राज्य सरकार से कोर्ट ने मांगा जवाब, सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला

2011 की भर्ती में 2012 के 95 अभ्यर्थियों की बढ़ सकती है मुश्किलें, सुनवाई 19 को

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही गलत ढंग से नियुक्त विपक्षी चार अध्यापकों को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर 2011 की भर्ती के अभ्यर्थियों में से सामान्य के 70 फीसदी व आरक्षित वर्ग के 60 फीसदी अंक पाने वालों की नियुक्ति का आदेश दिया है। किन्तु 7 दिसंबर 2012 के विज्ञापन के 95 अभ्यर्थियों को भी सरकार ने नियुक्त कर लिया जिन्होंने 2011 की भर्ती में अर्जी ही नहीं दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 दिसंबर 12 की भर्ती पर विचार नहीं किया। ऐसे में 95 सहायक अध्यापकों को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। मामले की सुनवाई 19 सितंबर को होगी।

आवेदन फॉर्म ही नहीं भरा था

यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन और ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने ऋषि श्रीवास्तव व नौ अन्य की अपील की सुनवाई करते हुए दिया है। अपील पर अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी व सीमान्त सिंह ने पक्ष रखा। प्रभाकर अवस्थी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार बनाम शिव कुमार पाठक व अन्य केस पर अंतरिम आदेश से 14 हजार सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की गयी है। जिसमें से 95 नियुक्त अध्यापकों ने 2011 की भर्ती में आवेदन ही नहीं भरा था। 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसले में केवल 2011 की भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आदेश दिया है। जबकि सीमान्त सिंह का कहना था कि 7 दिसंबर 12 की भर्ती को अंतरिम आदेश से शामिल किया गया। कोर्ट ने उन सभी को नियुक्त करने को कहा था जिन्होंने याचिका दाखिल की थी। इसी वजह से 2012 की भर्ती के अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि 2012 की भर्ती पर विचार नहीं किया है।