-एप से होगी व्यापारिक स्थलों की जांच, सेल्स टैक्स अधिकारियों को दी गई है हैंडहेल्ड मशीन

-31 मार्च तक जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों की जांच, टैक्स न देने वाले भी आएंगे स्क्रूटनी की जद में

ALLAHABAD: जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी और सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की आंखों में धूल झोंकने वाले व्यापारियों को पकड़ने के लिए पूरे प्रदेश में जाल बिछा दिया गया है। इसकी जद में जीएसटी में माइग्रेट व्यापारी ही नहीं, वे व्यापारी भी आएंगे जो वैट में पंजीकृत थे, लेकिन जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। सेल्स टैक्स कमिश्नर मुकेश मेश्राम के आदेश पर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट अब एक्टिव हो गया है।

अधिकारियों को हैंड हेल्ड मशीन

जीएसटी लागू होने के बाद जिन व्यापारियों ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराया है, उनके व्यापार के साथ ही फर्म की भी जांच होगी। इसका आदेश सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों को दिया गया है। जांच के लिए सभी कर निर्धारण कार्यालयों को हैंड हेल्ड मशीन उपलब्ध कराई गई है। इसके जरिये टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी व कर्मचारी व्यापारिक स्थल की फोटो खीचेंगें। ऐप के थ्रू जैसे ही व्यापारिक स्थल का फोटो खींचा जाएगा, उसका लांगीट्यूट और लैटीट्यूड ऐप में सेव हो जाएगा।

फर्म प्लेस का होगा वेरीफिकेशन

व्यापारियों ने फर्म रजिस्ट्रेशन के दौरान जिस एड्रेस का जिक्र किया है, वास्तव में उस स्थान पर फर्म चल रही है या नहीं, इसका भी वेरीफिकेशन कराया जाएगा। जीएसटी लागू होने के बाद जिन व्यापारियों ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराया है, उनकी जांच के लिए डेड लाइन भी तय कर दी गई है।

सरेंडर करने वालों की होगी स्क्रूटनी

जांच के दायरे में जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी ही नहीं, बल्कि वे भी आएंगे जो जीएसटी में माइग्रेट कर चुके थे। लेकिन बाद में उन्होंने पंजीयन निरस्त करा दिया। जिनका पिछले वर्ष टर्नओवर 10 लाख रुपए से अधिक रहा है। उनकी भी जांच होगी। जीएसटी लागू होने के पहले जो व्यापारी वैट में रजिस्टर्ड थे, लेकिन जीएसटी में अपने फर्म का माइग्रेशन नहीं कराया, लेकिन उनका टर्न ओवर दस लाख रुपये से अधिक रहा है, ऐसे व्यापारियों की भी जांच होगी।

कितने का कर रहे हैं व्यापार?

ऐसे व्यापारी जिनका पंजीयन सर्विस टैक्स विभाग द्वारा निरस्त किया जा चुका है, उनकी भी जांच होगी। इसके तहत पता लगाया जाएगा कि वे व्यापार कर रहे हैं या नहीं। यदि कर रहे हैं तो उनका टर्न ओवर 20 लाख रुपए से अधिक तो नहीं है। 20 लाख रुपए से अधिक टर्न ओवर पाए जाने पर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराते हुए टैक्स जमा कराया जाएगा।

ई-वे बिल वाले भी जांच की जद में

नए पंजीकृत व्यापारी जो ई-वे बिल का प्रयोग कर रहे हैं, उनकी भी जांच वाणिज्यकर अधिकारी द्वारा की जाएगी। यही नहीं टैक्स को शून्य कर देने और पांच हजार रुपए से कम टैक्स देने वाले व्यापारियों की खंड के असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा जांच की जाएगी।

वर्जन

व्यापारियों द्वारा जीएसटी काउंसिल के साथ ही सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की आंखों में धूल झोंकने की जानकारी मिल रही है। इसलिए जांच का शिकंजा कसा जा रहा है, जो व्यापारी सही तरीके से बिजनेस कर रहे हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।

रामप्रसाद

असिस्टेंट कमिश्नर, ग्रेड-2

जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों की ओर से यही मांग की गई थी कि करीब एक वर्ष तक व्यापारियों को जीएसटी अपनाने व बिजनेस करने की छूट दी जाए। जो व्यापारी जीएसटी के दायरे में नहीं हैं, उनकी जांच कराना गलत है। सेल्स टैक्स कमिश्नर को इस पर विचार करना चाहिए।

-संतोष पनामा

संयोजक

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

व्यापारी जांच प्रक्रिया के खिलाफ कत्तई नहीं हैं। लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि जांच के नाम पर किसी व्यापारी का उत्पीड़न न होने पाए। क्योंकि मौके का फायदा उठाकर अधिकारी व्यापारियों को परेशान भी करते हैं।

-महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष

कैट