- 8 साल बीतने के बावजूद जेएनएनयूआरएम-वन के प्रोजेक्ट अधूरे

-जो प्रोजेक्ट कम्प्लीट भी हो गए थे, उनमें कई हो गए ठप

-शहर की तस्वीर नहीं बदली, खुदाई से और हो गया शहर बदहाल

-अब दिखाया जा रहा है जेएनएनयूआरएम-टू का सपना

द्मड्डठ्ठश्चह्वह्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

यन्हृक्कक्त्र: जेएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहत सैकड़ों नहीं अरबों रूपए खर्च किए जाने के बावजूद शहर की तस्वीर नहीं बदली। बल्कि जगह-जगह खुदाई के कारण और भी बिगड़ चुकी है। 8 साल बीतने के बावजूद जेएनएनयूआरएम के कई प्रोजेक्ट आधे-अधूरे हैं, जिनका फायदा अभी तक कानपुराइट्स को नही मिला है। सालिडवेस्ट मैनेजमेंट, ट्रांसपोर्टेशन जैसे जो प्रोजेक्ट कम्प्लीट भी हुए थे, वे दम तोड़ चुके हैं। बावजूद इसके अब जेएनएनयूआरएम टू के सपने दिखाए जा रहे है। सेंट्रल गवर्नमेंट की फंडिंग वाली इस योजना के लिए सिटी डेवलपमेंट प्लान बनाने का काम भी शुरू हो गया है।

जेएनएनयूआरएम-वन में खर्च हो चुके 1519 करोड़ खर्च

फाइनेंशियल ईयर 2005-06 में

सेंट्रल गवर्नमेंट की जवाहरलाल अरबन रिन्यूवल मिशन-वन में कानपुर को शामिल किया गया था। जेएनएनयूआरएम में कानपुर को शामिल किए जाने पर ऑफिसर्स ने शहर की तस्वीर बदलने के बड़े-बड़े दावे किए थे। पहले सिटी डेवलपमेंट प्लान बनाया, फिर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई। स्टेट गवर्नमेंट और फिर सेंट्रल गवर्नमेंट से प्रोजेक्ट अप्रूव्ड होने के बाद वर्ष 2008 में ये प्रोजेक्ट जमीनी हकीकत बनना शुरू हुआ है। गंगा बैराज के पास वाटर व‌र्क्स और मोहल्लों में ओवरहेड टैंक बनने लगे, वाटर सप्लाई और सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए रोड कटिंग कर नई डीप पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। कचरा निस्तारण के लिए पनकी भौं सिंह में सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनने लगा। कुल मिलाकर जेएनएनयूआरएम के तहत अब तक 1519 करोड़ से भी अधिक खर्च हो चुके हैं।

सपने हुए सुहाने

एक सितंबर 2010 डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन शुरू होने और जगह-जगह डस्टबिंस रखी नजर आने लगी। इससे सिटी की हर रोड्स पर नजर आने वाली गन्दगी गायब हो गई। कुछ समय बाद ही रोड्स पर भी जेएनएनयूआरएम की 270 लो फ्लोर एसी और नॉन एसी बसेज दौड़ने लगी। कानपुराइट्स को टेम्पोवालों की अराजकता से छुटकारा मिल गया था। शहर में सफर भी आरामदायक हो चला। ये सब देखकर कानपुराइट्स को शहर की तस्वीर बदलने का यकीन हो गया।

टूटे सपने

जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी की रोड्स में 270 लो फ्लोर एसी और नॉन एसी बसेज चली। पर मेंटीनेंस की व्यवस्था न होने के कारण कुछ समय बाद ही एक के बाद एक जेएनएनयूआरएम बसेज कबाड़ होने लगी। अब तो बमुश्किल 25 बसेज ही दौड़ रही है। वह भी शहर की बजाए ग्रामीण एरिया में ज्यादा नजर आती हैं। जिससे एक बार फिर टेम्पो वालों की अराजकता का सामना कानपुराइट्स को करना पड़ रहा है। रही-सही कसर अराजक ढंग से रोड्स पर दौड़ती खतरनाक प्राइवेट बसेज पूरा कर रही हैं। इसी तरह दो साल से अतिंम सांसें ले रहे एटूजेड का डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन सिस्टम का भी अब दम टूट चुका है। पनकी भौं सिंह में बना प्लांट सालिडवेस्ट मैनेजमेंट बन्द भी हो चुका है। आसपास कचरे के अम्बार लग गए, एक बार फिर से रोड्स पर कचरा फेंकने को कानपुराइट्स मजबूर हैं।

