-पार्थिव शिवलिंग निर्माण को दद्दा के कैंप में पहुंचे आशुतोष राणा और राजपाल यादव

-बालीवुड स्टार्स के साथ फोटो खिचवाने वालों की लगी भीड़

ALLAHABAD: माघ मेले में साधु संत और महात्माओं का प्रवचन सुनने के साथ ही बालीवुड का तड़का भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। गृहस्थ संत पं। देवप्रभाकर शास्त्री दद्दा जी के कैंप में ये नजारा बेहद आसानी से देखा भी जा सकता है। सेक्टर चार के गंगोली शिवाला मार्ग पर स्थित दद्दा जी के कैंप में चल रहे पार्थिव शिवलिंग निर्माण कार्य में शामिल होने पहुंचे उनके शिष्य आशुतोष राणा और राजपाल यादव को देखने वालों की लंबी भीड़ कैंप में लगातार पहुंच रही है। लोग पार्थिव शिवलिंग निर्माण के पुण्य के साथ दोनों एक्टर्स से मिलने की ख्वाहिश भी पूरी कर रहे हैं।

प्रयाग में आने से मिलती है ऊर्जा

दद्दा जी के शिविर में पहुंचे फेमस एक्टर आशुतोष राणा ने कहा कि प्रयाग में अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा मौजूद है। यहां आकर मिलने वाली ऊर्जा का प्रभाव हमारे जीवन पर भी पड़ता है। सिर्फ इसी के चलते जब भी दद्दा जी के सानिध्य में प्रयाग आने का मौका मिलता है यहां आ जाता हूं। एक्टर राजपाल यादव ने कहा कि त्रिवेणी नगरी संगम को पुराणों में सबसे अधिक महत्व दिया गया है। माघ मेले के समय में चारों तरफ प्रभु भजन और वंदन की गूंज जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है। इससे सभी प्रकार की स्ट्रेस दूर हो जाती है। कहा कि, दद्दाजी उनके गुरू है और संगम नगरी में त्रिवेणी के तट पर जो महौल बनता है, वो कहीं दूसरी जगह देखने को नहीं मिलता।

बच्चे दस नहीं, दो ही अच्छे

ALLAHABAD: धमरंतरण के पीछे व्यक्ति की उपेक्षा व आर्थिक संकट होता है, जिससे जहां उसकी जरूरत पूरी होती है वह चला जाता है। धमरंतरण रोकना है तो सरकार व सक्षम लोगों को चाहिए कि वह हर जरूरतमंद लोगों को आर्थिक व सामाजिक रूप से सक्षम बनाएं। इससे समस्या का स्वत: ही समाधान हो जाएगा। यह कहना है गृहस्थ संत देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी का। वह फ्राइडे को माघ मेला क्षेत्र स्थित अपने शिविर में पत्रकारों से बात कर रहे थे। साईं पूजा को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि वह चमत्कारिक पुरुष थे, इसमें कोई शक नहीं है। उनके न रहने पर ऐसा विवाद खड़ा करना न्यायोचित नहीं है। कहा कि साईं पूजा उनके भक्तों की आस्था का विषय है। रही बात साईं पूजा का शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा विरोध करने का तो इसकी गहराई में जाने की जरूरत है। कहा कि, संतों के भाव चिंतनपूर्ण होते हैं, परंतु हम शब्दों को पकड़कर अर्थ का अनर्थ बना देते हैं। इससे बचने की जरूरत है। शंकराचार्य जी ने जो बातें कही है उसका चिंतन करके उसमें से निकलने वाले निष्कर्ष के आधार पर लोगों को बोलना चाहिए। कहा कि, बच्चे दो ही अच्छे होते हैं, इससे उसकी अच्छी परवरिश करके हर स्तर पर सक्षम बनाया जा सकता है।