सीसीटीवी लगाने के बाद वर्कर्स पर निगरानी और कुपोषण कम होने की है संभावना

सांसद आदर्श ग्रामों से होगा योजना का ट्रायल, एस्टीमेट तैयार, स्वीकृति की है देर

BAREILLY:

आंगनबाड़ी वर्कर्स पर लेटलतीफी, कामचोरी और फर्जीवाड़े के आरोपों की हकीकत अक्सर नहीं खुल पाती है। लेकिन ऐसे आरोपों की हकीकत डीवीडी में रिकॉर्ड की जा सके, इसके लिए स्मार्ट पहल शुरू हो रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों को सीसीटीवी कैमरा से लैस किए जाने की कवायद शुरू हो रही है। फौरी तौर इस योजना का ट्रायल सांसद आदर्श ग्राम से होगा। करीब 6 माह तक सीसीटीवी से निगरानी के बाद उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट मिलने पर यह योजना सूबे के सभी जिलों के केन्द्रों पर शुरू होगी।

नहीं हो पाती निगरानी

आंगनबाड़ी वर्कर्स पर गांव वालों ने उनके बच्चों से ढंग से बर्ताव न करने, मेन्यू के मुताबिक पुष्टाहार न देने और टीकाकरण या साप्ताहिक वजन न किए जाने समेत मनमर्जी से केन्द्र का संचालन किए जाने के आरोप लगते रहे हैं। अधिकारी आरोपों को सच भी मानते है, लेकिन सुबूत न होने से कार्रवाई में अड़ंगा लग जाता है। जिसकी वजह से करोड़ों के खर्च हो रहे बजट के बाद भी कुपोषण की रोकथाम नहीं हो पा रही। पिछले साल वजन दिवस में कुपोषण में इजाफे के बाद जिलों से शासन ने रिपोर्ट तलब कर ली थी। अधिकारियों ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में निगरानी की समस्या बताई। जिसके बाद शासन ने सीसीटीवी से केन्द्रों की निगरानी किए जाने की योजना बनाई है।

6 माह तक होगा ट्रायल

इस योजना को बड़े पैमाने पर लागू करने से पहले शासन की मंशा कम खर्च में इसका असर और रिजल्ट परखने की है। ऐसे में सबसे पहले सांसद आदर्श ग्राम में इस योजना को ट्रायल के तौर पर लागू किया जाएगा। योजना की सफलता के बाद इसे जिले के सर्वाधिक कुपोषित केन्द्रों में इंस्टॉल किया जाएगा। बरेली जिले में दो सांसद आदर्श ग्राम ढकिया और वरकली में सीसीटीवी इंस्टॉल करने के लिए 25 हजार रुपए का एस्टीमेट बनाकर शासन को स्वीकृति के लिए भेजा है। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी ब्लॉकों पर तैनात सीडीपीओ करेंगे। जिन्हें प्रत्येक हफ्ते केन्द्र से डीवीडी मंगाकर उसे देखकर करीब 6 माह तक रिपोर्ट तैयार करनी होगी।

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बरेली में कुपोषण का लेवल

वर्ष अतिकुपोषित अल्प कुपोषित

2013 6 हजार 18 हजार

2014 6 हजार 22 हजार

2015 28 हजार 70 हजार

2016 36 हजार 82 हजार

नोट - वर्ष 2015, 2016 में वजन दिवस के बाद खुली थी पोल

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आंगनबाड़ी वर्कर्स पर कार्रवाई

- वर्ष 2014 में 32 वर्कर्स

- वर्ष 2015 में 67 वर्कर्स

- वर्ष 2016 में 78 वर्कर्स

नोट - वर्कर्स में मुख्य केन्द्र संचालक और सहायिकाएं शामिल हैं।

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निगरानी से फायदे

- नवजात शिशु के कुपोषण की वजहों का पता चलेगा

- आंगनबाड़ी कार्यकत्री व पर्यवेक्षक गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे

- गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के कार्यक्रमों की हकीकत

- बच्चों की उपस्थिति संख्या में फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा

- टीकाकरण की वास्तविक स्थिति की पोल खोलेगा कैमरा

- केन्द्र को खोलने और बंद करने का रिकॉर्ड मेनटेन होगा

- सोलर एनर्जी के चलते लाइट प्रॉब्लम की समस्या नहीं होगी

- बच्चों की देखभाल का तरीका आसानी से पता चल सकेगा

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सीसीसी से काफी हद कुपोषण की रोकथाम होगी। वर्कर्स की कारगुजारियों की हकीकत सामने आएगी। शासन से स्वीकृति मिलते ही इंस्टालेशन शुरू हो जाएगा।

बुद्धि मिश्रा, डीपीओ