--झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की कर दी घोषणा

--लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटों पर बीजेपी और 2 सीटों पर जेएमएम ने दर्ज की थी जीत

RANCHI (31 Oct) झारखंड विधानसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी को जीत से रोकने लिए कांग्रेस और जेएमएम के नेतृत्व में बननेवाले महागठबंधन पर पानी फिर गया है। सीटों के बंटवारे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की बात बनते-बनते रह गई और शुक्रवार को दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषण्ा कर दी।

बीजेपी के लिए राहत

8क् सीटों वाले झारखंड विधानसभा के चुनाव में एक तरफ जहां बीजेपी के लिए यह राहत की बात है, वहीं बीजेपी विरोधी पार्टियों के लिए खतरे की घंटी भी है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झारखंड की क्ब् लोकसभा सीटों में से क्ख् पर कब्जा किया था। सिर्फ दो सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में आई थी और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। उस समय कांगे्रस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। ऐसे में झारखंड में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार चला रहे हेमंत सोरेन के लिए भी आगे का रास्ता कांटों भरा है। इसका अहसास भी उन्हे है। इसलिए कांगे्रस से साथ गठबंधन टूटने पर उन्होंने का कि उनका तो यही प्रयास था कि झारखंड में जो पार्टियां सरकार में शामिल थीं, वह सभी मिलकर चुनाव लड़ें। इसपर कांग्रेस से सहमति भी बन गई थी, लेकिन अचानक से कांग्रेस ने गठबंधन से अलग होने का एलान कर दिया। गुरुवार तक तो सबकुछ ठीक था, लेकिन यह फैसला कैसे हुआ इसका जवाब कांग्रेस को देना होगा।

8क् सीटों पर कैंडीडेट देगी जेएमएम

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अब झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड की सभी 8क् सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। गठबंधन टूटने के लिए कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को जिम्मेदार ठहराया है। अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी के महासचिव और झारखंड के कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने कहा कि उनकी पूरी कोशिश थी कि झारखंड में महागठबंधन बने और इसमें कांगे्रस, जेएमएम, आरजेडी और जेडीयू जैसी सेक्यूलर पार्टियां शामिल होकर चुनाव मैदान में जाएं, लेकिन सीटों को जेएमएम नेताओं की जिद के कारण गठबंधन नहीं बन पाया। अब कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड मिलकर चुनाव लडें़गे। हालांकि गठबंधन नहीं होने के बाद भी कांग्रेस नेताओं ने इस बात के संकेत दिए हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद अगर सरकार बनाने की बात आती है तो ये दोनों पार्टियां नजदीक आ सकती हैं।