सियाचिन के कुछ फैक्ट्स

1 एक रिपोर्ट के अनुसार सियाचिन की रक्षा करते हुए 1984 से अब तक 869 जवानों की मौत हो चुकि है।

बर्फ की चादर ओढ़े सियाचिन में ऐसे जीते हैं हमारे जवान

2 इस जगह पर भारतीय फौज की 150 पोस्ट हैं जिसके लिए 10 हजार फौजी तैनात किए जाते है।

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3 दिन में यहां का तापमान 0 से 40 डिग्री तक होता है जो रात में -40 डिग्री तक चला जाता है।

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4 इस जगह पर रहने के लिए फौजियों को 5 वीक की खास ट्रेनिंग दी जाती है। एक फौजी को सिर्फ 3 महीने के लिए ही सियाचिन में तैनात किया जाता है।

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5 सियाचिन के लिए फौजियों की ट्रेनिंग कश्मार के खिल्लनमर्ग के गुज्जर हट में बने हाई एल्टीट्यूड वासफेयर स्कूल में होती है। यहां पर उन्हें बर्फ पर रहना और पहाड़ काट कर ऊंचाई पर चढ़ने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद फौजियों को सियाचिन ग्लेशियर से पहले बने बेस कैंप के सियाचिन बैटल स्कूल तक लाया जाता है।

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6 इस बैटल स्कूल में उन सबको 5 हफ्ते की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग के बाद उन्हें सियाचिन की चौकियों पर हेलीकॉप्टर के द्वारा भेजा जाता है। यहां सभी काम हेलीकॉप्टर द्वारा ही किया जाता है।

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7 तैनाती के तीन महीने के दौरान फौजियों को नहाना और दाढ़ी बनाना मना होता है। सोने से पहले हर रात उन्हें चोकि के सामने से बर्फ हटानी पड़ती है, क्योंकि ऐसा ना करने पर बर्फ के दबाव से जमीन फटने का खतरा होता है।

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8 हिम्मत और ट्रेनिंग के बावजूद यहा फौजियों को हाइपोक्सिया और हाई एल्टीट्यूड एडिमा जैसी बीमारियां हो जाती है। इन बीमारियों में फेफड़ो में पानी भर जाता है और अंग सुन्न पड़ जाते हैं।

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9 भारतीय सैनिकों ने यहां पर इतनी कड़ी सुरक्षा कर रखी है कि दुश्मन चाह कर भी यहां सेंध नहीं लगा सकता।

10 यहां पर भारत और पाकिस्तान के फौजी 30 साल से आमने-सामने डटे हुए हैं।

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11 1949 के कराची समझौते और 1972 के शिमला समझौते में यह तय किया गया था कि NJ 9842 प्वाइंट के आगे कोई भी देश नियंत्रण की कोशिश नहीं करेगा। पर पाकिस्तान की नीयत खराब होते देर ना लगी, जिसने भारतीस जवानों को और चौकन्ना कर दिया।

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12 80 के दशक से ही पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी कर रहा था। इसको देखते हुए बर्फीले जीवन के तजुर्बे के लिए 1982 में भारत ने भी अपने जवानों को अंटार्कटिका भेज दिया। 1984 में पाकिस्तान ने लंदन की कंपनी को बर्फ में काम आने वाले साजो-सामान की सप्लाई का ठेका दिया, तो भारत ने 13 अप्रैल 1984 को ही  सियाचिन पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन 'मेघदूत' शुरू कर दिया। पाकिस्तान 17 अप्रैल से सियाचिन पर कब्जे का ऑपरेशन शुरू करने वाला था, लेकिन भारत ने तीन दिन पहले ही कार्रवाई कर उसे हैरान कर दिया। ये ऑपरेशन भारत के लिए आसान नहीं था।

13 कराकोरम रेंज में स्थित सियाचिन दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यह इंद्र नाम की पहाड़ी से शुरू होता है और चीन को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करता है।

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14 यहां पर हिमस्खलन के कारण भारतीय जवानों की मौत हो जाती है। सैनिकों की तैनाती का एक दिन का खर्च 4 से 8 करोड़ रुपये आता है।

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