सुनवाई में रुचि न लेने पर हाई कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

एक आपराधिक अपील की सुनवाई में रुचि नहीं ले रहे वकीलों पर सख्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि यदि वकीलों को मुकदमों में रुचि नहीं है तो क्यों न अदालत वादकारी की राय लेकर न्यायमित्र नियुक्त कर दे। कोर्ट ने दोनों अधिवक्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न जेल में बंद वादकारी की राय लेकर न्यायमित्र नियुक्त किया जाए। ताकि वह अपील के निस्तारण में अदालत का सहयोग कर सके।

दोनो वकीलों को नोटिस जारी

इसके पूर्व अदालत ने अपीलार्थी की प्रथम जमानत अर्जी खारिज करते हुए अपील पर अंतिम सुनवाई हेतु पेपर बुक तैयार करने का आदेश दिया था। इसके बाद द्वितीय जमानत प्रार्थना दाखिल किया गया। वादी के अधिवक्ता ने बहस की कि अंतिम सुनवाई नहीं हुई है इसलिए याची जमानत का हकदार है। पेपर बुक तैयार नहीं होने के कारण इस बार भी जमानत निरस्त हो गई। इसके बाद केस कई बार अंतिम सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया गया। मगर अपीलार्थी की ओर से कोई अधिवक्ता बहस के लिए उपस्थित नहीं हुआ। इसे देखते हुए कोर्ट ने इस मुकदमें के दोनों वकीलों को नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों न इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया जाए।