- पीजी कॉलेज में 75 फीसदी उपस्थिति को लेकर एबीवीपी ने खोला मोर्चा

- एबीवीपी और एनएसयूआई एक मत, पहले कॉलेजों में संसाधन जुटाना जरूरी,

DEHRADUN:

हायर एजुकेशन में 7भ् फीसदी उपस्थिति को लेकर अब एबीवीपी ने भी मोर्चा खोल दिया है। एबीवीपी ने कॉलेजों में बिना संसाधनों के 7भ् फीसदी उपस्थिति के फैसले का जमकर विरोध करने का एलान कर दिया है। साफ है कि एबीवीपी का ये एलान अपनी ही सरकार के खिलाफ सीधे-सीधे मोर्चा खोलना है। ऐसे में अब आने वाले दिनों में राज्य सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है। गौर हो कि ड्रेस कोड को लेकर पहले से ही एबीवीपी ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।

हॉस्टल और माहौल पर हो फोकस

पीजी कॉलेजेज में शिक्षा के स्तर को सुधारने, शिक्षा का माहौल और बेहतर करने के लिए यूजीसी ने छात्रों की उपस्थिति क्लास में 7भ् प्रतिशत की है। जिसके बाद प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत ने भी हर हाल में 7भ् फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य करने के निर्देश जारी किए। अब ये फरमान भी बीजेपी विचारधारा के संगठन एबीवीपी ने मानने से इनकार कर दिया है। डीएवी में छात्र संघ अध्यक्ष शुभम सिमल्टी का कहना है कि भले ही 7भ् फीसदी उपस्थिति का निर्णय छात्र हित का हो, लेकिन इसे लागू नहीं करना आसान नहीं है। शुभम ने कहा कि कॉलेजों में बिना संसाधन प्रोवाइड किए हाजिरी 7भ् फीसदी नहीं हो सकती है। इसके लिए कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा के साथ-साथ कैंपस के हाल भी सुधारने होंगे।

इधर कांग्रेस की स्टूडेंट्स विंग ने भी 7भ् फीसदी उपस्थिती का रूल किसी भी हालत में लागू न होने की वकालत की है। एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष विनीत भट्ट ने कहा कि पहले सरकार को पीजी कॉलेज में माहौल बनाने के लिए काम करना होगा। ड्रेस कोड और हाजिरी तभी कॉलेज में हो पाएगी जब कॉलेज में पढ़ाई का माहौल होगा।

डीएवी के प्राचार्य डा। देवेन्द्र भसीन ने बताया कि डिर्पाटमेंट वाइज अटेनडेंस ली जा रही है। जिसमें कोशिश की जा रही है कि अटेनडेंस 7भ् फीसदी हो। हालांकि वे मानते हैं कि रिजल्ट और सेमेस्टर सिस्टम अगर सही समय पर चलता रहे तो ये सम्भव है। फिलहाल ये व्यवहारिक नहीं हो पा रहा है।

पहले कॉलेज में संसाधन जुटाने और पढ़ाई का माहौल बनाना होगा। 7भ् फीसदी अटेनडेंस का रुल नहीं माना जा सकता है।

शुभम सिमल्टी, छात्र संघ अध्यक्ष, डीएवी

पहले सरकार को पीजी कॉलेजों में पढ़ाई का माहौल बेहतर बनाना चाहिए। ये सब रूल चलाना स्वीकार नहीं है।

विनीत भट्ट, प्रदेश उपाध्यक्ष, एनएसयूआई

वर्तमान में डिपार्टमेंट वाइज अटेनडेंस ली जा रही है। 7भ् फीसदी अटेनडेंस होनी चाहिए। वर्तमान में ये व्यवहारिक नहीं हो पा रहा है।

डा। देवेन्द्र भसीन, प्राचार्य, डीएवी