इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सहायक अध्यापक पद पर सेनानी कोटे में नियुक्ति देने से इनकार का आदेश किया निरस्त

बीएसए को नियमानुसार निर्णय लेने के लिए छह सप्ताह का मौका

संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीमकोर्ट का आदेश पूरे देश पर बाध्यकारी है। सुप्रीम कोर्ट में मेसर्स ईस्ट इंडिया कामर्शियल कम्पनी लिमिटेड में स्पष्ट कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश भी प्रदेश की अदालतों अधिकरणों व प्राधिकरणों पर बाध्यकारी है। ऐसे मे बीएसए ईशा त्यागी के फैसले को मानने के लिए बाध्य है। इसके अनुसार सेनानी की नातिन को भी सेनानी कोटे का लाभ दिया जाएगा। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने याची की सेनानी आश्रित मानते हुए नियुक्ति पर विचार करने से इन्कार करने के 8 जून 2017 के आदेश को रद कर दिया है और बेसिक शिक्षा अधिकारी को 6 सप्ताह में नियुक्ति पर नियमानुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल ने मोनिका की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

72825 नियुक्तियों का मामला

याची का कहना है कि वह सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की योग्यता रखती है। उसने 40 जिलों में 72825 अध्यापक की भर्ती विज्ञापन के तहत आवेदन किया। उसमें आजमगढ़ शामिल है। याची स्वतंत्रता सेनानी स्व। हरदेव सिंह की पुत्री श्रीमती पुष्पा देवी निवासी गाजीपुर की पुत्री है। उसने भी आवेदन किया था। उसका आवेदन डायट के प्रधानाचार्य ने 8 जून 2017 के आदेश से निरस्त कर दिया। उन्होंने याची को सेनानी आश्रित नहीं माना जबकि याची स्वतंत्रता सेनानी की शादीशुदा नातिन है।