5500 स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन प्रोसेस में की सेंधमारी

BAREILLY:

स्कॉलरशिप पाने के लिए डिस्ट्रिक्ट के भ्भ्00 स्टूडेंटस ने ऑनलाइन प्रोसेस में सेंधमारी की है। स्टूडेंटस ने जाली सर्टिफिकेट के जरिए स्कॉलरशिप पाने के लिए ये जुगाड़ लगाया। सेंधमारी की इस घटना के बाद ऑनलाइन प्रोसेस शुरू होने से फर्जीवाड़े के खत्म होने की आशा पर पानी फिर गया है। खास बात ये है कि इस खेल को जिला लेवल अधिकारी भी नहीं पकड़ सके। शासन से इन जालसाजों की लिस्ट जारी होने के बाद अधिकारी एक्टिव हुए।

सेम इंफार्मेशन से कइयों ने िकया अप्लाई

दशमोत्तर की स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करने वाले ओबीसी कैटेगिरी स्टूडेंटस ने फार्म भरते समय फर्जी सर्टिफिकेट का खूब इस्तेमाल किया है। निदेशक पिछला वर्ग कल्याण अधिकारी उत्तर प्रदेश द्वारा जारी की गई सूची में बरेली के भ्भ्00 अप्लीकेंट्स सस्पेक्टेड पाये गए। जिनमें से कइयों ने डोमिसाइल, इनकम सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट से लेकर कई दूसरे जरूरी प्रमाण पत्रों के फर्जी दस्तावजों को ऑनलाइन इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में हाईस्कूल के बाद गैप करने वाले अप्लीकेंट्स ने अपना रिकॉर्ड गायब दिखाया है। इसके अलावा कई अप्लीकेशंस में हाईस्कूल के एक ही रोल नंबर, नाम व फादर्स नेम का इस्तेमाल किया गया है। हैरानी की बात ये है कि एक जैसी इंफार्मेशन होने के बाद भी सॉफ्टवेयर ये सारी इंफार्मेशन एक्सेप्ट कैसे कर रहा है। फर्जीवाड़ा करने के लिए स्टूडेंट्स ने इस सॉफ्टवेयर के लू-पोल का बखूबी इस्तेमाल किया है। बता दें कि पहली बार दशमोत्तर छात्रवृत्ति का प्रोसेस ऑनलाइन किया गया था।

लापरवाह डीआईओएस ने नहीं की कार्रवाई

शासन द्वारा भेजे गए सस्पेक्टेड अप्लीकेंट्स की लिस्ट को जिला पिछला वर्ग विभाग द्वारा डीआईओएस को भेजी गई। जिस पर अधिकारी को ख् मार्च तक एक्शन लेना था। लेकिन अधिकारी द्वारा अब तक एक्शन नहीं लिया गया है। इस बाबत पूछने पर डीआईओएस का कहना है कि वे अब ऐसे स्कूलों के स्टूडेंट्स की जांच कराकर उन पर एक्शन लेंगे। जांच में फर्जी पाये जाने वाले स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी।