-जहां से शुरू वहीं पर आकर खत्म हो गया प्रो। एके सिंह का सफर

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ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के लिए 24 जनवरी 2011 का दिन नई उम्मीदों का सवेरा लेकर आया था। कारण इस यूनिवर्सिटी को वाइस चांसलर के रूप में एक आईआईटीएन कुलपति प्रो। एके सिंह के रूप में मिला था। इस आईआईटीएन कुलपति ने आते ही वादा किया था कि वे एकेडमिक एक्सीलेंस से कोई समझौता नहीं करेंगे। लेकिन 28 जुलाई 2014 को जब प्रो। एके सिंह का सफर उनके इस्तीफे के साथ आकर थमा तो वही कुलपति अपने वादे को बीच रास्ते छोड़कर जा चुके थे। यूनिवर्सिटी में प्रो। सिंह की कहानी जहां से शुरू हुई थी, वहीं पर आकर खत्म हो गई।

पहले और आखिरी दिन में अंतर कहां

अपने कार्यकाल के पहले ही दिन कुलपति को पत्राचार संस्थान कर्मियों और विश्वविद्यालय एवं संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ के अनशन का सामना करना पड़ा था। फिलहाल जिन मांगों को लेकर शिक्षक और कर्मचारियों ने उस समय अनशन किया था। वे मांगे आज भी अपनी जगह पर कायम हैं। पत्राचार संस्थान कर्मी पिछले 28 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। वहीं आक्टा ने भी आगामी 30 जुलाई को जोरदार विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रखी थी।

विजन विदाउट एक्शन का सफर

इस दौरान प्रो। एके सिंह के साढ़े तीन साल का सफर विजन विदाउट एक्शन जैसा रहा। शायद यही कारण है कि एयू में आईआईटीएन का तमगा लेकर आए कुलपति अपने साथ कुशल प्रशासक न होने का तमगा लेकर लौटे। वे संवादहीनता और अनिर्णय की स्थिति पैदा करने जैसे गंभीर आरोपों से अंत तक पीछा नहीं छुड़ा सके। इतना ही नहीं पहली बार किसी कुलपति पर छेड़खानी का मुकदमा दर्ज हुआ।

उंगलियों पर उपलब्धि, नाकामी की मोटी फाइल

देखा जाए तो प्रो। सिंह के पूरे कार्यकाल में उपलब्धियां नाम मात्र की रहीं। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उनके राह में रोड़े अटकाने वाले भी कम नहीं थे। फिलहाल तो इस निराशाजनक माहौल में अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वह और कोई नहीं बल्कि वह आम छात्र है जो नकारात्मकता के अंतहीन सिलसिले में अभी भी संभावनाएं तलाशने को विवश हैं।

ये रही उपलब्धियां

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-24 जनवरी 2011 में आईआईटीएन का तमगा लेकर आए

- 2012 में 504 पदों के लिए टीचर्स रिक्रुटमेंट का विज्ञापन निकाला

- 2012 में छात्रसंघ चुनाव की घोषणा

- घोटाले की आरोपी सुरक्षा एजेंसी बीआईएस को हटाया

- हास्टल्स में रेड की बड़ी कार्रवाई दो बार

- एग्जीक्यूटिव काउंसिल व एकेडमिक काउंसिल की कई बैठकें

- एडमिशन का सेंट्रलाईज ढांचा किया विकसित

- महिला और पुरुषों के लिए एक एक नया हास्टल

- आईसीटी एवं इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल का गठन

- चौबीस घंटे कैम्पस में बिजली आपूर्ति

- फाईनेंस ऑफिसर पर एके कनौजिया व डीएसब्ल्यू जैसे पद पर डॉ। एआर सिद्दकीी जैसे नए चेहरों को मौका

यहां रहे नाकाम

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- लम्बा समय बीतने के बाद भी केवल 56 टीचर्स की हो सकी नियुक्ति

