सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहायी का मामला

सरकार ने वृद्ध, अशक्त कैदियों की समय से पूर्व रिहायी की नीति तो बना दी कि लेकिन, इसके क्लॉज से कन्फ्यूजन क्रिएट हो गया है। नतीजा 24 साल से जेल में बंद कैदी की रिहाई नहीं हो पा रही है। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह उत्तर प्रदेश अरविन्द कुमार को अवमानना नोटिस जारी की है और 4 हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाय। यह आदेश जस्टिस यशवन्त वर्मा ने अभिलाषा सिंह की अवमानना याचिका पर दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहाई की गाइड लाइन बनाने का निर्देश दिया था जिसका पालन न करने पर यह याचिका दाखिल की गयी है। याचिका पर अधिवक्ता केके राय, चार्ली प्रकाश ने बहस की।

याची का कथन

उसके पिता मनफूल केंद्रीय कारागार नैनी में आजीवन कारावास की सजा पिछले 24 वर्ष से भुगत रहे हैं

महानिरीक्षक कारागार ने दिसम्बर 2013 में राज्य सरकार को लिखा है कि वृद्ध, अशक्त, अपंग, महिला व लम्बे समय से सजा भुगत रहे सजायाफ्ता कैदियों की समय से पहले रिहायी की स्पष्ट नीति बनायी जाय

मानवाधिकार आयोग ने भी 2003 में उच्च स्तरीय कमेटी गठितकर समय पूर्व कैदियों की रिहायी नीति तैयार करने को कहा है

हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहायी की स्पष्ट नीति तैयार करने का निर्देश दिया है

स्पष्ट नीति के अभाव के चलते याची के पिता की 24 साल के बाद भी रिहायी नहीं हो पा रही है

सरकार ने समय पूर्व रिहायी की योजना बनायी है किन्तु स्पष्ट न होने के कारण सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है।