योगी को मिली राहत

इस प्रकरण में योगी आदित्यनाथ के अलावा आठ अन्य लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। यह आदेश जस्टिस वीके नारायण ने राशिद खान की याचिका पर दिया है। याची की तरफ से अधिवक्ता एसएफए नकवी और राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राघवेंद्र प्रताप सिंह, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता एके संड ने पक्ष रखा।

भड़काऊ भाषण देने का आरोप

बता दें कि याची राशिद खान ने गोरखपुर जिले के कोतवाली थाने में 2007 में हुए दंगे की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें तत्कालीन सांसद (अब मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ के अलावा आठ अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, जिन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया है। विवेचना के बाद दो जून 2009 को सभी आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया लेकिन, धारा 153 ए के तहत अभियोजन स्वीकृत न होने की दशा में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया। बाद में अभियोजन स्वीकृति आने पर धारा 153 ए में भी आरोप पत्र दाखिल किया गया। निचली अदालत की ओर से दोनों आरोप पत्र को 13 अक्टूबर 2009 और 28 नवंबर 2009 को संज्ञान लिया गया था।

आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी

इन दोनों आरोप पत्र को संज्ञान लेने के आदेश के विरुद्ध एक अभियुक्त महेश खेमका ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की, जिस पर अपर जिला और सत्र न्यायाधीश गोरखपुर ने 28 जनवरी 2017 को अभियोजन स्वीकृति सक्षम अधिकारी की ओर से न दिए जाने के आधार पर संज्ञान लेने के आदेश को निरस्त कर दिया और नए सिरे से सुनवाई का निर्णय लेने का आदेश दिया। इस आदेश को राशिद खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसे गुरुवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।