- नहीं कर पाए कर्मचारियों की भर्ती

- छात्र, टीचर्स और कर्मचारियों के बीच सकारात्मक पैठ नहीं बना सके

- संवादहीनता और अनिर्णय की स्थिति पड़ी भारी

- फाइलों पर हस्ताक्षर करने से भी हिचकते रहे

- एयू आफिसर्स भी कार्यशैली से नहीं दिखे संतुष्ट

- क्लासेस, प्रवेश, परीक्षाएं, रिजल्ट में बाधा ही बाधा

- रिसर्च में प्रवेश को लेकर भी चला विवादों का दौर, सेशन भी हुआ लेट

- सशक्त नहीं बन पाया छात्रसंघ, पदाधिकारियों से भी बनीं रही दूरी

- कॉलेज कर्मचारी और टीचर्स की मांगों का भी नहीं निकाल सके समाधान

- अप्रैल 2012 में हास्टल के विवाद में ढेड़ दिन तक कुलपति कार्यालय में रहे कैद

- हास्टल विवाद में हुए भारी बवाल के बाद आई एमएचआरडी की जांच कमेटी ने भी किए कुलपति के रवैये पर कटाक्ष

- छात्रसंघ चुनाव से पहले छात्र परिषद की घोषणा करके लिया पंगा

- हास्टल और कैम्पस की अराजकता पर हाईकोर्ट को लेना पड़ गया संज्ञान

- टीचर्स रिक्रुटमेंट में मनमाने तरीके से विशेषज्ञों को बुलाने के लगे आरोप

- आटा और आक्टा जैसे शिक्षक संघों से समन्वय न स्थापित कर पाना

- छात्रसंघ चुनाव, टीचर्स के आन्दोलन और हास्टल खाली कराने के विवाद में सेंट्रल गवर्नमेंट के हस्तक्षेप के बाद सामान्य हुए हालात

- कैग की रिपोर्ट में भी विवि के हालातों को बताया गया चिंताजनक

- हास्टल्स फैसेलिटी का लगातार ध्वस्त होना

ये भी रही इस्तीफे की वजहें

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- धुरंधर टीचर्स की लाबिंग और अटकाए जाने वाले रोड़े

- खुद की एक टीम न खड़ी कर पाना

- मुट्ठी भर छात्रों द्वारा लगातार कैम्पस में हावी रहना

- खराब हालातों में वीसी के स्टैण्ड पर मंत्रालय का भी पलटी मार जाना

- टीचर्स रिक्रुटमेंट में दिग्गजों की दाल न गल पाना

पहली बार हुआ ऐसा

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- सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पर छेड़खानी का केस (हालांकि बाद में मुकदमा स्पंज हो गया)

- इस्तीफे से पहले कैम्पस में जगह जगह चस्पा हुआ कुलपति की गुमशुदगी का पोस्टर

- तीन बार नई दिल्ली से मिली फटकार पर करनी पड़ी बड़ी घोषणाएं

वीसी को यह डिसीजन काफी पहले ले लेना चाहिए था। उन्होंने काफी देर कर दी। हमने सांसद केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की। वे बुधवार को एमएचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी से मिलेंगे और एयू के पूरे हालात उन्हें बताएंगे।

डॉ। सुनील कांत मिश्र, पे्रसिडेंट इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ

मैं एमएचआरडी से मांग करता हूं कि वो एयू के टीचर्स रिक्रुटमेंट और सभी वित्तीय आवंटनों की जांच करें। जांच के बाद गड़बडि़यों के ऐसे ऐसे खुलासे होंगे। जिससे पूरा देश चकित रह जाएगा।

भास्कर झा, पूर्व कार्य परिषद सदस्य

हमारी लड़ाई वीसी ने नहीं थी। उन्होंने यूनिवर्सिटी को दोराहे पर लाकर छोड़ दिया है। फिलहाल तो नए वीसी आएं और बेहतर काम करें। यही कामना है।

डॉ। संतोष सहाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संयुक्त परिषद

इस विपरीत हालात में वरिष्ठ प्रोफेसर्स को पूरी पारदर्शिता के साथ आगे आना चाहिए। सहयोग और संवाद की स्थिति से ही स्टूडेंट्स और यूनिवर्सिटी का कल्याण संभव है। हमें आम छात्रों की मदद के लिए आगे आना होगा।

डॉ। एआर सिद्दकी, ज्योग्राफी डिपार्टमेंट