ए1स1लुसिव न्यूज

- पिछले 19 अ1टूबर से 30 नवंबर तक चली बिक्री प्रक्रिया में नहीं पहुंचे 2ारीदार

- हाइब्रिड गायों को पालने में कमी होने पर सेना की ओर से कार्रवाई की सं5ावना

BAREILLY:

केंद्र सरकार ने सैन्य फा6र्स को बंद करने का फैसला तो कर लिया, लेकिन सैन्य फार्म की इन गायों को अब कोई 2ारीदार ही नहीं मिल रहा। जिसकी वजह है सेना की ओर से बेची गई गायों की दो माह तक मॉनीटरिंग किया जाना। इसके तहत सेना देखेगी कि कहीं बेची हुई गायों की बिक्री तो नहीं की जा रही है। इसके अलावा उनका पालन सही से किया जा रहा है या नहीं। वहीं, गौरक्षा कानून बनने से 5ाी लोग इन गायों को 2ारीदने से बच रहे हैं। सैन्य फार्म अधिकारियों ने अब इनकी नीलामी कराने का निर्णय लिया है। जिसमें डेयरी संचालकों को गायें बेची जाएंगी। जिससे गायों की मॉनीटरिंग भी आसानी से हो सकेगी।

सैन्य फार्म को मिली जि6मेदारी

गायों को शि3िटंग के बाद फार्म की जमीन का संचालन कौन करेगा इस पर पेंच फंसा है। 19 अ1टूबर को विज्ञापन जारी होने के बाद डिफेंस एस्टेट ऑफिसर ने रक्षा मंत्रालय से मामले पर जानकारी मांगी थी। जिस पर गाय के शि3ट कराने की जि6मेदारी सेना को और जमीन को डीईओ के अंडर में देने के आदेश मिले थे, लेकिन सेना ने इस आदेश को प्रॉपर चैनल से उनके पास पहुंचने पर ही इसको स्वीकार करने को कहा है। इसी बीच सैन्य फार्म को जि6मेदारी मिली तो उन्होंने नीलामी का निर्णय लिया है। नीलामी के बाद जमीन डीईओ की निगरानी में आने की सं5ावना है।

दो महीने से बिकने के इंतजार में

जुलाई 2017 में सैन्य फार्म में पाली जा रही गायों की दे2ारे2ा में अधिक 2ार्च होने की वजह से इन्हें बंद करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, फार्म की जमीन को डिफेंस एस्टेट ऑफिस की निगरानी में देने का आदेश जारी किया गया। सैन्य फार्म के कर्मचारियों को 3 माह का नोटिस दिया गया था। जिसके मुताबिक 14 अ1टूबर के बाद गायों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करनी थी। इसके तहत 19 अ1टूबर को सेना ने बिक्री के लिए विज्ञापन जारी किया था। लेकिन करीब दो माह गुजरने बाद 5ाी अब तक एक 5ाी 2ारीदार ने सैन्य फार्म अधिकारी से संपर्क नहीं किया है।

एक नजर में।

- 640 गाय हैं सैन्य फार्म में

- 80 गाय हैं फ्रीजवाल नस्ल

- 30 हॉलस्टीन फ्रिजियन नस्ल

- 70 साहीवाल नस्ल की हैं गाय

- 450 5ारतीय नस्ल की हैं गाय

- 21 सौ लीटर दूध माह में उत्पादित

- 110 कर्मचारी डेयरी में कार्यरत्

पहले डीईओ को गायों की शि3िटंग की जि6मेदारी मिली थी। बाद में यह जि6मेदारी सैन्य फार्म संचालक दे दी गई थी। व्यक्तिगत बिक्री के बजाय सामूहिक नीलामी करना कहीं बेहतर है।

प्रमोद कुमार सिंह, डीईओ