-क्लॉक टावर में इस बार 218 आरएसपीएम पर ही अटका प्रदूषण, जबकि पिछले साल 227 था

-इस साल का पॉल्यूशन पिछले साल की तुलना में प्रदूषण के ग्राफ को एवरेज बताया गया

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DEHRADUN : अब इसको जागरुकता कहें या फिर महंगाई का असर। दीपावली के मौके पर शहर की फिजाओं में घुलने वाला जहर इस बार औसत रहा है। शहर की शुद्ध हवा में तैरने वाले जिन जानलेवा तत्वों की फिक्र हो रही थी, वहीं इस साल पॉल्यूशन पिछले साल की तुलना में प्रदूषण के ग्राफ को एवरेज बताया गया है। ऐसा ही हाल ध्वनि प्रदूषण का भी रहा। हालांकि कुछ इलाकों में पॉल्यूशन की बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड की गई है, लेकिन शहर की बढ़ी आबादी की तुलना में इस पर काफी हद तक दून शहर की आबों-हवा सेफ बताई गई है। जानकार भविष्य में दीपावली के मौके पर ऐसे प्रदूषण को कम करने और होने की बात कह रहे हैं, जिसके लिए जागरुकता के प्रबल हथियार भी मान रहे हैं।

औसत बताया गया पॉल्यूशन

जब भी दीपावली का त्योहार होता है, महालक्ष्मी पूजन के दिन शहर की हवा में घुलने वाले जहर की चिंता बढ़ जाती है। लेकिन स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इस पर ध्वनि व वायु पॉल्यूशन औसतन रहा, जबकि बाकी सालों में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जाती रही हैं। हार्ट ऑफ द सिटी घंटाघर की बात की जाए तो इस बार 2012 में दीपावली की रात 209.08 आरएसपीएमम इयर पॉल्यूशन रिकॉर्ड किया गया था, जबकि उसके अगले साल 2013 में इसी स्थान पर 227.03 रहा और इस साल कुछ गिरावट देखते हुए 218.12 आरएसपीएम पॉल्यूशन यहां पर दर्ज किया गया है। साफ है कि थोड़ा गिरावट देखी गई है।

रायपुर में खासी बढ़ोत्तरी

हालांकि पिछले साल 244.07 की तुलना में इस साल रायपुर में 307.08 आरएसपीएम पॉल्यूशन दर्ज किया गया है, जिसमें खासी बढ़ोतरी है, लेकिन पूरे शहर का पॉल्यूशन एवरेज कम दर्ज किया गया है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कार्यालय नेहरु कॉलोनी की टीम पिछले दो दिनों से पॉल्यूशन के ग्राफ पर काम रही थी, जिसमें सुंदर सिंह चौहान, रवींद्र पुंडीर, अतर सिंह, सुनील डबराल, सचित असवाल, रितेश सनवाल कर्मचारियों का सहयोग रहा।

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महंगाई का साइडइफेक्ट

इस बार पॉल्यूशन पर औसत एवरेज रहने की पीछे भी कई कारण बताया जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि मीडिया में पहले ही ईको दीपावली, सेफ दीपावली की बात प्रमुखता से उठाई जाती रही है। वहीं महीने के आखिरी में त्योहार होने और आतिशबाजी की सामग्री महंगी होना भी कारण बताया जा रहा है। नेहरु कॉलोनी निवासी अमित का कहना था कि आतिशबाजी के सामग्री के महंगे दामों के कारण खरीदने से पहले सोचना पड़ा। पॉकेट ने अलाउ नहीं किया, शायद ऐसे ही बाकी लोगों ने भी सोचा होगा। दून यूनिवर्सिटी रोड पर आतिशबाजी बेचने वाले अजय ढौंढियाल कहते हैं कि लागत भी वापस नहीं मिल पाई। घाटा उठाना पड़ा। रेट टू रेट बेचकर भी पूरा सामान नहीं बिक पाया।

एयर पॉल्यूशन के आंकड़े

स्थान------2012---2013---2014

क्लॉक टॉवर--209.08--227.03--218.12(आरएसपीएम)

रायपुर ----248.07---244.07---307.08(आरएसपीएम )

नेहरु कॉलोनी--376.01--397.06--333.69(आरएसपीएम)

(ये आंकड़े माइक्रो ग्राम में हैं.)

ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ा

स्थान------2012---2013---2014

नेहरु कॉलोनी--70--68--64 (डीबी)

रेसकोर्स--71 68 64 (डीबी)

प्रिंसचौक--72 69 69 (डीबी)

दून हॉस्पिटल चौक--68--65--63 (डीबी)

सीएमआई चौक--68--68--68(डीबी)

बसंत विहार--69--62--63 (डीबी)

क्लॉक टॉवर---76--72--74 (डीबी)

(यह सभी आंकड़े राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त हैं)

काफी हद तक इस बार राजधानी में ध्वनि व इयर पॉल्यूशन औसत रहा है। थोड़ा कम कहा जा सकता है। आम लोग अवेयर हों तो ऐसे प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है।

-एसएस राणा, आरओ, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड दून।