प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को सौंपी गयी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 2017-18 में धांधली की जांच

नीट क्लीयर करने के बाद भी मेडिकल के पीजी कोर्स में दाखिला पाने से वंचित रह गए छात्र इस साल प्रवेश तो नहीं पा सके लेकिन इसके एवज में उन्हें दस-दस लाख रुपया मिलेगा। इसका भुगतान करने का आदेश महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश को दिया गया है। यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया है और प्राइवेट मेडिकल कालेजों के परास्नातक कोर्स की नीट प्रवेश परीक्षा 2017-18 की काउंसिलिंग के समय की गयी धांधली की जांच प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश को सौंप दी है। कोर्ट ने दो माह के भीतर जांच पूरी कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रवेश की समय सीमा समाप्त हो चुकी है और याचीगण को पीजी कोर्स में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती इसलिए वे मुआवजा पाने के हकदार है। यह आदेश जस्टिस तरुण अग्रवाल और अजय भनोट की खण्डपीठ ने कुमारी भावना तिवारी व अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर आरके ओझा, रविकान्त, महेन्द्र प्रताप सिंह, एके सिंह आदि ने बहस की।

प्रवेश को लेकर हुआ झाम

याचीगण का किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ में प्रवेश पत्र जारी हुआ किन्तु सीट खाली न होने के कारण समय से प्रवेश नहीं हो सका

आरोप है कि पसन्द की सीट बिकल्प के आधार पर 80 फीसदी सीटें ब्लॉक कर दी गयी और बाद में प्रवेश में कालेजों द्वारा मनमानी की गयी

काउन्सिलिंग में सफल अभ्यर्थियों को यह कहकर प्रवेश देने से इन्कार कर दिया गया कि सीट खाली नहीं है

इसी को आधार बनाकर याचिकाएं दाखिल की गयी

बताया गया कि दूसरे राउन्ड तक 30 फीसदी सीटे भरी थी

70 फीसदी सीटे मॉप अप राउन्ड में भरी गयी

याची प्रथम द्वितीय राउन्ड में सफल थे किन्तु उन्हें प्रवेश न देकर माप अप राउन्ड से सीटे भर ली गयी।

भविष्य में होने वाली प्रवेश परीक्षा में पहली व दूसरी राउन्ड की काउन्सिलिंग में विन्डो खुली रखी जाय। प्रवेश लिए छात्रों को स्ट्रीम उच्चीकृत करने की छूट दी जाय। इसके बाद बची सीटे मॉप अप राउन्ड से भरी जाय। योग्य अभ्यर्थियों को पसन्द की सीटे व बेहतर स्ट्रीम में प्रवेश लेने की अनुमति दी जाय।

इलाहाबाद हाई कोर्ट