868 करोड़ खर्च पानी की एक बूंद नहीं

जेएनएनयूआरएम के तहत वाटर सप्लाई फेस-1 व फेस-2 प्रोजेक्ट मई, 2008 में शुरू हुआ था। पर अभी तक ये प्रोजेक्ट कम्प्लीट नहीं हुए है। कानपुराइट्स को पानी की एक बूंद भी नहीं मिली है। जबकि इन प्रोजेक्ट की कास्ट 647 करोड़ से बढ़कर 868 करोड़ तक पहुंच चुकी है। ये प्रोजेक्ट कब कम्प्लीट होंगे और कब कानपुराइट्स को पानी मिलेगा? ये भी साफ नहीं है, क्योंकि हर बार जलनिगम के ऑफिसर्स एक नई डेड लाइन दे देते हैं।

तस्वीर नहीं बदली, बदहाल हो गया शहर

जेएनएनयूआरएम के प्रोजेक्ट्स शुरू हुए 8 साल हो चुके हैं। शहर की तस्वीर नहीं बदली, अलबत्ता गली-मेनरोड्स की खुदाई के कारण शहर और भी बदहाल हो गया। अब तक वाटर सप्लाई व सीवरेज प्रोजेक्ट्स की 3 बार डेडलाइन बढ़ चुकी है। बावजूद इसके गंगा बैराज के पास बने वाटर व‌र्क्स से जोनल पम्पिंग स्टेशन्स को जाने वाले राईजिंग मेन वाटर भी अभी तक पूरी नहीं बिछी है। मैकरार्बट्सगंज रोड, चुन्नीगंज रोड पर खुदाई हो रही है। फूलबाग से जाजमऊ के बीच राईजिंग मेन वाटर लाइन ही नहीं पड़ी। इसी तरह कम्पनीबाग चौराहा से साउथ सिटी के जूही गौशाला को जाने वाली राईजिंग मेन लाइन अभी भी जगह-जगह अधूरी है। इसी तरह सीवरेज प्रोजेक्ट के गैप के लिए गंगा पाल्यूशन कन्ट्रोल यूनिट की खुदाई जारी है।

गंगा मैली, नहीं बने एसटीपी

जेएनएनयूआरएम के अ‌र्न्तगत ही सीवरेज प्रोजेक्ट में गंगा में गिरने वाली गन्दगी को रोकने के लिए जाजमऊ, बिनगवां, सजारी और गंगा बैराज के सीवेज ट्रीटमेंट भी बनाए जाने है। सीवरेज प्रोजेक्ट को शुरू हुए 7 साल होने को है, पर अभी तक एक भी एसटीपी गंगा पाल्यूशन कन्ट्रोल यूनिट कम्प्लीट नहीं कर सकी है। इस बीच सीवरेज फेस-1, 2 व डी तीनों प्रोजेक्ट्स की कास्ट जरूर लगभग 126 करोड़ रूपए बढ़ चुकी है।

जेएनएनयूआरएम-टू में शामिल

- वाटर सप्लाई

-सीवरेज एंड सैनिटेशन

-सालिड वेस्ट मैनेजमेंट

- ड्रेनेज

- ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन

- स्ट्रीट लाइट्स

-फायर फाइटिंग

- अरबन पुअर (बिलोव पॉवर्टी लाइन, स्लम्स)

-सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर

-एजूकेशन (हेल्थ, एंटरटेनमेंट, स्पोटर्स)

-एनवॉयरमेंट

-टूरिज्म

-हेरीटेज एंड कंजर्वेशन

-आर्गनाइजेशनल एंड अरबन डेवलपमेंट

-स्मार्ट सिटी का समावेश(स्मार्ट एनवॉयरमेंट, इकोनॉमी,स्मार्ट गवर्नेस, स्मार्ट लिविंग व स्मार्ट मोबिलिटी)

जेएनएनयूआरएम-वन में मिला शहर को

प्रोजेक्ट -पहले (प्रोजेक्ट कास्ट)- अब( प्रोजेक्ट कास्ट)

वाटर सप्लाई फेस(1)-270.91 करोड़- 393.93 करोड़

वाटर सप्लाई फेस(2)-377.79 करोड़- 475.15 करोड़

सीवरेज फेस(1)-190.88 करोड़- 241 करोड़

सीवरेज फेस(2)-101.0 करोड़-141 करोड़

सीवरेज फेस(डी)-207.36 करोड़- 245 करोड़

सालिडवेस्ट मैनेजमेंट- 56.81 करोड़---

ई गवनेंस- 2361.79 लाख

ममता की छांव (डे-केयर सेंटर)-9.99

आंचल (शिशु पालन केन्द्र)- 9.99 लाख

कम्यूनिटी वाटर सेनेटर- 10.0 लाख

सिटीजन कम्यूनिकेशन सेंटर- 10.0 लाख

आयुष हेल्थ सेंटर (मेल)- 10.0 लाख

आयुष हेल्थ सेंटर (फीमेल)- 55.98 लाख