गरीब मेधावी स्टूडेंट्स का सपना पूरा करने को इविवि के छात्रों की पहल

इंटर पास स्टूडेंट्स को मुफ्त में करा रहे एम्स और नीट की तैयारी

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: जिंदगी में सफलता कदम चूमे यह तो हर किसी का सपना होता है। लेकिन अक्सर हालात के आगे विवश होकर काबिलियत भी घुटने टेक देती है। जिले में गरीब मेधावी छात्रों को इन परिस्थितियों का सामना न करना पड़े। पैसे की कमी उनके सपनों की राह में रोड़ा न बने इसके लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सराहनीय पहल की है। बिहार के फेमस सुपर 30 प्रशिक्षण संस्थान की तर्ज पर गरीब मेधावी छात्र-छात्राओं को एम्स और नीट जैसी प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में सफलता दिलाने के लिए मुफ्त में तैयारी कराने का बीड़ा उठाया है।

इन्होंने संभाल रखी है कमान

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कमेस्ट्री डिपार्टमेंट के शोध छात्र मोदनवाल इस पहल के सूत्रधार हैं। उनकी इस मुहिम में केमेस्ट्री के ही कमल प्रताप सिंह, नीतू यादव, रुचि शुक्ला, फिजिक्स से एमएससी कर रहे संदीप वर्मा, बॉयोकेमेस्ट्री के विवेक गुप्ता रही साथ है। सीएमपी डिग्री कॉलेज में बॉटनी से एमएससी कर रहे सुरेश कुमार गुप्ता एवं आईआईटी बाम्बे से पढ़ाई पूरी करने वाले सन्दीप सिंह यादव भी शामिल हैं। इनके नेतृत्व में इंटरमीडिएट पास छात्र-छात्राओं को 10 सी मालवीय रोड जार्जटाउन में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

व्हाट एन आइडिया सर जी

अखिलेश बताते हैं कि उन्होंने करीब चार साल पहले गरीब मध्यमवर्गीय छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क पढ़ाना शुरू किया। उनकी टीम में शामिल इविवि के छात्रों ने शुरुआत में यूजीसी नेट और ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट इन एमएससी (जैम) के लिये छात्रों को प्रशिक्षित किया। इसमें टीम को अच्छी सफलता मिली। बताया कि आईआईटी जैम के बारे में तो यहां कोई जानता ही नहीं है। लेकिन इविवि के छात्रों ने इसमें भी सफलता का परचम लहराया। इस बीच उनके दिमाग में आया कि क्यों न आर्थिक रूप से बेहद कमजोर और ग्रामीण परिवेश के छात्रों को मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिये तैयार किया जाए।

किसान के बेटे ने किया कमाल

अखिलेश ने योजना अपने साथियों से डिस्कस किया तो सबने तय किया कि वे बिहार के सुपर 30 इंस्टीट्यूट की तर्ज पर बेहतर स्टूडेंट्स को सेलेक्ट करके उन्हें तैयारी कराएंगे। खास बात यह है कि इसमें इविवि से पढ़कर निकले और कहीं न कहीं उच्च पदों पर आसीन छात्र भी गरीब छात्रों की मदद के लिए आगे आए हैं। अखिलेश ने बताया कि एक दिसम्बर से इसकी शुरुआत हुई और छात्रों को 31 मार्च तक जमकर तैयारी करवानी है। अखिलेश ग्राम गोपालपुर पोस्ट मुस्तफाबाद जिला जौनपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता शिव कुमार मोदनवाल किसान हैं।

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क्या है सुपर 30

सुपर 30 बिहार की राजधानी पटना स्थित आईआईटी में प्रवेश के लिए एक अनूठा प्रशिक्षण संस्थान है। इसमें नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है और समाज के गरीब एवं पिछड़े विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के लिए चुना जाता है। नि:शुल्क होने एवं पिछड़े बच्चों को लेने के बावजूद भी यह संस्थान प्रतिवर्ष लगभग 30 बच्चों को आईआईटी में प्रवेश पात्रता दिलाने में सक्षम होता आया है। इसके चलते इसकी पहचान देशभर में है। बिहार में सुपर 30 की शुरुआत सन 2003 में हुई थी। आनन्द कुमार इसके जन्मदाता एवं कर्ताधर्ता हैं। आनंद रामानुज स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स नामक संस्थान का भी संचालन करते हैं। सुपर 30 को इस गणित संस्थान से होने वाली आमदनी से चलाया जाता है। उल्लेखनीय है कि पूर्व जापानी ब्यूटी क्वीन और अभिनेत्री नोरिका फूजिवारा ने सुपर 30 इंस्टीट्यूट पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई थी।

स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से हम लोग समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं। हम यह साबित करना चाहते हैं कि गरीब का बेटा या बेटी भी डाक्टर बनने का सपना देख सकता है।

अखिलेश मोदनवाल

सबकी क्षमता नहीं है कि वे मेडिकल की तैयारी के लिये राजस्थान, कानपुर और दिल्ली जाएं। इलाहाबाद में छात्रों को पूरा स्टडी मैटेरियल और मार्गदर्शन मिले। यह हमारी कोशिश है।

नीतू यादव

मेडिकल की तैयारी के लिये फीस करीब डेढ़ लाख रुपये है। फिर भी छात्रों को गारंटी नहीं मिलती कि वे सफल होंगे या नहीं। पढ़ने वालों के लिये फीस देने की जरूरत नहीं।

विवेक गुप्ता

प्रयास सफल होगा तो इविवि का गौरव बढ़ेगा। जो हमारे प्रयास से सफल हुये समय निकालकर पढ़ाते हैं। थोड़ी सी कोशिश सब करें तो शिक्षा मंहगी है, लोग कहना बंद कर दें।

संदीप वर्मा

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स्टूडेंट्स कोट

हमने सपने में नहीं सोचा था कि फ्री ऑफ कास्ट तैयारी का अवसर मिल पाएगा। हम फीस देने की स्थिति में नहीं थे। मौका नहीं मिलता तो शायद ही प्रवेश परीक्षा का सपना देखते।

कुलदीप यादव, सुल्तानपुर चांदा

हमारे पेरेंट्स चाहते हैं कि हम डाक्टर बनें। लेकिन दूर-दूर तक इसकी उम्मीद नहीं दिख रही थी। अब हमें पूरा सपोर्ट मिल रहा है। हम जमकर तैयारी कर रहे हैं।

रामभवन विश्वकर्मा, करछना

सपना है कि हम ऐसे डाक्टर बनें जिसे वास्तव में धरती का भगवान कहा जाता है। जिस तरह का सपोर्ट मिल रहा है, कोशिश होगी कि हम भी कमजोर लोगों के लिये कुछ करें।

सुनील मौर्या, सवया हसन ऊंचाहार

इसमें यूपी बोर्ड से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने वाले ग्रामीण छात्र ही हैं। यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ छात्रों ने मार्गदर्शन किया तब जाकर थोड़ा समझ में आना शुरू हुआ।

सिमरन अंसारी, नुरुल्ला रोड

बहुत खुशी हो रही है। शुरू में तो खर्च के बारे में सोचकर ही कुछ और करियर डिसाइड करने का मन था। सर लोगों ने कहा है कि एडमिशन में भी आर्थिक सहयोग करेंगे।

अर्चना सिंह, अम्बेडकर नगर, अकबरपुर