पिछले महीनों भारतीय मुक्केबाजों ने उठाया नुकसान
इन तमाम कारणों से पिछले कुछ महीनों में भारतीय मुक्केबाजों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. भारतीय मुक्केबाजों के देश से बाहर होने वाले दौरों पर भी रोक लगी. यहां तक की एआईबीए का कोपभाजन बनने से बचने के लिए मित्र देश क्यूबा ने भी भारतीय मुक्केबाजों की मेजबानी से कदम पीछे हटा लिए.
 
'बॉक्सिंग इंडिया' के वजूद में आने से है उम्मीद
अब हालांकि, एआईबीए द्वारा मान्यता प्राप्त नई नवनिर्वाचित संस्था बॉक्सिंग इंडिया के वजूद में आने के बाद भारतीय मुक्केबाज एशियाई खेलों से अच्छी शुरुआत की उम्मीद कर सकते हैं.

पिछली बार जीते थे नौ पदक
पिछली बार भारतीय मुक्केबाजों ने नौ पदक जीते थे. ऐसे में अगर भारतीय मुक्केबाज इसके आस-पास भी पदक तालिका को पहुंचाते हैं तो इसे अच्छी शुरुआत मानी जाएगी. भारतीय मुक्केबाजों ने जुलाई-अगस्त में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में पांच पदक जीते.

कई मुक्केबाजों से है भारत को आस, मैरी कॉम उनमें से एक
शीर्ष भारतीय मुक्केबाजों में शामिल विजेंद्र सिंह हालांकि हाथ में चोट के कारण एशियाई खेलों मे हिस्सा नहीं ले रहे. विजेंद्र ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था. वहीं, पिछले एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. वैसे, चार साल पहले लगातार कई चोट के कारण रिंग से कई दिनों तक बाहर रहने वाले 33 वर्षीय अखिल कुमार के लिए संभवत: यह आखिरी अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट हो सकता है. विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय विकास कृष्णन यादव पर भी भारत की काफी उम्मीदें टिकी होंगी. वैसे दो साल बाद रिंग में वापसी कर रहे 22 वर्षीय विकास इन उम्मीदों पर कितना खरा उतरेंगे, यह देखने वाली बात होगी. विकास ने पिछले एशियाई खेलों में स्वर्ण जीता था. राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाले देवेंद्रो सिंह और मंदीप जांगड़ा से भी भारत को पदक की उम्मीद है. पांच बार की महिला विश्व चैम्पियन मैरी कॉम से भी भारत को पदक की आस है. गौरतलब है कि पिंकी जांगड़ा से हार के बाद मैरी राष्ट्रमंडल खेलों में क्वालीफाई नहीं कर सकी थीं. एशियाई खेल-2010 में मैरी ने कांस्य पदक अपने नाम किया था. राष्ट्रमंडल खेलों में रजत जीतने वाली महिला मुक्केबाज सरिता देवी भी भारत की झोली में पदक डालने का माद्दा रखती हैं.

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