कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी का सरकार-संगठन को दो टूक संदेश।

- दिन भर व्यस्त रहकर जुटाया पार्टी प्रभारी अंबिका सोनी ने फीडबैक।

- कांग्रेस भवन में सीएम, पीसीसी चीफ रहे किनारे, वर्करों से सीधा संवाद

DEHRADUN: चुनाव की दहलीज पर खड़ी सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस का हाईकमान एक बात बखूबी समझ रहा है। संगठन-सरकार की रार न थमी और गुटबाजी पर अंकुश न लगा, तो हार तय है। इसीलिए बुधवार को दून पहुंचकर सरकार और संगठन को पार्टी प्रभारी ने दो टूक मैसेज दे दिया है। मैसेज है-सुधरोनहीं तो हाथ से निकल जाएगी बाजी।

प्रभारी के सामने भी गुटबाजी

सीएम निवास पर आयोजित पार्टी पदाधिकारियों की मीटिंग में प्रभारी को गुटबाजी का नजारा देखने को मिला। वित्त मंत्री इंदिरा ह्दयेश के खिलाफ हल्द्वानी में मोर्चा खोलने वाले एक नेता आज भी जमकर बरसे। उन्होंने मंत्री की कार्यशैली पर प्रभारी के सामने ही सवाल उठाए। मंत्री ने भी अपनी नाराजगी सामने रखी। प्रभारी ने इस दौरान जोर देकर कहा कि पार्टी की एकता और अनुशासन ही उसे दोबारा सत्ता में ला सकता है। जीत की संभावना वाले दावेदारों को ही तरजीह देने की बात भी मीटिंग में उठी। मीटिंग में सीएम हरीश रावत, सह प्रभारी संजय कपूर, कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश, प्रीतम सिंह व दिनेश अग्रवाल, विधायकों में हीरा सिंह बिष्ट, जीतराम, ममता राकेश, सरिता आर्य व मदन बिष्ट, सांसद प्रदीप टम्टा भी मौजूद थे। समन्वय समिति की बैठक में तालमेल बनाने और गुटबाजी रोकने पर चर्चा हुई। पीडीएफ को लेकर भी चर्चा की गई।

चुनाव तक अंबिका ही प्रभारी

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव अंबिका सोनी विधानसभा तक पार्टी की उत्तराखंड राज्य प्रभारी बनी रहेंगी। आज जिस तरह से अंबिका ने धुआंधार बैटिंग की, उससे ये ही संकेत गए हैं। हालांकि अंबिका सोनी का कहना है कि उन्होंने हाईकमान से कहा था कि या तो उन्हें पंजाब की ही जिम्मेदारी दे दी जाए या फिर सिर्फ उत्तराखंड की।

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कांग्रेस भवन में सीएम, किशोर किनारे

कार्यकर्ताओं और प्रभारी के बीच रहा नहीं कोई, सीधे हुई बात।

DEHRADUN: दून में आज सबसे पहले अंबिका सोनी कांग्रेस भवन पहुंची और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कायम किया। अंबिका ने कार्यकर्ताओं के साथ छोले कुल्चे का लंच भी लिया और ढेरों बातें की। इस दौरान न तो सीएम हरीश रावत वहां मौजूद रहे और न ही पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय की मौजूदगी रही। हालांकि सीएम के अन्य जगह लगे प्रोग्राम और पीसीसी चीफ की मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ मीटिंग को कारण बताया जा रहा है, लेकिन कई वजह से ये तर्क गले नहीं उतर रहे हैं।

प्रतिनिधि भेजा जा सकता था मीटिंग में

क्या बीजेपी की तरह, पीसीसी चीफ भी किसी पदाधिकारी को मुख्य चुनाव अधिकारी की मीटिंग के लिए अधिकृत नहीं कर सकते थे। यह सवाल अपनी जगह उठ रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ मीटिंग में बीजेपी की तरफ से मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान और अन्य पदाधिकारियों को भेजा गया था। माना जा रहा है कि प्रभारी का इशारा पाकर ही पीसीसी चीफ कांग्रेस भवन में उस एक घंटे मौजूद नहीं रहे, जबकि अंबिका सोनी कार्यकर्ताओं से संवाद कर रही थीे।

सीएम ने किया अंबिका को बाईपास

कांग्रेस भवन में आज सीएम हरीश रावत पार्टी प्रभारी के पहुंचने से बामुश्किल दस मिनट पहले आए। इसके बाद, जब अंबिका सोनी वहां पहुंची, तो सीएम वहां से निकल गए। स्थिति ये बनी कि प्रभारी मीडिया को बाइट दे रही थी और उनसे बगैर मिले ही सीएम हरीश रावत वहां से निकल लिए। हालांकि सीएम ने इससे पहले हैलीपेड में प्रभारी का स्वागत किया था। माना जा रहा है कि पीसीसी चीफ की तरह ही सीएम भी जानबूझकर कांग्रेस भवन में ज्यादा देर नहीं रूके।