धार्मिकता के मुद्दे के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य हो रहे हैं नजरअंदाज

एक कार्यक्रम में बोलते हुए नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमृत्य सेन ने कहा कि पूर्व संप्रग सरकार ने शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र की उपेक्षा की थी पर अब मौजूदा सरकार तो इन मामलों की और ज्यादा उपेक्षा कर रही है। सेन ये भी कहा कि ऐसा नहीं है कि पिछली सरकार अपने विचारों को लेकर पक्षपाती नहीं थी लेकिन यह अब ज्यादा प्रत्यक्ष है। इसके लिए उन्होंने धार्मिकता के मुद्दे का हवाला दिया कि अब ये ज्यादा हावी है। उन्होंने भारत के परमाणु बिजली संयंत्रों से खतरा बढ़ने की बात भी की।

पहले भी किया मोदी और राजग सरकार का विरोध

सेन लोक सभा चुनाव के पहले ही साफ कह चुके थे कि वे नरेंद्र मोदी को पीएम पद के लिए उपयुक्त नहीं मानते। इसके बाद जब ये खबरें सामने आयीं कि मोदी सरकार उनको नालंदा विश्वविद्यालय का दूसरी बार कुलाधिपति बनाने के पक्ष में नहीं है तब भी उन्होंने स्वंय कुलपति बनने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इन्कार करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार नहीं चाहती कि वे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर रहें। उसी दौरान उन्होंने ये भी कहा थ कि मोदी सरकार शैक्षिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बन गई है।

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