इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा

ईआईआईएलएम की डिग्री मान्य नहीं, फिर भी सीएमपी में दी नौकरी

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और उसके कान्सटीट्यूएंट कॉलेजेस में चल रहे टीचर्स रिक्रूटमेंट प्रॉसेस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। टीचर्स रिक्रूटमेंट एडवरटीजमेंट और स्क्रीनिंग के बाद क्वालीफिकेशन में भी गड़बड़झाला प्रकाश में आ रहा है। कॉलेजेस में फटाफट अप्वॉइंटमेंट और सेलेक्टेड कैंडिडेट्स की लिस्ट को लेकर आरोप लगे हैं। अब एक नया मसला फर्जी डिग्री पर अप्वॉइंटमेंट का सामने आया है।

2009-10 के बाद की डिग्री अवैध

शायद आप विश्वास न करें, जिसके पास पीजी की डिग्री ही नहीं वह असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया। ऐसा सीएमपी डिग्री कॉलेज में पॉसिबल हुआ है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए क्वालीफिकेशन व गाइडलाइन तय की है। इसके बावजूद ज्योति अग्रवाल (करेंट में ज्योति श्रीवास्तव) को ऐसे इंस्टीट्यूट की पीजी डिग्री पर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया गया है, जिसे यूजीसी की मान्यता ही नहीं है। सिक्किम की प्राइवेट यूनिवर्सिटी इस्टर्न इंस्टीटयूट फॉर इंटीग्रेटेड लर्निग इन मैनेजमेंट से इयर 2012 में मैथ में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री लेने वाली ज्योति अग्रवाल का सेलेक्शन सीएमपी के मैथ डिपार्टमेंट में हुआ है। यूजीसी ने ईआईआईएलएम की बीए हॉस्पिटलिटी एंड टूरिज्म, बीसीए और एमबीए के अलावा 2009-10 के बाद की बाकी सभी सब्जेक्ट की डिग्रियों को अवैध डिक्लेयर किया है।

यूजीसी और ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट ने किया क्लियर

यूनिवर्सिटी इस्टर्न इंस्टीटयूट फॉर इंटीग्रेटेड लर्निग इन मैनेजमेंट के डिफरेंट कोर्सेस को लेकर की गयी कई कम्पलेन्स के मद्देनजर यूजीसी ने एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने 27 से 29 अप्रैल 2015 तक ईआईआईएलएम परिसर का दौरा किया। इसके बाद सिक्किम के डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन रिसोर्स ने 15 मई 2015 को एक लेटर जारी कर इन्फार्म किया कि तीन डिग्रियों बीए हॉस्पिटलिटी एंड टूरिज्म, बीसीए और एमबीए के अलावा 2009-10 के बाद की बाकी सब्जेक्ट की डिग्रियां लीगल नहीं होंगी। इसके बाद यूजीसी की ओर से भी पब्लिक इन्फार्मेशन जारी कर इसे क्लियर किया गया।

हाईकोर्ट ने भी नहीं दी थी राहत

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर यूजीसी की 27 जुलाई 2015 को 508वीं मीटिंग में इस आशय का प्रपोजल फाइनल किया गया। साथ ही स्टूडेंट्स को ईआईआईएलएम यूनिवर्सिटी/ इसके किसी भी सेंटर/ कैम्पस/ डिस्टेंस एजुकेशन के कोर्सेस में एडमिशन नहीं लेने को कहा गया। इसके बाद ईआईआईएलएम के एक्टिंग वाइस चांसलर आरपी शर्मा का 11 अगस्त 2015 का एक लेटर यूजीसी को रिसीव हुआ। जिसमें कहा गया कि ईआईआईएलएम की ओर से याचिका सिक्किम हाईकोर्ट में दायर की गयी है। जिसे कोर्ट ने एक्सेप्ट कर लिया। एक्टिंग वाइस चांसलर के लेटर में यह भी कहा गया कि सिक्किम हाईकोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट को 30 अप्रैल 2015 के नोटिफिकेशन के आलोक में आगे कोई कार्यवाही नहीं करने का डायरेक्शन दिया है। सिक्किम हाईकोर्ट की जस्टिस मिनाक्षी मदन राय ने दो नवंबर 2016 को फाइनल डिसीजन में यूनिवर्सिटी को कोई राहत दिये बिना उसकी याचिका डिस्मिस्ड कर दी।

नाम को भी लेकर हैं सवाल

सीएमपी कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर एप्वाइंटमेंट पाने वाली ज्योति अग्रवाल (करेंट में ज्योति श्रीवास्तव) के शपथपत्र और उसके बाद मिली कथित डिग्री में नाम को लेकर भी कई सवाल हैं। ज्योति अग्रवाल ने दो सितंबर 2003 को एक शपथ पत्र में डिक्लेयर किया है कि वह यानि कि ज्योति अग्रवाल तन्मय श्रीवास्तव की पत्नी हैं। मैरिज से पहले नाम ज्योति अग्रवाल था। तन्मय श्रीवास्तव से शादी (छह मार्च 2003) के बाद मुझे ज्योति श्रीवास्तव के नाम से जाना जाये। दो सितंबर 2003 को शपथ पत्र में इस आशय की घोषणा के बाद जून 2012 को यूनिवर्सिटी इस्टर्न इंस्टीटयूट फॉर इंटीग्रेटेड लर्निग इन मैनेजमेंट से मैथ से पीजी की कथित डिग्री ज्योति अग्रवाल के नाम से ली गयी। केवल यही नही सीएमपी में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर एप्वाइंटमेंट से पहले ज्योति अग्रवाल (करेंट में ज्योति श्रीवास्तव) कॉलेज के मैथ डिपार्टमेंट में ही एकेडमिक सेशन 2015-16 के लिए 10 अक्टूबर 2015 को गेस्ट फैकेल्टी के के रूप में तैनात थी। इसके बाद में एकेडमिक सेशन 2016-17 के लिए 12 अगस्त 2016 को उन्हें फिर गेस्ट फैकेल्टी के रूप में एप्वाइंटमेंट मिला।

कॉलेज को स्क्रीनिंग के बाद जो नाम दिए गए उन्हीं लोगों के इंटरव्यू करवाये गये। स्क्रीनिंग इविवि में मैथ डिपार्टमेंट के हेड प्रो। पीके सिंह ने करवाया था। इसमें हमारी कोई भूमिका तो होती नहीं। फिर भी अगर इस बारे में कोई कंपलेन की जाती है तो जांच की जायेगी।

डॉ। आनंद श्रीवास्तव,

प्रिंसिपल सीएमपी डिग्री कॉलेज