- सरकारी प्रयासों के बाद भी बढ़ रहे एमडीआर, एक्सडीआर टीबी मरीज

- पिछले तीन साल में 461 एमडीआर व 45 एक्सडीआर टीबी के आए मामले

टीबी के खिलाफ सरकार की मुहिम और करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद भी इस बीमारी के बढ़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बनारस में हर महीने 300 से 400 टीबी के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें टीबी के सबसे घातक किस्म मल्टी ड्रग रेसिसटेंस (एमडीआर) टीबी के मामलों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। हैरानी कि बात ये है कि अब एक्सडीआर टीबी भी फेफड़ों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। पेश है व‌र्ल्ड टीबी डे पर खास रिपोर्ट

तेजी से डायग्नोस्ट हो रहे एमडीआर

शहर में हर साल करीब 3 हजार टीबी के मरीज सामने आ रहे हैं। हालंाकि डायग्नोसिस की नई टेक्नोलॉजी होने के चलते मरीज जल्दी डिटेक्ट हो रहे हैं। इसलिए यह कह सकते हैं कि मरीजों की संख्या ज्यादा सामने आ रही है। लेकिन उधर सरकार के सभी दावे फेल नजर आ रहे हैं। चिंता इस बात की है कि यहां एमडीआर, एक्सडीआर टीबी के केस में इजाफा हो रहा है। सिटी में पिछले तीन साल के आंकड़ों को देखें तो यह मर्ज तेजी से पैर पसार रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी पिछले माह चले डोर टू डोर अभियान में 67 टीबी के पेशेंट पाए गए थे, जिसमें 2 एमडीआर के थे।

हो सकता है खतरनाक

एक्सपर्ट का कहना हैं कि हम जिस परिस्थिति से जूझ रहे हैं वह अपने आप में एक टाइम बम की तरह है। ऐसा हो सकता है कि साधारण टीबी की बजाय बड़ी संख्या में लोग मल्टी रेसिस्टेंट टीबी या उससे भी ज्यादा ख़तरनाक टीबी का शिकार होंगे। इससे न केवल हज़ारों की संख्या में मौतें हो सकती हैं।

क्या है एमडीआर

जिन मरीजों में टीबी की प्राथमिक दवा का असर नहीं होता है। इस कंडीशन को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस या एमडीआर कहते हैं। भारत में 84,000 एमडीआर के रोगी हैं लेकिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है और यह चिंता का कारण है।

क्या है एक्सडीआर

एक्सडीआर यानि एक्स्टेंसिवली ड्रग रेसिस्टेंट टीबी एमडीआर का ही खतरनाक रूप है। इसमें एमडीआर में दी जाने वाली दवा भी कारगर नहीं रहती। ऐसे में बहुत अधिक पावर वाली दवा देनी पड़ती है जिसका मरीज के अंगों पर गंभीर असर होता है।

एक नजर

टीबी के मरीज

साल टीबी एमडीआर एक्सडीआर

2015 3884 186 12

2016 4043 135 19

2017 2917 140 14

जनवरी 2018 से अभी तक 967 से अधिक टीबी के मरीज इसमें 02 एमडीआर के।

टीबी रोकथाम के लिए व्यवस्था

डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर

4000 पेशेंट को दवाईयां प्रोवाइड

15 टीबी सेंटर हैं। 8 रूरल एरिया और 7 सिटी में

37 माइक्रो स्कॉपी सेंटर हैं डिस्ट्रिक्ट में

45 डीएमसी है डिस्ट्रिक्ट में जहां बलगम जांच की सुविधा उपलब्ध है।

600 से अधिक डॉट्स प्रोवाइडर हैं जो पेशेंट को उनके घर तक जाकर देखरेख में दवा की खुराक देते हैं ।

सरकार का टीबी को जड़ से खत्म करने का पूरा प्रयास कर रही है। जिले एमडीआर टेस्ट के लिए अब तीन सीबी नेट सेंटर हो गए है। विभाग भी मरीजों को हर सुविधा दे रहा है।

डॉ। केके ओझा, डीटीओ, जिला क्षय रोग विभाग