तत्काल बहाली का निर्देश, बिना आरोप साबित किये सेवा समाप्ति अवैधानिक करार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के इंस्पेक्टर गिरीश चन्द्र द्विवेदी की सेवा समाप्ति आदेश को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इतना अधिक समय बीत चुका है, इसलिए नये सिरे से विभागीय जांच का निर्देश देना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने याची इंस्पेक्टर को तत्काल सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है.यह आदेश जस्टिस एमपी त्रिपाठी ने आइटीआइ नैनी इकाई में कार्यरत रहे गिरीश चन्द्र द्विवेदी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
क्या था पूरा मामला
इंस्पेक्टर के विरुद्ध एक महिला कांस्टेबल ने गंभीर आरोप लगाये थे
जिसकी जांच में नियमों की अनदेखी की गयी
याची को गवाह पेश करने या गवाहों की प्रतिपरीक्षा करने का मौका नहीं दिया गया।
आरोप को सिद्ध किये बगैर उसे दोषी करार देते हुए डीआईजी ने सेवा से हटाने का आदेश दिया
कोर्ट ने दिया आदेश
सेवा समाप्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया
आरोप निराधार थे जिन्हें साबित नहीं किया गया
ऐसे में अनुशासनिक कार्यवाही को वैध नहीं कहा जा सकता
जांच में वैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों की अनदेखी की गयी है
सेवा से हटाने का आदेश रद करके याची को तत्काल बहाल करने का आदेश देना न्याय संगत होगा
जितने समय तक याची सेवा से बाहर रहा है, उतनी अवधि का वेतन पाने का हकदार नहीं है
कोर्ट ने काम नहीं तो वेतन नहीं के सिद्धान्त के तहत यह आदेश दिया है।