नाम और स्वरूप बदला:
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत जब 1998/99 में हुई थी। उस समय इस खेल को 'विल्स इंटरनेशनल कप' और 'आईसीसी नॉकआउट चैंपियनशिप' नाम से जाना जाता था। वहीं आज इसे मिनी वर्ल्ड कप भी कहते हैं। पहले यह खेल हर दो साल में एक बार होता था लेकिन 2006/07 के बाद इसका प्रारूप बदल गया। यह अब हर 4 साल में एक बार कर दिया गया।
छोटे देशों से शुरू हुआ सफर:
इस बड़ी चैंपियंसशिप का आगाज पहली बार 1998 में दुनिया के एक छोटे देश यानी कि बांग्लादेश से हुआ। इसे छोटे देशों में आयोजित कराने का कारण शुरुआती दौर में रिवेन्यू था। वहीं 2000 में इस मिनी वर्ल्ड कप का आयोजन केन्या में हुआ था। इसके बाद धीरे-धीरे बड़े देशों का रुख हुआ। इस बड़ी चैंपियंसशिप में केन्या, नीदरलैंड, यूनाइटेड स्टेट भी खेल चुके हैं।
दो बार जीते भारत और ऑस्ट्रेलिया:
यह एक इकलौती चैंपियंस ट्रॉफी है। जिसे साउथ अफ्रीका ने भी जीत कर अपना परचम फहराया। वहीं इंग्लैंड और पाकिस्तान की टीमें आज तक इसे नहीं जीत पाई हैं। इंग्लैंड दो बार फाइनल में पहुंचकर हारी तो पाकिस्तान सेमीफाइनल में 3 बार पहुंचने वाली इकलौती टीम होने के बाद भी इसे नहीं जीत पाई। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने इसे दो अपने नाम किया है।
इन्हें कहते हैं चैंपियनशिप बॉस:
इस चैंपियंसशिप में अब तक इंडियन टीम की जीत का प्रतिशत सबसे अच्छा 71.42 रहा है। सौरव गांगुली के नाम सर्वाधिक स्कोर करीब 6 बार 50+ स्कोर रहा है। शेन वाट्सन सर्वाधिक करीब 15 पारियों में 4 बार शून्य पर आउट हुए। महेला जयवर्धने के नाम सबसे ज्यादा 22 मैच में 15 कैच लेने का और गेल के नाम सबसे अधिक रन यानी कि 17 मैच में करीब 791 रन बनाने का रिकॉर्ड है।
सहवाग के नाम कई रिकॉर्ड:
वहीं इस खेल में टीम इंडिया के वीरेंद्र सहवाग के नाम भी कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। सहवाग ने इस मैच की एक पारी में सबसे ज्यादा चौके-छक्के लगाए हैं। इसके अलावा 126 में से करीब 90 रन सिर्फ बॉउंड्री से बनाए हैं। इतना ही नहीं इन्होंने 104 गेंदो में 126 रनों की पारी 24 चौकों और 1 छक्के की मदद से खेली थी। वहीं गांगुली भी 109 रन जड़कर नाबाद रह चुके हैं।
श्रीलंका अपने घर बनी थी शेर:
19 सालों की इस चैंपियंसशिप में अब तक 13 देशों की टीमें शामिल हो चुकी हैं। जिसमें 6 अलग-अलग टीमों ने इसमें खिताब अपने नाम किया है। वहीं 2002 में अपने नाम इस खिताब को करने वाली श्रीलंका टीम को लेकर कहा जाता है कि यह अपने घर में श्ोर बनी थी। इसने अपने घरेलू मैदान पर ही ये खिताब अपने नाम किया था।
पाकिस्तान नहीं बन पाया विजेता:
पाकिस्तान ने अब तक इस मिनी वर्ल्ड कप में भारत के साथ 3 मुकाबलों में उसे दो बार 2004 और 2009 में हराया। जब कि वर्ल्ड कप में पाकिस्तान भारत से कभी नहीं जीत पाया है। सबसे खास बात तो यह है कि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी में कभी खिताब भी नहीं जीत पाया है। इस बार भारत के साथ पाकिस्तान का 4 जून को मुकाबला होगा।
बांग्लादेश को कई साल बाद मौका:
बांग्लादेश किक्रेट टीम साल 2006 के बाद से इस चैंपियंस ट्रॉफी का हिस्सा नहीं बनी है। ऐसे में यह अब 2006 की बाद पहली बार इसमें खेलने जा रही है। वहीं टूर्नामेंट हिस्ट्री में ये पहला मौका है जब वेस्ट इंडीज की टीम यहां नहीं खेलेगी। चैंपियंस ट्रॉफी की हिस्ट्री में सात बार में से तीन बार वेस्ट इंडीज की टीम ने फाइनल खेला है। जिसमें एक बार उसने ट्रॉफी जीती भी है।
जब एक ही टीम को मिले सारे अवॉर्ड:
वहीं 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार ऐसा हुआ था जब सारे अवॉर्ड एक ही टीम को मिले थे। जी हां वह कोई और नहीं बल्कि विजेता इंडियन टीम थी। जिसमें मैन ऑफ द मैच और सबसे अधिक विकेट लेने का अवॉर्ड भी रवींद्र जडेजा को मिला। इसके बाद मैन ऑफ द सीरीज व सबसे अधिक रन 363 बनाने का खिताब शिखर धवन को गया था।
नाम और स्वरूप बदला:
