-आरएनसीपी के तहत कारण का लगाया जाएगा पता

- पिछले दिनों आरएनसीपी की मीटिंग में लिया गया निर्णय

GORAKHPUR: अब टीबी से हो रही मौतों के कारण का पता आरएनसीपी के तहत लगाया जाएगा। साथ ही देखा जाएगा कि जो दवा चल रही थी वह प्रापर तरीके से ले रहा था कि नहीं। इसके लिए टीम सर्वे कर इसकी रिपोर्ट भी तैयार कर संबंधित विभाग को भेजेगी। जिले में टीबी के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 4592 मरीजों का इलाज चल रहा है। इसमें से एमडीआर के 210 मरीज है।

वहीं, एक्सडीआर के 17 और टीबी एचआईवी के 22 मरीज है। लेकिन टीबी से होने वाली मौतों का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। इसे गंभीरता से लेते हुए आरएनसीपी की ओर से अब ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले दिनों क्षय रोग विभाग की हुई मीटिंग में यह निर्णय लिया गया है कि अब बीमारी से होने वाली मौतों का भी आडिट किया जाएगा। इसके तहत यह जाना जाएगा कि आखिरकार मरीज की मौत किसी कारण से हुई है।

निजी हॉस्पिटल नहीं दे रहे मरीजों के आंकड़े

टीबी मरीजों की तलाश के लिए तमाम दावे किए गए लेकिन यह दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। पिछले साल बीआरडी में टीबी पर हुई चर्चा में यह निर्णय लिया गया कि निजी हॉस्पिटल में भी टीबी मरीजों का उपचार होता है लेकिन यहां से आंकड़े नहीं मिल पाते हैं। इसके लिए दो पीपीएम लगाए गए हैं। वहीं निजी हॉस्पिटल में 198 डॉक्टर्स है। इसमें से सिर्फ 20 ही डॉक्टर्स आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग को मुहैया करा रहे हैं लेकिन 178 ऐसे हैं जो आंकड़े दे रही नहीं रहे हैं।

वर्जन

पिछले दिनों बैठक में फैसला लिया गया है कि टीबी से होने वाली मौतों का आडिट कराया जाएगा। हालांकि अभी आदेश नहीं आया है। आदेश आने के बाद सर्वे होगा। वहीं, निजी हॉस्पिटल के कुछ ही डॉक्टर को छोड़ कर अधिकांश डॉक्टर ऐसे हैं जो मरीजों का आंकड़ा नहीं दे रहे हैं। इस संबंध में आईएमए के साथ मीटिंग की जाएगी।

रामेश्वर मिश्रा, क्षय रोग अधिकारी