-परियोजना की डीपीआर मंजूरी के लिए कैबिनेट स्तर पर अटकी, नहीं मिल रही मंजूरी

-राजनीतिक उपेक्षा की शिकार हो रही मेरठ की महत्वाकांक्षी परियोजना

आई इनवेस्टीगेटिव

Meerut : सत्ता पर काबिज होते ही सूबे की अखिलेश सरकार ने मेरठ-लखनऊ समेत कई शहरों में मेट्रो के संचालन का दावा किया था। लखनऊ मेट्रो को गुरुवार को सीएम अखिलेश यादव ने हरी झंडी दिखा दी जबकि मेरठ समेत अन्य शहरों में शिलान्यास तक नहीं हुआ है। कहीं सरकारी उपेक्षा तो कहीं राजनीतिक नजरअंदाजी के शिकार इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर आई नेक्स्ट की एक पड़ताल

कैबिनेट की चौखट पर

27 मई को मेरठ में राइटर्स और लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन ने कमिश्नर आलोक सिन्हा की अध्यक्षता मेरठ मेट्रो की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत की थी, नोडल एजेंसी एमडीए के ऑफीसर्स ने भूमि अधिग्रहण संबंधी अपनी तैयारियों का ब्योरा दिया था। यहां से एप्रूव होकर डीपीआर शासन के पास भेजी गई, यहां विभिन्न मंत्रालयों की प्रक्रिया से गुजरकर फिलहाल मेरठ मेट्रो प्रोजेक्ट कैबिनेट के दरवाजे पर ठहर गया है।

राजनीतिक उपेक्षा का शिकार

स्थितियों पर गौर करें तो प्रथम लखनऊ में मेट्रो को सूबे की सपा सरकार ने टॉस्क के तौर पर लिया और कार्यकाल पूरा होने से पहले मेट्रो और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण कर दिया। दूसरे चरण में कानपुर, वाराणसी, मेरठ और आगरा में मेट्रो परियोजना का शुभारंभ होना था। कानपुर और वाराणसी में मेट्रो की डीपीआर यूपी की कैबिनेट होती हुई केंद्र सरकार से भी एप्रूव हो गई किंतु आगरा और मेरठ की डीपीआर यूपी सरकार की कैबिनेट का दरवाजा खटखटा रही है। आगरा समेत मेरठ में मेट्रो परियोजना सीधे तौर पर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार है।

एक नजर

X मेरठ में मेट्रो ट्रेन की स्थापना 55 फीसद ऋण की राशि से होगी।

-जबकि बाकी की लागत केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी।

-परियोजना की डीपीआर में कुल निर्माण को दो कॉरीडोर में बांटा गया है।

कारीडोर एक

परतापुर से मोदीपुरम (19.4 किमी)

-परतापुर से शताब्दीनगर तक व एमईएस से मोदीपुरम तक फ्लाईओवर पर

- शताब्दीनगर से बेगमपुल होते हुए एमईएस तक भूमिगत ट्रैक

कारीडोर दो

गोकुलपुर से श्रद्धापुरी (15.8 किमी)

-गोकलपुर से रजबन बाजार तक फ्लाईओवर पर

-रजबन बाजार से श्रद्धापुरी फेज दो तक भूमिगत

ऐसे जुटेगा धन

55 प्रतिशत-सॉफ्ट लोन

20 प्रतिशत-केंद्र सरकार

20 प्रतिशत-राज्य सरकार

5 प्रतिशत-प्राइवेट सेक्टर

अनुमानित लागत-10 हजार करोड़ रुपये

हर घंटे 51 हजार यात्री

मेट्रो ट्रेन अपने दोनों रूट के माध्यम से पीक ऑवर में एक घंटे में कुल 51 हजार यात्रियों को ले जाएगी। परतापुर से मोदीपुरम ट्रैक पर 27 हजार तथा गोकलपुर से श्रद्धापुरी ट्रैक पर 24 हजार (पीएसपीडीटी) पीक ऑवर पीक डायरेक्शन ट्रैफिक का आंकलन किया गया है। मेट्रो ट्रेन के कुल 32 स्टेशन बनाए जाएंगे लेकिन इनमें से कुछ स्टेशन अति भीड़भाड़ वाले होंगें। राइट्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीक ऑवर में परतापुर, बेगमपुल, मोदीपुरम, बच्चापार्क, हापुड़ अड्डा, गोकलपुर आदि स्टेशनों से चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या 10 हजार से 15 हजार प्रति घंटा होगी।

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मेरठ मेट्रो की डीपीआर को इस बार कैबिनेट में मंजूरी मिल जाएगी। मेरठ के मेट्रो को लेकर यूपी की सरकार गंभीर है। चली आ रही लापरवाही को सुधारा जाएगा

शाहिद मंजूर, कैबिनेट मंत्री, यूपी सरकार

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दिल्ली (केंद्र सरकार) तैयार बैठी है। मेरठ मेट्रो परियोजना को प्रदेश स्तर पर टाला जा रहा है। सूबे के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मेट्रो की डीपीआर को कैबिनेट में मंजूरी के लिए कहा जाएगा।

राजेंद्र अग्रवाल, सांसद, मेरठ

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मेट्रो की डीपीआर एप्रूव होने के बाद कैबिनेट में पास होने में इतना समय लगेगा इसकी जानकारी नहीं थी। सूबे की सरकार जानबूझकर मेरठ की जनता के हितों को नजरअंदाज कर रही है। सीएम को लिखा जाएगा।

हरिकांत अहलूवालिया, महापौर, मेरठ

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मेरठ मेट्रो की डीपीआर को कैबिनेट में मंजूरी मिलनी बाकी है। मंजूरी मिलते ही डीपीआर को केंद्र सरकार भेजा जाएगा। फिलहाल कैबिनेट से पास होने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।

विवेक भाष्कर, नोडल अधिकारी, मेरठ मेट्रो प्रोजेक्ट