अशोक कुमार यानि कुमुदलाल कुंजीलाल गांगुली बॉलिवुड में दादा मुनि के नाम से फेमस थे. बंगाली फेमिली में 13 अक्टूशबर 1911 जन्मे अशोक कुमार के उनसे 18 साल छोटे भाई फेमस प्लेबैक सिंगर और एक्टर किशोर कुमार की डेथ 13 अक्टूनबर 1987 में हुई थी. इसके बाद हर्ट अशोक कुमार ने अपना बर्थ डे सेलिब्रेट करना बंद कर दिया था. अशोक और किशोर कुमार फेमस एक्ट्रेस काजेल के फादर की साइड से ग्रैंड फादर थे. क्योंकी काजोल के ग्रैंड फादर फिल्ममेकर शशधर मुखर्जी, अशोक कुमार के ब्रदर इन लॉ थे. शशधर मुखर्जी, अशोक कुमार के कॉलेज टाइम के फ्रैंड थे और उनके बॉलिवुड आने की वजह भी. इसी फ्रेंडशिप को रिलेशन में बदलने के लिए अशोक ने अपनी इकलौती सिस्टर सती देवी की शादी शशधर से करवा दी थी. शशधर मुखर्जी ने सन 1934 मे न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम कर रहे अशोक कुमार को बाम्बे टॉकीज में अपने पास बुला लिया था और इसी वजह से अशोक कुमार को देविका रानी के साथ 1936 मे बांबे टॉकीज की फिल्म 'जीवन नैया' में काम मिला जब एक्टर नजम उल हसन ने किसी वजह से फिल्म में काम करने से मना कर दिया, और बांबे टॉकीज के ओनर हिमांशु राय का ध्यान अशोक कुमार पर गया और उन्होंने उनसे फिल्म में बतौर लीड एक्टर काम करने को कहा.
इसके बाद देविका रानी के साथ उन्हें कई फिल्में मिलीं जैसे 'अछूत कन्या' जो सुपरहिट थी, फिर 'इज्जत' (1937), 'सावित्री' (1938) और 'निर्मला' (1938) आदि पर बड़ी एक्ट्रेस होने की वजह से इन फिल्मों की सक्सेज का क्रेडिट देविका रानी को मिला अशोक को नहीं. इसके बाद उन्होंने 1939 मे फिल्म 'कंगन', 'बंधन' (1940) और झूला (1941) में लीला चिटनिस के साथ काम किया इसके बाद वो बॉलिवुड के स्टैब्लिश एक्टर्स में काउंट किए जाने लगे. अशोक कुमार ने 1943 मे बांबे टाकीज की फिल्म 'किस्मत' में फर्स्ट टाइम एंटी हीरो का रोल प्ले किया जो स्मोकिंग भी करता था. 'किस्मत' ने बॉक्स आफिस के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए कोलकाता के चित्रा सिनेमा हॉल में लगभग चार साल तक लगातार चलने का रिकार्ड बनाया और अशोक कुमार ट्रेंड सेटर बने. 1943 में हिमांशु रॉय की डेथ के बाद अशोक कुमार बॉम्बे टाकीज को छोड़ कर फिल्मिस्तान स्टूडियो चले गए.
1947 मे देविका रानी के बाम्बे टॉकीज छोड़ देने के बाद अशोक कुमार ने बतौर प्रोडक्शन चीफ बाम्बे टाकीज के बैनर तले 'मशाल', 'जिद्दी' और 'मजबूर' जैसी कई फिल्में प्रोड्यूस कीं. इसी दौरान उन्होंने 1949 में सुपरहिट फिल्म 'महल' का प्रोडक्शन किया. इस फिल्म की सक्सेज ने मधुबाला और प्लेबैक सिंगर लता मंगेश्कर को भी हिट करा दिया था. फिफ्टीज मे बाम्बे टॉकीज से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की और जूपिटर थिएटर को भी खरीद लिया. बाद में घाटा होने के कारण उन्होने अपनी प्रोडक्शन कंपनी बंद कर दी. अशोक कुमार ने बाद में करेक्टर रोल करने स्टार्ट कर दिए और टाइप कास्ट होने से बचने अशोक कुमार ने खुद को डिफरेंट शेड्स के करेक्टर्स में पेश किया. 1968 मे फिल्म 'आर्शीवाद' मे उनका गाया सांग "रेल गाड़ी-रेल गाड़ी" बच्चों के बीच काफी पाप्युलर हुआ. 1984 मे दूरदर्शन के फर्स्ट डेली सोप 'हमलोग' में वह सीरियल के एंकर के रोल में दिखाई दिए. स्मॉल स्क्रीन पर उन्होंने 'भीमभवानी', 'बहादुर शाह जफर' और 'उजाले की ओर' जैसे सीरियल मे भी काम किया.
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