- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सेना की खाली पड़ी जमीन पर बोए जाएंगे बबूल के पौधे

- निगरानी, पानी और चोरी होने का नहीं होगा डर, सेना को और मजबूत बनाएगा बबूल

BAREILLY:

कैंटोनमेंट बोर्ड और सेना की खाली जमीन की हिफाजत और रखवाली बबूल के पौधे करेंगे। ताकि सेना की जमीन पर कब्जे की फिराक लगाए हुए लोगों को दूर रखा जा सके। योजना को बरेली रक्षा संपदा विभाग और वन विभाग के अधिकारियों ने मिलकर तैयार की है। संभावना जताई गई है कि इन कंटीले बबूल के पौधों के लिए जरिए पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही साथ ही यह पौधे अवैध कब्जेदारों के पैर और आंख में भी चुभेंगे। आइए बताते हैं कि आखिर कैसे बबूल के पौधे लगाने की बनाई गई योजना

वन विभाग ने किया था इनकार

मानसून की शुरुआत में रक्षा संपदा विभाग ने सेना की खाली पड़ी जमीन पर वन विभाग को पौधे लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन वन विभाग ने लगाए जाने वाले पौधों पर रक्षा संपदा विभाग ने अपना और वन विभाग ने भी मालिकाना हक होने की कंडीशन रख दी थी। जिसके चलते पौधे नहीं लगाए जा सके। इसके बाद खाली पड़ी जमीन के संरक्षण और निगरानी करने का सवाल खड़ा हो गया। ऐसे में रक्षा संपदा विभाग ने बबूल के पौधे लगाने की योजना बनाई। बबूल के पौधों का पर्यावरणीय प्रभाव और जमीन के उपजाऊपन के प्रभाव के बाबत जानकारी मांगी। वन विभगा की ओके रिपोर्ट मिलते ही योजना को अमलीजामा पहनाया जाना शुरू हो गया।

कैंपिंग एरिया में लगेंगे बबूल

विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक रक्षा संपदा विभाग की यह योजना उत्तर प्रदेश के सभी कैंपिंग ग्राउंड्स में लागू की जाएगी। इसके लिए सेना के बरेली सर्किल के उच्चाधिकारियों ने अन्य सर्किल्स को पत्र लिखकर यह योजना सुझाई है। कहा है कि प्रदेश की सभी खाली पड़ी सेना की जमीन पर अवैध कब्जे शुरू हो गए हैं। जिसकी शुरुआत खेती से होती है। कुछ सालों बाद लोग घास फूस डालकर झोपड़े बना लेते हैं। कच्चा और फिर वह पक्का निर्माण कर लेते हैं। ऐसे में इन अवैध कब्जों को हटाने में काफी माथापच्ची करनी पड़ती है। ऐसे में बबूल के पौधे लगने के बाद वह एरिया सेफ रहेगा और बबूल के पौधे जलावनी लकड़ी के तौर पर सेना के काम आएगी।

एक नजर में

- बबूल के पौधों के बजाय जमीन में बोए जाएंगे बीज

- 6 माह में 2 फीट, 1 वर्ष में 5 फीट हो जाएंगे पौधे

- डेढ़ वर्ष बाद पूरी तरह कवर्ड हो जाएगी जमीन

- पेड़ लगाने पर फल चोरी की संभावना नहीं होगी

- 1 किलो बबूल के बीज से 1 एकड़ जमीन कवर

- 10 फीट की दूरी पर रखे जाएंगे 1-1 बीज

- 402 एकड़ है बरेली में कुल सेना की खाली जमीन

- उत्तराखंड में गिंघारू, किलमोड़ा के पौधे लगेंगे

- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर सू बबूल लगेगा

- 71 एकड़ कैंपिंग ग्राउंड में लगाए जा चुके हैं बबूल

अवैध कब्जों से सेना की जमीन की मुक्त रखने के लिए बबूल के बीज बोए जाएंगे। जो साल भर बाद जमीन में फैल जाएंगे। इसकी निगरानी की जरूरत नहीं है लेकिन यह जमीन की रखवाली करेगा।

प्रमोद कुमार सिंह, रक्षा संपदा अधिकारी