेट्स बिल 2017 के विरोध में हैं। उन्होंने विरोध में 31 मार्च को न्यायिक कार्य से विरत रहने का फैसला लिया है। साथ ही इलाहाबाद आ रहे प्रधानमंत्री से मिलकर भी विरोध जताने का निर्णय लिया है।

असंवैधानिक है प्रस्तावित बिल

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी न्यायमूर्ति बीएस चौहान के प्रस्तावित एडवोकेट्स बिल 2017 का विरोध किया है। ये बिल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि अगर ये बिल पास हुआ तो बार एसोसिएशन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, जो संविधान में दिए गए मूल अधिकारों का हनन होगा। जब अधिवक्ता खुद ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, भयभीत रहेंगे तो वे आम जनता को क्या न्याय दिलाएंगे। प्रस्तावित बिल पास हो जाता है तो कोई भी न्यायाधीश, न्यायिक अधिकारी, मुवक्किल मुकदमे में अपने अनुकूल बात न होने पर आसानी से वकील के खिलाफ अविधिक, अमर्यादित व असम्मानित टिप्पणी कर सकता है।

पीएम से मिल कर करेंगे विरोध

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बिल वकीलों के स्वायत्तता, लोकतांत्रिक व्यवस्था के विपरीत है। अत: प्रस्तावित बिल के पूर्ण विरोध में सभी अधिवक्ता 31 मार्च को न्यायिक कार्य से विरत रह कर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि दो अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर बिल खारिज करने की मांग की जाएगी। इस दौरान मंगला प्रसाद त्रिपाठी, पंकज कुमार उपाध्याय, उदय शंकर तिवारी, शशि शेखर तिवारी आदि मौजूद रहे।

वे प्रस्ताव जिनका हो रहा विरोध

जज या कोई भी न्यायिक पदाधिकारी लापरवाही व अनुशासनहीनता पर बिना नोटिस या सुनवाई का मौका दिए वकील का लाइसेंस रद्द कर सकता है।

राज्य बार काउंसिल के आधे से ज्यादा सदस्य उच्च न्यायालय द्वारा नामित किए जाएंगे। इन सदस्यों में डॉक्टर, इंजीनियर, बिजनेसमैन आदि होंगे।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य का कोई चुनाव नहीं होगा तथा सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, केंद्रीय निगरानी आयुक्त द्वारा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आधे से ज्यादा सदस्य नामित किए जाएंगे।

काम में लापरवाही, अनुशासन तोड़ने पर वकीलों पर न सिर्फ कार्रवाई होगी, बल्कि वकीलों को उपभोक्ता आयोग द्वारा तय नियमों के मुताबिक हर्जाना देना होगा।