- देश के बेहतरीन आर्चर्स ने माना लीग से हो सकता है आर्चर्स और आर्चरी में सुधार

- कई आर्चर्स नहीं मिल पाती है ठीक से सुविधाएं

- लीग से देश को मिल सकेंगे बेहतरीन आर्चर्स

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sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : आर्चरी का देश का सबसे ज्यादा उभरता हुआ खेल है। अगर व‌र्ल्ड लेवल पर बात करें तो देश व‌र्ल्ड रैंकिंग पर दूसरे नंबर हैं। वहीं इंडिविजुअल रैंकिंग में देश की महिला और पुरुष व‌र्ल्ड में टॉप फाइव रैंकिंग में शुमार हैं। फिर भी इन आर्चर्स को वो सुविधाएं और एक्सपोजर नहीं मिल पा रहा जोकि मिलना चाहिए। ताज्जुब की बात तो ये है कि फुटबॉल, बैडमिन्टन, टेनिस, कबड्डी लीग शुरू हो गई है, लेकिन आर्चरी में नहीं। आर्चर्स का कहना है कि अगर लीग शुरू हो जाएं तो आर्चरी और आर्चर्स की स्थिति में काफी सुधार होगा। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर देश के बेहतरीन आर्चर्स का इस बारे में क्या कहना है

सारी समस्या ही दूर हो जाएगी : दीपिका

देश की बेहतरीन आर्चर और अर्जुन अवार्ड विनर दीपिका कुमारी कहती हैं कि अब वक्त आ गया है कि देश के आर्चर्स को एक्सपोजर मिलना चाहिए। वो सिर्फ लीग से ही मिल सकता है। कबड्डी के खिलाडि़यों को पहले कौन इतना जानता था। लेकिन अब हर खिलाड़ी का नाम लोगों के मुंह पर है। फुटबॉल, टेनिस और बैडमिन्टन की तरह आर्चरी लीग होने काफी जरूरी है।

यंगस्टर्स को मिलेगा मौका : डोला

ओलंपियन और देश की सीनियर आर्चर डोला बनर्जी का कहना है इससे देश के आर्चर्स और काफी फायदा होगा। देश के यंग आर्चर्स को सीनियर्स और विदेशी खिलाडि़यों के साथ खेलने मौका मिलेगा और काफी कुछ सीखने का मौका मिलेगा। लेकिन ये सब फेडरेशन को सोचना होगा। बाकी खेलों के फेडरेशंस ने जिस तरह से इनिशिएटिव लिया है आर्चरी को भी लेना चाहिए।

लीग ही सुधारेगी देश की आर्चरी : विश्वास

प्रभात आश्रम के शिष्य और देश को कई इंटरनेशनल मेडल दिला चुके आर्चर विश्वास कहते हैं देश की आर्चरी की दुर्दशा को सिर्फ लीग ही दूर सकती है। क्योंकि ये एक ऐसा खेल हैं जिसके इक्विपमेंट काफी महंगे आते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां जब आगे आएंगी तो समस्या काफी हल होगी। देश को ओलंपिक जैसे इवेंट में गोल्ड इवेंट जीतने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

होगी बेहतर प्रैक्टिस : कपिल

मेरठ के ही कपिल देश को कई व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में रिप्रजेंट कर चुके हैं, लेकिन नेम फेम से काफी दूर हैं। लेकिन उनका कहना है कि कई देश के खिलाड़ी ऐसे हैं जो जॉब करते हैं। जिसमें उन्हें ज्यादा प्रैक्टिस करने का मौका नहीं मिलता है। लीग जैसे मुकाबलों से उन्हें बेहतर आर्चर्स के साथ खेलकर प्रैक्टिस का मौका मिलेगा और हमारी परफॉर्मेस में लगातार सुधार होगा।