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत जब 1998/99 में हुई थी। उस समय इस खेल को 'विल्स इंटरनेशनल कप' और 'आईसीसी नॉकआउट चैंपियनशिप' नाम से जाना जाता था। वहीं आज इसे मिनी वर्ल्ड कप भी कहते हैं। पहले यह खेल हर दो साल में एक बार होता था लेकिन 2006/07 के बाद इसका प्रारूप बदल गया। यह अब हर 4 साल में एक बार कर दिया गया।
छोटे देशों से शुरू हुआ सफर:
इस बड़ी चैंपियंसशिप का आगाज पहली बार 1998 में दुनिया के एक छोटे देश यानी कि बांग्लादेश से हुआ। इसे छोटे देशों में आयोजित कराने का कारण शुरुआती दौर में रिवेन्यू था। वहीं 2000 में इस मिनी वर्ल्ड कप का आयोजन केन्या में हुआ था। इसके बाद धीरे-धीरे बड़े देशों का रुख हुआ। इस बड़ी चैंपियंसशिप में केन्या, नीदरलैंड, यूनाइटेड स्टेट भी खेल चुके हैं।
दो बार जीते भारत और ऑस्ट्रेलिया:
यह एक इकलौती चैंपियंस ट्रॉफी है। जिसे साउथ अफ्रीका ने भी जीत कर अपना परचम फहराया। वहीं इंग्लैंड और पाकिस्तान की टीमें आज तक इसे नहीं जीत पाई हैं। इंग्लैंड दो बार फाइनल में पहुंचकर हारी तो पाकिस्तान सेमीफाइनल में 3 बार पहुंचने वाली इकलौती टीम होने के बाद भी इसे नहीं जीत पाई। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने इसे दो अपने नाम किया है।
इन्हें कहते हैं चैंपियनशिप बॉस:
इस चैंपियंसशिप में अब तक इंडियन टीम की जीत का प्रतिशत सबसे अच्छा 71.42 रहा है। सौरव गांगुली के नाम सर्वाधिक स्कोर करीब 6 बार 50+ स्कोर रहा है। शेन वाट्सन सर्वाधिक करीब 15 पारियों में 4 बार शून्य पर आउट हुए। महेला जयवर्धने के नाम सबसे ज्यादा 22 मैच में 15 कैच लेने का और गेल के नाम सबसे अधिक रन यानी कि 17 मैच में करीब 791 रन बनाने का रिकॉर्ड है।
सहवाग के नाम कई रिकॉर्ड:
वहीं इस खेल में टीम इंडिया के वीरेंद्र सहवाग के नाम भी कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। सहवाग ने इस मैच की एक पारी में सबसे ज्यादा चौके-छक्के लगाए हैं। इसके अलावा 126 में से करीब 90 रन सिर्फ बॉउंड्री से बनाए हैं। इतना ही नहीं इन्होंने 104 गेंदो में 126 रनों की पारी 24 चौकों और 1 छक्के की मदद से खेली थी। वहीं गांगुली भी 109 रन जड़कर नाबाद रह चुके हैं।
श्रीलंका अपने घर बनी थी विजेता:
19 सालों की इस चैंपियंसशिप में अब तक 13 देशों की टीमें शामिल हो चुकी हैं। जिसमें 6 अलग-अलग टीमों ने इसमें खिताब अपने नाम किया है। वहीं 2002 में अपने नाम इस खिताब को करने वाली श्रीलंका टीम को लेकर कहा जाता है कि यह अपने घर में श्ोर बनी थी। इसने अपने घरेलू मैदान पर ही ये खिताब अपने नाम किया था।
पाकिस्तान नहीं बन पाया विजेता:
पाकिस्तान ने अब तक इस मिनी वर्ल्ड कप में भारत के साथ 3 मुकाबलों में उसे दो बार 2004 और 2009 में हराया। जब कि वर्ल्ड कप में पाकिस्तान भारत से कभी नहीं जीत पाया है। सबसे खास बात तो यह है कि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी में कभी खिताब भी नहीं जीत पाया है। इस बार भारत के साथ पाकिस्तान का 4 जून को मुकाबला होगा।
बांग्लादेश को कई साल बाद मौका:
बांग्लादेश किक्रेट टीम साल 2006 के बाद से इस चैंपियंस ट्रॉफी का हिस्सा नहीं बनी है। ऐसे में यह अब 2006 की बाद पहली बार इसमें खेलने जा रही है। वहीं टूर्नामेंट हिस्ट्री में ये पहला मौका है जब वेस्ट इंडीज की टीम यहां नहीं खेलेगी। चैंपियंस ट्रॉफी की हिस्ट्री में सात बार में से तीन बार वेस्ट इंडीज की टीम ने फाइनल खेला है। जिसमें एक बार उसने ट्रॉफी जीती भी है।
जब एक ही टीम को मिले सारे अवॉर्ड:
वहीं 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार ऐसा हुआ था जब सारे अवॉर्ड एक ही टीम को मिले थे। जी हां वह कोई और नहीं बल्कि विजेता इंडियन टीम थी। जिसमें मैन ऑफ द मैच और सबसे अधिक विकेट लेने का अवॉर्ड भी रवींद्र जडेजा को मिला। इसके बाद मैन ऑफ द सीरीज व सबसे अधिक रन 363 बनाने का खिताब शिखर धवन को गया था।
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