सरबजीत की मौत से सिर्फ इंडिया में ही लोग गुस्से में नहीं है, बल्कि इंडियन ओरिजीन के एनआरआई भी बेहद नाराज हैं। सरदार जोगिंदर सिंह बताते हैं कि मेरे पास अमेरिका से कई रिलेटिव्स के फोन आए हैं। सब कहते हैं कि कैसा सरदार क्र(प्राइम मिनिस्टरक्र) बैठा रखा है, जो पड़ोसी देशों के इतने दुस्साहस के बाद भी शांत बैठा हुआ है। आक्रोशित लोगों ने सिविल लाइंस में पाकिस्तानी गवर्नमेंट का पुतला दहन किया, वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में भी इस इश्यू पर नाराज स्टूडेंटस ने पाकिस्तान गवर्नमेंट की शवयात्रा निकालकर इस घटना का जबरदस्त विरोध किया। हर कोई इस दुस्साहस का पाक को जवाब दिए जाने की डिमांड कर रहा है.
घटना नहीं साजिश है
23 साल में सरबजीत एक ऐसा नाम था जो हर किसी की जुबान तक पहुंच चुका था। ऐसे में उसकी मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। लॉ के स्टूडेंट्स सुनील निगम शक जाहिर करते हैं कि यह घटना नहीं बल्कि साजिशन हत्या है। वह बताते हैं कि छह कैदियों के सरबजीत पर जानलेवा हमला करने की बात सामने आई है। लेकिन यह हमला क्यों किया गया? सरबजीत 23 साल से जेल में बंद था? जिन लोगों ने हमला किया वह अब जेल में आए थे? अगर वह भी पुराने कैदी थे तो फिर हमला क्यों किया? अगर नए थे तो क्या प्लांड वे में उनको लाया गया था? बहुत से सवाल हैं जिनके जवाब हिंदुस्तानियों को चाहिए। वह कहते हैं कि इंडियन गवर्नमेंट को डिप्लोमेटिक अंदाज में इसका पता जरूर लगाना चाहिए.
हम कब तक बात करते रहेंगे?
भले ही चाइना हमसे मजबूत हो, लेकिन हम बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकते। एयू की स्टूडेंटस पूजा कहती हैं कि समझ में नहीं आता है कि मामला चाहे जितना भी सीरियस हो, हम हर बात से ही समस्या का हल निकालने की इच्छा क्यों जाहिर करते रहते हैं। यकीन मानिए, मुझे तो लगने लगा है कि हम कमजोर हैं। सरदार अजीत सिंह कहते हैं कि यह सरासर अन्याय है। अगर पाकिस्तान की जेल तक सुरक्षित नहीं है तो उसको किसी को कैदी बनाने का भी कोई अधिकार नहीं है। सरबजीत की मौत के प्रति उसको जवाबदेह होना ही पड़ेगा।
अमेरिका तक से आ रहे हैं फोन
सरबजीत की मौत से सिर्फ इंडिया में ही लोग गुस्से में नहीं है, बल्कि इंडियन ओरिजीन के एनआरआई भी बेहद नाराज हैं। सरदार जोगिंदर सिंह बताते हैं कि मेरे पास अमेरिका से कई रिलेटिव्स के फोन आए हैं। सब कहते हैं कि कैसा सरदार क्र(प्राइम मिनिस्टरक्र) बैठा रखा है, जो पड़ोसी देशों के इतने दुस्साहस के बाद भी शांत बैठा हुआ है। आक्रोशित लोगों ने सिविल लाइंस में पाकिस्तानी गवर्नमेंट का पुतला दहन किया, वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में भी इस इश्यू पर नाराज स्टूडेंटस ने पाकिस्तान गवर्नमेंट की शवयात्रा निकालकर इस घटना का जबरदस्त विरोध किया। हर कोई इस दुस्साहस का पाक को जवाब दिए जाने की डिमांड कर रहा है.
घटना नहीं साजिश है
23 साल में सरबजीत एक ऐसा नाम था जो हर किसी की जुबान तक पहुंच चुका था। ऐसे में उसकी मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। लॉ के स्टूडेंट्स सुनील निगम शक जाहिर करते हैं कि यह घटना नहीं बल्कि साजिशन हत्या है। वह बताते हैं कि छह कैदियों के सरबजीत पर जानलेवा हमला करने की बात सामने आई है। लेकिन यह हमला क्यों किया गया? सरबजीत 23 साल से जेल में बंद था? जिन लोगों ने हमला किया वह अब जेल में आए थे? अगर वह भी पुराने कैदी थे तो फिर हमला क्यों किया? अगर नए थे तो क्या प्लांड वे में उनको लाया गया था? बहुत से सवाल हैं जिनके जवाब हिंदुस्तानियों को चाहिए। वह कहते हैं कि इंडियन गवर्नमेंट को डिप्लोमेटिक अंदाज में इसका पता जरूर लगाना चाहिए.
हम कब तक बात करते रहेंगे?
भले ही चाइना हमसे मजबूत हो, लेकिन हम बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकते। एयू की स्टूडेंटस पूजा कहती हैं कि समझ में नहीं आता है कि मामला चाहे जितना भी सीरियस हो, हम हर बात से ही समस्या का हल निकालने की इच्छा क्यों जाहिर करते रहते हैं। यकीन मानिए, मुझे तो लगने लगा है कि हम कमजोर हैं। सरदार अजीत सिंह कहते हैं कि यह सरासर अन्याय है। अगर पाकिस्तान की जेल तक सुरक्षित नहीं है तो उसको किसी को कैदी बनाने का भी कोई अधिकार नहीं है। सरबजीत की मौत के प्रति उसको जवाबदेह होना ही पड़ेगा।
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